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Synopsis

जानिये कैसे पुरुषोमे शुक्राणुओं की संख्या कैसे बढ़ाएं ? स्वास्थ्य पुरुष प्रजनन क्षमता में महत्वपूर्ण कारक हैं और शुक्राणुओं की संख्या में सुधार के लिए भोजन Indira IVF के साथ।

शुक्राणुओं की संख्या और स्वास्थ्य पुरुष प्रजनन क्षमता में महत्वपूर्ण कारक हैं। वीर्य के एक सेम्पल में मौजूद शुक्राणुओं की औसत कुल संख्या को स्पर्म काउंट कहा जाता है। हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशानिर्देश के अनुसार, शुक्राणुओं की संख्या 15 मिलियन प्रति मिलीलीटर (एमएल) या 39 लाख प्रति सेम्पल होनी चाहिए। शुक्राणुओं की संख्या 15 मिलियन प्रति मिलीलीटर से कम होना असामान्य माना जाता है और इसके परिणामस्वरूप पुरुष बांझपन हो सकता है।

शुक्राणुओं के स्वास्थ्य से जुडे़ जरूरी बिन्दु

इन्दिरा आईवीएफ की चीफ इनफर्टिलिटी एंड आईवीएफ स्पेशलिस्ट डॉ. रोहिणी ने बताया कि, “स्पर्म काउंट का सीधा संबंध स्पर्म हेल्थ से जुड़ा होता है। अपने शुक्राणुओं के स्वास्थ्य को बेहतर करने के लिए सोचना शुरू करें, इससे पहले शुक्राणु स्वास्थ्य के जुड़े महत्वपूर्ण बिन्दुओं को समझना आवश्यक है। ” इसमें शामिल हैं –

  • शुक्राणुओं की गतिशीलता – यह शुक्राणु रफ्तार/ गति को इंगित करती है। शुक्राणु अंडे तक पहुंचने और निषेचित करने के लिए तैरने में सक्षम होने चाहिए।
  • वीर्य की मात्रा – शुक्राणुओं को महिला प्रजनन अंगों तक पहुंचने के लिए वीर्य की न्यूनतम मात्रा की आवश्यकता होती है। प्रति स्खलन में वीर्य की मात्रा सामान्यतया 2 से 5 मिली तक होती है।
  • शुक्राणु की संरचना – एक सेम्पल में शुक्राणुओं का औसत आदर्श आकार या संरचना महत्वपूर्ण है।
  • शुक्राणु की संख्या – स्खलित वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या ।

अब सवाल यह उठता है कि स्पर्म काउंट कैसे बढ़ाया जाए? इसका जवाब उतना कठिन नहीं है जितना हम सोचते हैं । आप तीन तरीकों से शुक्राणुओं की संख्या में सुधार कर सकते हैं: – जीवन शैली में परिवर्तन, खानपान और सप्लीमेंट्स। यदि शुक्राणुओं की संख्या बहुत कम है तो उपचार करवाने का सुझाव दिया जाता है।
 
आईये सभी पर एक-एक करके नजर डालते हैं –

जीवनशैली में बदलाव – वर्तमान जीवनशैली पुरुष और महिला दोनों में निःसंतानता का प्रमुख कारक है । जीवनशैली में थोड़ा बदलाव संतान के रूप में खुशियांे के द्वार खोल सकता है।
 
इन्हें कहें ना –

  1. धूम्रपान- 2016 में एक स्टडी में लगभग 6000 लोगों के साथ हुए 20 से अधिक अध्ययनों के परिणामों की समीक्षा की गई और सामने आया कि धूम्रपान की आदत शुक्राणुओं की संख्या को कम करती है।
  2. शराब- शराब न केवल स्वास्थ्य के लिए बल्कि शुक्राणुओं के लिए भी हानिकारक है। यदि आप शराब पीते हैं, तो इसे नियन्त्रित करने की आवश्यकता है। सेंटर्स आॅफ डिजीज कन्ट्रोल एंड प्रिवेन्शन के अनुसार, पुरुषों के लिए प्रति दिन दो ड्रिंक को मोडरेट माना जाता है।
  3. ड्रग्स- कई दवाएं शुक्राणुओं के उत्पादन को कम कर सकती हैं जैसे एंटी-एण्ड्रोजन, एंटी-इंफ्लैमेटरी, एंटीसाइकोटिक्स, कॉर्टिकोस्टेरॉइड, मेथोडोन और कुछ एंटीबायोटिक्स । एक बार जब आप इन दवाओं को लेना बंद कर देते हैं, तो आपके शुक्राणु वापस सामान्य हो जाते हैं । ड्रग्स जैसे मारिजुआना, कोकीन आदि शुक्राणु उत्पादन कम कर देते हैं।
  4. तनाव- तनाव किसी के लिए भी अच्छा नहीं है । तनाव के कारण शरीर कंसेप्शन पर फोकस नहीं कर पाता है । स्वास्थ्यवर्धक आहार और व्यायाम तनाव को कम करने में मदद कर सकते है।
  5. अतिरिक्त वजन- एक अध्ययन के अनुसार “अधिक वजन वाले या मोटे पुरूषों में शुक्राणुओं की संख्या और गतिशीलता में कमी पायी गयी।
  6. सोया- सोया फूड में अच्छी मात्रा में फाइटोएस्ट्रोजेन या प्लांट एस्ट्रोजन होता है। इसकी अधिकता से टेस्टोस्टेरोन बॉन्डिंग और शुक्राणु उत्पादन कम हो जाता है। आपको सोया-आधारित खाद्य पदार्थों जैसे सोया दूध, सोया सॉस और टोफू आदि के सेवन को सीमित करने की आवश्यकता है।

 
वैसे तो शुक्राणुओं की संख्या और स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए कई विकल्प हैं लेकिन इसके लिए कुछ आदतों को सबसे पहले अपनाना चाहिए।

इन्हें अपनाएं –

  1. स्वास्थ्यर्धक भोजन- पौष्टिक और संतुलित आहार स्वस्थ शरीर के साथ-साथ स्वस्थ शुक्राणुओं की कुंजी है। खराब जीवनशैली न केवल आपके समग्र स्वास्थ्य बल्कि प्रजनन क्षमता को भी प्रभावित करती है।
  2. व्यायाम- व्यायाम न केवल आपके मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर करता है बल्कि आपके टेस्टोस्टेरोन के स्तर को भी बढ़ाता है। कई अध्ययनों से पता चला है कि व्यायाम से शुक्राणुओं की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है और संख्या भी बढ़ सकती है।
  3. पर्याप्त नींद- आपके स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए पर्याप्त नींद लेना महत्वपूर्ण है। कम या अत्यधिक नींद वीर्य की गुणवत्ता में कमी ला सकती है।
  4. मेथी की खुराक- मेथी के बीज का अर्क टेस्टोस्टेरोन स्तर को बढ़ा सकता है, जो शुक्राणु उत्पादन से सीधे जुड़ा होता है। 2017 में एक अध्ययन में पाया गया कि मैथी के बीज का अर्क समग्र वीर्य की गुणवत्ता और शुक्राणुओं की संख्या में काफी सुधार कर सकता है।
  5. अश्वगंधा- अश्वगंधा एक औषधी है जिसका प्राचीन काल से आयुर्वेद में उपयोग किया जाता रहा है। अश्वगंधा टेस्टोस्टेरोन के स्तर को बढ़ाकर पुरुष प्रजनन क्षमता को बढ़ा सकता है। 675 मिलीग्राम अश्वगंधा जड़ का प्रति दिन सेवन प्रजनन क्षमता में सुधार करता है।
  6. हेल्दी फेट का सेवन –

शुक्राणुओं की संख्या में सुधार के लिए भोजन-

खाद्य पदार्थ जिनमें अनेकों स्वास्थ्य लाभ व शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाने की क्षमता शामिल हैं नीचे सूचीबद्ध हैं –

  • अखरोट
  • खट्टे फल
  • साबूत गेहूं और अनाज
  • अधिकांश मछलियां, विशेष रूप से जंगली साल्मन, कॉड और हैडॉक
  • विटामिन डी से भरपूर दूध और दूध उत्पाद
  • डार्क चॉकलेट
  • लहसुन
  • केले
  • ब्रोकोलीः फोलिक एसिड से भरपूर हरी सब्जियां ।
  • पालक
  • उच्च विटामिन सी वाली हल्दी
  • विटामिन सी की प्रचुर मात्रा वाली शतावरी
  • अंकुरित नट और बीज

 

शुक्राणुओं की संख्या में सुधार के लिए दवाएं

अगर आपके शुक्राणु की संख्या बहुत कम है तो डॉक्टर कुछ दवाएं सजेस्ट कर सकते हैं । यह दवाएं आपकी अन्य स्वास्थ्य स्थितियों और कम शुक्राणुओं की संख्या पर निर्भर करती हैं ।

कम शुक्राणुओं के उपचार में नीचे सुचीबद्ध दवाएं शामिल हो सकती हैं –

  • clomiphene citrate oral (Serophene)
  • serophene oral
  • Gonal-f® RFF* Redi-ject® (follitropin alfa or gonal-F) or subcutaneous (under the skin) injections
  • antibiotics if caused by urinary or reproductive tract infection
  • human chorionic gonadotrophin (hCG)
  • letrozole or anastrozole
  • exogenous androgens

कम स्पर्म काउंट कोई बीमारी नहीं है। इंदिरा आईवीएफ इलाहाबाद सेंटर की डॉ. रीमा सिरकार कहती हैं, “ शुक्राणुओं की कम संख्या पुरुषों में निःसंतानता का एक प्रमुख कारण हो सकता है। यदि स्पर्म काउंट 10 से 15 मिलियन प्रति मिलीलीटर के बीच है तो आईयूआई, 5 से 10 मिलियन प्रति मिलीलीटर के बीच है तो दम्पती को आईवीएफ तकनीक से गर्भधारण करने की सलाह दी जाती है। पुरुष में शुक्राणुओं की संख्या 5 मिलियन प्रति एमलए से कम होने पर आईसीएसआई (इक्सी) अधिक कारगर तकनीक साबित हो सकती है। ” यह बात ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि आईयूआई की तुलना में आईवीएफ की सफलता दर अधिक है।


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