बहुत से लड़के और युवा पुरुष रात की नींद के बाद सुबह उठते ही अपने अंडरवियर कपड़ों में गीलापन महसूस करते हैं। पहले-पहल यह समझ में नहीं आता कि हुआ क्या है, और मन में झिझक भी होती है। यह अनुभव स्वप्नदोष या नाइटफॉल कहलाता है। कई लोग इसे गलत तरीके से बीमारी समझ लेते हैं, जबकि वास्तव में यह शरीर में होने वाले हार्मोनल चेंज का एक नेचुरल पार्ट होता है।
इस लेख में हम आसान भाषा में जानेंगे कि नाइटफॉल क्या है, इसके कारण क्या हैं, लक्षण कैसे दिखते हैं और इसे नियंत्रित करने के लिए क्या-क्या कदम मददगार हो सकते हैं।
किशोरावस्था और युवावस्था में टेस्टोस्टेरोन (testosterone) जैसे सेक्स हार्मोन बढ़ते हैं। जिससे शरीर कभी-कभी नींद के दौरान ही बिना किसी कॉन्शस कण्ट्रोल (सचेत नियंत्रण) के वीर्य को रिलीज़ यानी इजैकुलेट कर देता है। इसे मेडिकल भाषा में नॉक्टर्नल एमीशन (nocturnal emission) कहा जाता है। यह एक नॉर्मल फिज़िओलॉजिकल प्रतिक्रिया है जिससे कोई नुकसान नहीं होता।
इस उम्र में दिमाग और शरीर दोनों ही नई संवेदनाओं से गुजरते हैं, और कई बार नींद में किसी सपने या अनकॉन्शस एक्साइटमेंट (अवचेतन उत्तेजना) के कारण इजैक्युलेशन होना स्वाभाविक है। शरीर इसे अपने आप रेगुलेट करता है इसलिए कभी कभी (occasional) नाइटफॉल होना पूरी तरह सामान्य माना जाता है।
नाइटफॉल कई कारणों से हो सकता है। इनमें से कुछ प्राकृतिक होते हैं और कुछ लाइफस्टाइल से जुड़े होते हैं:
नाइटफॉल के लक्षण सीधे दिख जाते हैं, लेकिन इनके साथ आने वाली भावनाएँ भी उतनी ही अहम होती हैं। हर व्यक्ति के अनुभव अलग हो सकते हैं, इसलिए इन्हें समझना ज़रूरी है।
अधिकतर मामलों में ये सभी लक्षण हल्के होते हैं और कुछ दिनों में अपने-आप सामान्य हो जाते हैं। शरीर जैसे-जैसे हार्मोनल बदलावों के साथ संतुलन बनाता है, वैसे-वैसे नाइटफॉल की तीव्रता भी कम होने लगती है।
कभी-कभार नाइटफॉल होना बिल्कुल नॉर्मल होता है और इससे किसी तरह का नुकसान नहीं होता। लेकिन अगर नाइटफॉल बहुत बार हो रहा हो या इसके साथ कमजोरी, बेचैनी या नींद में बदलाव महसूस हो, तो इसकी वजहों को समझना जरूरी होता है। ऐसे मामलों में अक्सर तनाव, अनियमित दिनचर्या, संतुलित आहार की कमी, नींद की दिक्कत या हार्मोनल असंतुलन ज़िम्मेदार होते हैं। ध्यान देने योग्य बात यह है कि हर व्यक्ति का शरीर अलग होता है, इसलिए नाइटफॉल की फ्रीक्वेंसी भी अलग हो सकती है। लेकिन अगर यह आपके रूटीन को प्रभावित कर रहा हो या कमजोरी महसूस हो रही हो, तो डॉक्टर से सलाह लेना सही रहेगा।
नाइटफॉल को कम करने या कण्ट्रोल करने के लिए कुछ आसान और प्रैक्टिकल कदम उठाये जा सकते हैं।
ज्यादातर मामलों में नाइटफॉल के लिए किसी दवा की आवश्यकता नहीं होती। यह एक सामान्य शारीरिक प्रतिक्रिया है जो अक्सर समय के साथ अपने आप कम हो जाती है। अगर नाइटफॉल बार-बार हो रहा है और इससे नींद, ऊर्जा या मानसिक स्थिति पर असर पड़ रहा है, तो डॉक्टर से सलाह ली जा सकती है।
ज़्यादातर लोगों में छोटे लाइफस्टाइल चेंज ही काफी होते हैं, और नाइटफॉल धीरे-धीरे कम हो जाता है।
नाइटफॉल एक नेचुरल बायोलॉजिकल प्रोसेस है और इसे किसी बीमारी की तरह नहीं देखना चाहिए। ज्यादातर पुरुषों में यह किशोरावस्था और युवावस्था में सामान्य रूप से होता है। अगर नाइटफॉल कभी-कभार होता है, तो चिंता की कोई बात नहीं है। लेकिन अगर यह बहुत बार हो रहा हो, तो इसमें लाइफस्टाइल की भूमिका को समझना जरूरी है। संतुलित लाइफस्टाइल, मानसिक शांति और नियमित व्यायाम सेक्सुअल हैल्थ को लंबे समय तक अच्छा बनाए रखते हैं। जरूरत पड़ने पर डॉक्टर से खुलकर बात करना सबसे सुरक्षित और प्रभावी तरीका है।
कभी-कभार नाइटफॉल हानिकारक नहीं है। लेकिन अगर यह सप्ताह में कई बार हो रहा है, तो कारण समझने के लिए डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए।
अगर नींद पूरी न हो या शरीर पहले से थका हो, तो नाइटफॉल के बाद कमजोरी महसूस हो सकती है। यह हर बार नहीं होता।
अच्छी नींद, ध्यान, व्यायाम, संतुलित आहार और एडल्ट कंटेंट से दूरी ये सभी तरीके मदद करते हैं।
नहीं, कभी कभार होने वाले नाइटफॉल से फ़र्टिलिटी पर कोई नेगेटिव असर नहीं पड़ता।
हाँ, यह मुख्य रूप से टेस्टोस्टेरोन जैसे यौन हार्मोन से जुड़ा होता है।
इसके लिए कोई तय संख्या नहीं है। महीने में कुछ बार नाइटफॉल होना सामान्य माना जाता है। अगर यह बहुत ज्यादा हो, तो डॉक्टर से सलाह लें।