Skip to main content

गर्भाशय में टीबी (Uterus TB) के बाद गर्भधारण और उपचार

Disclosure
Last updated: November 10, 2025

Overview

गर्भाशय में टीबी (Uterus TB) महिलाओं में निःसंतानता का एक महत्वपूर्ण कारण है। यूट्रस टीबी सामान्य रूप से फेफड़ों में होने वाली टीबी ही है, लेकिन कुछ मामलों में यह संक्रमण रक्त के ज़रिए गर्भाशय तक पहुँच जाता है। इससे गर्भाशय की अंदरूनी परत (एंडोमेट्रियम ) और फैलोपियन ट्यूब्स को नुकसान होता है, जिससे गर्भधारण में कठिनाई आती है। अच्छी बात यह है कि समय पर पहचान और इलाज से न सिर्फ संक्रमण ठीक किया जा सकता है, बल्कि भविष्य में माँ बनना भी संभव किया जा सकता है।

गर्भाशय में टीबी क्या है? (Bachedani Me TB Kya Hoti Hai)

गर्भाशय में टीबी (Uterus TB) को जेनिटल ट्यूबरक्लोसिस (Genital Tuberculosis) भी कहा जाता है। यह संक्रमण माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस (Mycobacterium tuberculosis) नामक जीवाणु (बैक्टीरिया) के कारण होता है, जो आमतौर पर फेफड़ों से शुरू होकर खून या लसीका (लिम्फैटिक सिस्टम lymphatic system) के ज़रिए प्रजनन अंगों तक पहुँच जाता है।

सामान्य टीबी में संक्रमण फेफड़ों या छाती तक सीमित रहता है, जबकि गर्भाशय टीबी में यह संक्रमण फैलोपियन ट्यूब्स, अंडाशय और गर्भाशय की अंदरूनी परत तक पहुँच जाता है।

1. गर्भाशय में टीबी कैसे होती है?

यह अधिकतर सेकेंडरी इंफेक्शन होता है यानी शरीर में पहले से मौजूद टीबी (जैसे फेफड़ों की) से संक्रमण गर्भाशय तक पहुँच जाता है।

2. गर्भाशय टीबी के लक्षण (Uterus TB symptoms in Hindi):

गर्भाशय टीबी में पीरियड्स का अनियमित होना, पेट में दर्द, और बार-बार गर्भपात इसके शुरुआती संकेत हो सकते हैं।

महिलाओं में टीबी के लक्षण (Mahilao Me TB Ke Lakshan)

टीबी के लक्षण धीरे-धीरे उभरते हैं और कई बार सामान्य कमजोरी या मासिक धर्म की समस्या समझकर नज़रअंदाज़ कर दिए जाते हैं। अगर नीचे दिए गए लक्षण लगातार बने रहें, तो जांच कराना ज़रूरी है।

1. लंबे समय तक खाँसी और बुखार

लगातार तीन हफ्ते से ज़्यादा खाँसी रहना, हल्का बुखार या रात में पसीना आना।

2. वजन कम होना और कमजोरी

भूख कम लगना, वजन घट जाना और शरीर में सामान्य थकावट।

3. मासिक धर्म की अनियमितता

पीरियड्स का न आना, बहुत कम या बहुत ज़्यादा ब्लीडिंग होना, या बीच-बीच में रुक-रुक कर आना।

4. पेट या पेल्विक दर्द

निचले पेट या कमर के हिस्से में लगातार भारीपन या दर्द रहना।

5. महिलाओं में टीबी के लक्षण और उपाय:

अगर इन लक्षणों के साथ कमजोरी या मासिक गड़बड़ी दिखे, तो फेफड़ों और गर्भाशय दोनों की जांच करानी चाहिए।

टीबी कैसे फैलती है?

टीबी एक संक्रमण है जो संक्रमित व्यक्ति की खाँसी या छींक से हवा के ज़रिए फैल सकती है। एक बार शरीर में जाने के बाद यह बैक्टीरिया कई अंगों में पहुंच सकता है। जब यह संक्रमण रक्त प्रवाह या लसीका प्रणाली के माध्यम से गर्भाशय, फैलोपियन ट्यूब या अंडाशय तक पहुँचता है, तब इसे गर्भाशय की टीबी (यूट्रस टीबी or Uterus TB) कहा जाता है।

गर्भाशय (Uterus) में टीबी के लक्षण (Uterus TB Symptoms in Hindi)

  • पीरियड्स का अनियमित होना – कभी बहुत ज़्यादा, कभी बिल्कुल बंद हो जाना।
  • गर्भधारण में कठिनाई (इन्फर्टिलिटी): संक्रमण के कारण अंडाणु और शुक्राणु के मिलने में बाधा आती है।
  • पेल्विक इंफ्लेमेशन (Pelvic Inflammation): गर्भाशय की दीवार और आस-पास के ऊतकों में सूजन।
  • यौन संबंध के दौरान दर्द: सेक्स के समय या बाद में दर्द या असहजता।
  • बार-बार गर्भपात: गर्भाशय की परत पतली होने से भ्रूण नहीं टिक पाता।

टीबी कैसे प्रजनन क्षमता को प्रभावित करता है?

गर्भाशय टीबी महिलाओं की प्रजनन क्षमता (फर्टिलिटी) को कई तरीकों से प्रभावित करता है:

  • एंडोमेट्रियम को नुकसान: गर्भाशय की अंदरूनी परत कमजोर या पतली हो जाती है, जिससे भ्रूण नहीं ठहर पाता।
  • फैलोपियन ट्यूब्स ब्लॉक होना: संक्रमण (इन्फेक्शन) की वजह से फैलोपियन ट्यूब्स चिपक जाती हैं और अंडाणु (एग्स या ओवम) का मार्ग बंद हो जाता है।
  • हार्मोनल असंतुलन: लंबे संक्रमण से हार्मोन चक्र बिगड़ जाता है।
  • इम्प्लांटेशन की समस्या: संक्रमण के कारण गर्भाशय की सतह से भ्रूण चिपक नहीं पाता।

गर्भाशय टीबी की पहचान (Diagnosis of Uterus TB)

गर्भाशय में टीबी की पुष्टि के लिए डॉक्टर कुछ विशेष जांचें करवाते हैं।

1. ब्लड टेस्ट और Mantoux टेस्ट

Mantoux स्किन टेस्ट या टीबी गोल्ड टेस्ट (TB Gold Test) से यह देखा जाता है कि शरीर में टीबी संक्रमण सक्रिय है या नहीं।

2. अल्ट्रासाउंड / HSG (Hysterosalpingography)

गर्भाशय और फैलोपियन ट्यूब्स की स्थिति देखने के लिए। HSG से ट्यूब ब्लॉकेज का पता लगाया जा सकता है।

3. एंडोमेट्रियल बायोप्सी

गर्भाशय की अंदरूनी परत से छोटा नमूना लेकर लैब में संक्रमण (इन्फेक्शन) की पुष्टि की जाती है। यह सबसे सटीक जांच मानी जाती है।

गर्भाशय में टीबी का उपचार (Treatment of Uterus TB)

1. एंटी-टीबी दवाइयाँ (Anti-TB Medicines)

इसका इलाज फेफड़ों की टीबी की तरह ही किया जाता है। WHO और ICMR के अनुसार, 6 से 9 महीने का डॉक्टरों की सलाह से एंटी-टीबी कोर्स से यूट्रस टीबी को पूरी तरह नियंत्रित किया जा सकता है।

2. जीवनशैली और पोषण (लाइफस्टाइल और नुट्रिशन)

संतुलित आहार, पर्याप्त नींद और इम्यूनिटी बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थ जैसे हल्दी, लहसुन, हरी सब्ज़ियाँ और प्रोटीन युक्त आहार बेहद फायदेमंद हैं।

3. सर्जरी (गंभीर मामलों में)

अगर संक्रमण से गर्भाशय की परत या ट्यूब्स में स्थायी नुकसान हो गया हो जैसे मवाद (पस) इकट्ठा हो गया है, बहुत दर्द और हैवी ब्लीडिंग हो तो डॉक्टर सर्जरी की सलाह दे सकते हैं।

4. गर्भाशय में टीबी के उपचार के बाद गर्भधारण:

इलाज पूरा होने के बाद जब संक्रमण पूरी तरह खत्म हो जाता है, तब गर्भधारण की योजना (प्रेगनेंसी प्लान) बनाई जा सकती है।

टीबी के बाद गर्भधारण कैसे संभव है? (Conceive After Treatment TB in Uterus)

टीबी का इलाज पूरा करने के बाद महिलाओं की फर्टिलिटी में सुधार देखा गया है।

  • स्वाभाविक गर्भधारण: हल्के मामलों में इलाज के बाद 6–12 महीनों में प्राकृतिक रूप से प्रेगनेंसी संभव हो सकती है।
  • IVF या ICSI जैसी तकनीकें: यूट्रस टीबी की वजह से अगर अगर फ़ैलोपियन ट्यूब्स ब्लॉक हों गयीं हों या एंडोमेट्रियम को नुकसान हो गया हो, तो इन परिस्थितियों में असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी से महिला गर्भधारण कर सकती है ।
  • डॉक्टर की निगरानी में प्लानिंग: इलाज पूरा होने के कम से कम 6 महीने बाद ही गर्भधारण की कोशिश करनी चाहिए।

बचाव और देखभाल (Prevention & Care)

  • टीबी का इलाज बीच में न छोड़ें।
  • पौष्टिक भोजन, योग और पर्याप्त आराम से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएं।
  • अगर घर में किसी को टीबी है तो टेस्ट कराना ज़रूरी है।
  • प्रजनन आयु की महिलाओं को किसी भी असामान्य लक्षण पर तुरंत जांच करानी चाहिए।

निष्कर्ष

गर्भाशय में टीबी (Uterus TB) एक ऐसी स्थिति है जो महिला की प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकती है, लेकिन यह पूरी तरह इलाज योग्य बीमारी है। समय पर पहचान, पूरा इलाज और डॉक्टर की निगरानी में जीवन शैली सुधार से गर्भधारण पूरी तरह संभव है।

इसलिए किसी भी लक्षण को हल्के में न लें। सही उपचार ही स्वस्थ मातृत्व की पहली सीढ़ी है।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

गर्भाशय में टीबी कैसे होती है?

 

यूट्रस टीबी सेकेंडरी इन्फेक्शन है। यह फेफड़ों या शरीर के किसी अन्य हिस्से की टीबी से संक्रमण के फैलने पर गर्भाशय तक पहुँच जाती है।

bachedani me tb hone ke lakshan क्या हैं?

 

पीरियड्स में गड़बड़ी जैसे कभी बहुत ज्यादा और कभी बिलकुल न होना, पेट दर्द, कमजोरी, और बार-बार गर्भपात होना ।

क्या महिलाओं में टीबी के बाद गर्भधारण संभव है?

 

हाँ, इलाज पूरा करने के बाद गर्भधारण संभव है, कई बार IVF या ICSI की मदद से प्रेगनेंसी कंसीव की जा सकती है।

uterus TB symptoms in Hindi क्या हैं?

 

अनियमित मासिक धर्म, दर्द, पेल्विक सूजन, और गर्भधारण में कठिनाई।

गर्भाशय में टीबी का इलाज कैसे किया जाता है?

 

6–9 महीने की एंटी-टीबी दवाओं, पोषण, और ज़रूरत पड़ने पर सर्जरी से।

© 2025 Indira IVF Hospital Private Limited. All Rights Reserved. T&C Apply | Privacy Policy| *Disclaimer