प्राकृतिक गर्भधारण में विफल दम्पती असिस्टेड रिप्रोडक्टिव तकनीक का सहारा लेकर गर्भधारण कर रहे हैं । पूरी दुनिया में लाखों दम्पतियों को इन तकनीकों से संतान सुख प्राप्त हो चुका है। एआरटी की बात की जाए तो आईवीएफ को इसकी सबसे लोकप्रिय तकनीक माना जाता है। अक्सर दम्पतियों के मन में ये सवाल होता है कि आईवीएफ के बाद गर्भावस्था के लक्षण के बारे में महिला को कैसे पता चले ?
आईए जानते हैं आईवीएफ के बाद प्रेगनेंसी के लक्षण के बारे में (after ivf pregnancy symptoms in hindi) .....
- प्रोजेस्टेरोन युक्त दवाओं के उपयोग के कारण कुछ महिलाओं को इलाज के कुछ दिनों बाद गर्भधारण के प्रारंभिक लक्षण महसूस हो सकते हैं इनमें स्तन में सूजन व थकान शामिल है। जबकि ज्यादातर केसेज में एम्ब्रियो ट्रांसफर के दो सप्ताह के बाद लक्षण दिखाई देते हैं।
आईवीएफ प्रेगनेंसी के लक्षण भी सामान्य गर्भधारण के समान ही होते हैं । प्रेगनेंट होने के बाद निम्न लक्षण हो सकते हैं -
-गर्भधारण होने यानि भ्रूण के बच्चेदानी में इम्पालांट होने के प्राथमिक संकेतों में प्रत्यारोपण रक्तस्राव प्रमुख है। जब भ्रूण गर्भाशय की परत पर चिपकता है तो प्रत्यारोपण रक्तस्राव या ऐंठन की समस्या भी हो सकती है, ये सामान्य प्रक्रिया है। यह प्रक्रिया गर्भधारण के बाद छह से बारह दिनों तक हो सकती है। अधिक रक्तस्त्राव होने पर डॉक्टर से कन्सल्ट करना चाहिए ।
- यदि महिला के पीरियड्स रेग्युलर हो और उसमें देरी होती है तो आईवीएफ प्रेगनेंसी की संभावना का संकेत हो सकता है। यदि स्पोटिंग होती है तो भी गर्भधारण के ही लक्षण है ।
-प्रेगनेंसी के सबसे आम लक्षणों में उल्टी और मॉर्निंग सीकनेस होना शामिल है। कुछ महिलाओं को विशेष प्रकार की गंध में भी ऐसा होता है लेकिन बिना गंध के ऐसा होता है तो ये प्रेगनेंसी की शुरूआत हो सकती है। ये शरीर में एस्ट्रोजेन हार्मोन के बढ़ने के कारण होती है। कुछ महिलाओं को भोजन या अन्य चीजों से गंध भी आती है।
- स्तन भारी होना या उनमें थोड़ा दर्द होना आईवीएफ प्रेगनेंसी के लक्षण हो सकते हैं। हालांकि पीरियड्स के दौरान भी ये हो सकता है लेकिन पीरियड नहीं है और स्तनों में इस तरह का दर्द है तो प्रेगनेंसी का टेस्ट करवाना चाहिए ।
- प्रोजेस्टेरोन का स्तर बढ़ने के कारण शरीर का तापमान बढ़ सकता है और ये कुछ दिनों में सामान्य होने की बजाय 20 दिनों से भी ज्यादा समय तक बढ़ा हुआ ही रहे तो ये आईवीएफ गर्भधारण के लक्षण हो सकते हैं ।
-आईवीएफ गर्भधारण होने पर महिला के शरीर में प्रोजेस्टेरोन हार्मोन के अधिक स्तर के कारण बहुत थकान लगती है । मूड स्वींग होने की समस्या भी प्रेगनेंसी की शुरूआत में हो सकती है।
अक्सर प्रेगनेंसी होने पर महिला को कुछ खास खाद्य पदार्थ खाने का मन होता है और कुछ महिलाएं विशेष प्रकार की गंध को सहन नहीं कर पाती हैं। ये लक्षण महिला की प्रेगनेंसी की शुरूआत से डिलेवरी तक रह सकते हैं। शरीर में हार्मोनल परिवर्तनों के कारण ये गड़बड़ी, गंध आना और खाद्य पदार्थों के प्रति विचलन होता है।
ये सभी आईवीएफ के बाद गर्भावस्था के लक्षण हो सकते हैं लेकिन इसे कन्फर्म करने के लिए प्रेगनेंसी टेस्ट जरूर करना चाहिए । आईवीएफ प्रक्रिया में लैब में महिला के अण्डे को पुरूष के शुक्राणु से निषेचित करवाया जाता है और इससे बने भ्रूण या ब्लास्टोसिस्ट को महिला के गर्भाशय में ट्रांसफर किया जाता है। गर्भधारण के संकेत दिखाई दे या नहीं फिर भी ट्रांसफर के 14 दिन बाद प्रेगनेंसी टेस्ट करना चाहिए। दम्पती यूरिन प्रेगनेंसी टेस्ट के माध्यम से भी जांच करते हैं लेकिन प्रेगनेंसी के बारे में सटिक परिणाम बीटा एचसीजी से ही मिल सकता है। इसमें रक्त परीक्षण करके प्रेगनेंसी के बारे में पता किया जाता है।