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आईयूआई: गर्भधारण के लिए आईयूआई (IUI) उपचार

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Last updated: November 10, 2025

Overview

अगर किसी कपल को प्राकृतिक रूप से संतान उत्पन्न करने में सफलता नहीं मिल रही, तो IUI treatment (आईयूआई ट्रीटमेंट) एक बेहतर विकल्प हो सकता है ।

आई.यू.आई. ट्रीटमेंट क्या है ?

IUI Treatment का पूरा नाम इंट्रायूटेराइन इनसेमिनेशन है। इसमें डॉक्टर पुरुष के शुक्राणुओं (स्पर्म) को, महिला के ओव्यूलेशन के समय कैथेटर से उसके गर्भाशय में डालते हैं। इससे शुक्राणुओं के अंडाणु (ओवम या एग) तक पहुँचने के चांसेस बढ़ जाते हैं और गर्भधारण (प्रेगनेंसी) की संभावना बढ़ जाती है।

IUI और IVF में अंतर: IUI ट्रीटमेंट में फर्टिलाइजेशन प्राकृतिक रूप से महिला के शरीर के अंदर होता है जबकि IVF ट्रीटमेंट में फर्टिलाइजेशन महिला के शरीर के बाहर लैब में होता है और बाद में भ्रूण (एम्ब्रीओ) को गर्भ (यूट्रस) में ट्रांसफर किया जाता है।

कब और क्यों IUI कराने की सलाह दी जाती है

डॉक्टर आमतौर पर निम्नलिखित स्थितियों में IUI कराने की सलाह देते हैं:

  • अकारण निःसंतानता (Unexplained Infertility) : जब सारी जांचें नॉर्मल हों फिर भी प्रेग्नेंसी न हो रही हो
  • हल्का पुरुष निःसंतानता : जब शुक्राणुओं की संख्या या गतिशीलता (motility) थोड़ी कम हो
  • सर्वाइकल फैक्टर : जब गर्भाशय ग्रीवा (cervix) से जुड़ी कोई समस्या हो
  • PCOS की समस्या : जब महिला को पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम हो
  • एंडोमेट्रियोसिस : हल्के से मध्यम स्तर की एंडोमेट्रियोसिस में

ICMR की गाइडलाइन्स के अनुसार, अगर कपल एक साल से गर्भधारण की कोशिश कर रहे हैं (35 साल से ऊपर की महिला के मामले में 6 महीने), तो उन्हें फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट से सलाह लेनी चाहिए।

IUI करने से पहले क्या-क्या जाँचे करानी होती हैं ?

IUI ट्रीटमेंट शुरू करने से पहले महिला और पुरुष की कुछ जाँचें की जाती हैं।

महिला की जांचें:

  • हार्मोनल टेस्ट : FSH (Follicle Stimulating Hormone), LH (Luteinizing Hormone), TSH (Thyroid Stimulating Hormone), और Prolactin के स्तर की जांच की जाती है। ये हार्मोन ओव्यूलेशन और गर्भधारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • AMH टेस्ट (Anti-Müllerian Hormone) : यह टेस्ट अंडाशय की रिजर्व क्षमता को मापता है, यानी कितने स्वस्थ अंडे बचे हैं।
  • HSG या सोनो-हिस्टेरोग्राफी : इससे फैलोपियन ट्यूब खुली हैं या नहीं, और गर्भाशय की संरचना सही है या नहीं, यह पता चलता है।
  • इंफेक्शन स्क्रीनिंग : HIV, Hepatitis B और C जैसे संक्रमणों की जांच की जाती है।

पुरुष की जांचें:

  • सीमन एनालिसिस : यह सबसे महत्वपूर्ण टेस्ट है जिसमें शुक्राणुओं की संख्या, गतिशीलता और आकार (स्पर्म क्वांटिटी और क्वालिटी) की जांच होती है। WHO के अनुसार, स्वस्थ सीमन में कम से कम 15 मिलियन शुक्राणु प्रति मिलीलीटर होने चाहिए।
  • इंफेक्शन टेस्ट : पुरुष में भी HIV और अन्य यौन संक्रमणों की जांच ज़रूरी होती है।

IUI का प्रोसेस क्या है ?

IUI ट्रीटमेंट आमतौर पर 4–5 स्टेप में होती है और कुल मिलाकर कुछ हफ्ते में पूरी हो सकती है:

  • ओव्यूलेशन मॉनिटरिंग (Ovulation Monitoring): सबसे पहले अल्ट्रासाउंड और ब्लड टेस्ट के ज़रिए यह पता लगाया जाता है कि महिला का ओव्यूलेशन कब हो रहा है। यह ट्रीटमेंट की सफलता के लिए बेहद जरूरी है।
  • ओव्यूलेशन इंडक्शन (Ovulation Induction ): कुछ मामलों में डॉक्टर दवाएं देते हैं ताकि अच्छी गुणवत्ता के एक या दो अंडे बनें। इससे सफलता की संभावना बढ़ जाती है।
  • स्पर्म की तैयारी (Sperm Washing & Processing): पुरुष से स्पर्म सैंपल लिया जाता है, फिर लैब में हैल्थी शुक्राणुओं को अलग किया जाता है। इस प्रक्रिया में लगभग 1-2 घंटे लगते हैं।
  • वीर्यारोपण (इन्सेमिनेशन): यह मुख्य प्रक्रिया है जो बिल्कुल दर्द रहित होती है। एक पतली, लचीली ट्यूब (कैथेटर) के ज़रिए तैयार शुक्राणुओं (स्पर्म) को सीधे गर्भाशय में डाला जाता है। इस प्रक्रिया में मात्र 5-10 मिनट लगते हैं।
  • आराम और निगरानी: प्रक्रिया के बाद महिला को 10-15 मिनट लेट कर आराम करने को कहा जाता है। उसके बाद सामान्य गतिविधियां की जा सकती हैं।

क्या IUI के बाद रक्त जाता है, दर्द होता है या हम काम पर जा सकते हैं ?

कुछ महिलाओं को प्रक्रिया के बाद हल्का स्पॉटिंग (spotting) या पेट में हल्की ऐंठन हो सकती है। यह बिल्कुल सामान्य है और 1-2 दिन में ठीक हो जाता है। अगर तेज़ दर्द या ज़्यादा ब्लीडिंग हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

IUI के बाद आपको बिस्तर पर लेटे रहने की ज़रूरत नहीं है। आप अपनी रोज़मर्रा की गतिविधियां कर सकती हैं। बस भारी वज़न उठाने और बहुत ज़्यादा एक्सरसाइज से बचें। आप उसी दिन या अगले दिन से काम पर जा सकती हैं।

IUI के कितने दिन बाद पता चलता है कि गर्भधारण हुआ?

IUI के ठीक 14 दिन बाद ब्लड टेस्ट (Beta hCG test) से पता चलता है कि आप गर्भवती हैं या नहीं। इससे पहले टेस्ट करना सही नहीं होता क्योंकि परिणाम गलत आ सकता है।

अमेरिकन सोसाइटी फॉर रिप्रोडक्टिव मेडिसिन (ASRM) के अनुसार, IUI की सफलता दर प्रति चक्र लगभग 10-20% होती है।

सफलता बढ़ाने के उपाय (IUI सक्सेस रेट बढ़ाने के टिप्स)

  • स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं, संतुलित आहार, नियमित हल्का व्यायाम और पर्याप्त नींद लें
  • तनाव कम करें, योग, मेडिटेशन या अपनी पसंद की गतिविधियां करें
  • धूम्रपान और शराब से बचें, ये फर्टिलिटी को नुकसान पहुंचाते हैं
  • डॉक्टर की सलाह पर प्रेग्नेंसी सप्लीमेंट्स लें

IUI की सफलता दर को प्रभावित करने वाले कारक

  • 35 साल से कम उम्र की महिलाओं में सफलता दर अधिक होती है, जबकि 40 साल के बाद यह दर काफी कम हो जाती है।
  • AMH का स्तर और अंडाशय की रिजर्व क्षमता IUI की सफलता को प्रभावित करती है।
  • शुक्राणुओं की संख्या, गतिशीलता और आकार (morphology) IUI की सफलता के लिए महत्वपूर्ण हैं।
  • ओव्यूलेशन का सही समय।

IUI के फायदे और सीमाएं

फायदे:

  • IVF की तुलना में कम खर्चीला।
  • IUI एक दर्द रहित, सरल प्रक्रिया है जिसमें एनेस्थीसिया या सर्जरी की जरूरत नहीं पड़ती
  • शुरुआती/मोडरेट मामलों में प्रभावी।

सीमाएँ:

  • फैलोपियन ट्यूब ब्लॉकेज या ख़राब शुक्राणु गुणवत्ता (स्पर्म क्वालिटी) में कम प्रभावी।
  • कई बार प्रयास करने पड़ सकते हैं; कुछ मामलों में IVF जरूरी हो सकता है।

किसे IUI ट्रीटमेंट से फायदा हो सकता है?

  • सभी टेस्ट नॉर्मल हैं फिर भी गर्भधारण नहीं हो रहा (Unexplained infertility) वाले कपल्स।
  • स्पर्म क्वालिटी बहुत ख़राब नहीं है (Mild male factor infertility)।
  • PCOS वाली महिलाएं जिनमें ओव्यूलेशन को दवाओं से नियंत्रित किया जा सके।
  • सर्वाइकल फैक्टर इन्फर्टिलिटी (गर्भाशय ग्रीवा की म्यूकस समस्या)।
  • सिंगल वुमन या सेम-सेक्स कपल्स जो डोनर स्पर्म का उपयोग करना चाहते हैं।

IUI की जटिलताएँ और जोखिम

  • बहुत कम मामलों में (1% से भी कम) IUI के बाद हल्का संक्रमण हो सकता है। बुखार, तेज़ दर्द या असामान्य डिस्चार्ज होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
  • जुड़वाँ या तिड़वाँ बच्चों (मल्टीपल प्रेगनेंसी) की संभावना बढ़ जाती है।
  • OHSS (ओवेरियन हाइपर-स्टिम्युलेशन सिंड्रोम) का जोखिम बहुत कम लेकिन संभावित होता है। अगर तेज पेट दर्द, सांस-कष्ट या तेज उल्टी हों तो तुरंत डॉक्टर को बताएं।

निष्कर्ष

IUI Treatment निःसंतानता का एक शुरुआती, सुरक्षित और प्रभावी इलाज है जो कई कपल्स को माता-पिता बनने का सुख दिला सकता है। सही जांच, समय पर ट्रीटमेंट, स्वस्थ जीवनशैली और अनुभवी फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट की सलाह से IUI की सफलता दर (सक्सेस रेट) काफी बढ़ जाती है। याद रखें, हर कपल की स्थिति अलग होती है, इसलिए किसी भी इलाज से पहले अपने डॉक्टर से विस्तार से बात करें और सही मार्गदर्शन लें। सकारात्मक सोच और सही इलाज के साथ, आपका परिवार पूरा होने का सपना ज़रूर पूरा होगा।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

IUI और IVF में क्या अंतर है?

 

IUI में शुक्राणुओं को सीधे गर्भाशय में डाला जाता है और फर्टिलाइजेशन प्राकृतिक रूप से होता है। IVF में अंडे और शुक्राणु को लैब में फर्टिलाइज किया जाता है, फिर भ्रूण को गर्भाशय में ट्रांसफर किया जाता है।

IUI की सफलता दर कितनी है?

 

IUI की सफलता दर प्रति चक्र (सक्सेस रेट पर सायकल) लगभग 10-20% होती है। 3-4 सायकल के बाद सक्सेस रेट (Cumulative success rate) 40-50% बढ़ सकती है।

IUI प्रक्रिया दर्दनाक है?

 

IUI लगभग दर्द रहित प्रक्रिया है। कुछ महिलाओं को हल्की असुविधा या ऐंठन महसूस हो सकती है।

IUI के बाद प्रेग्नेंसी टेस्ट कब करें?

 

IUI के ठीक 14 दिन बाद ब्लड टेस्ट (Beta hCG) कराना चाहिए। इससे पहले टेस्ट करने से गलत परिणाम आ सकते हैं।

IUI के कितने प्रयास के बाद IVF कराना चाहिए? ?

 

आमतौर पर अगर 3-4 IUI चक्रों के बाद भी सफलता नहीं मिले, तो डॉक्टर IVF की सलाह दे सकते हैं।

क्या IUI के लिए अस्पताल में भर्ती होना जरूरी है?

 

नहीं, आप प्रक्रिया के 15-30 मिनट बाद घर जा सकते हैं। अस्पताल में भर्ती होने की कोई ज़रूरत नहीं है।

क्या PCOS में IUI करवाना सही है?

 

हां, PCOS वाली महिलाओं के लिए IUI एक अच्छा विकल्प है, खासकर जब ओव्यूलेशन की समस्या हो। ओव्यूलेशन इंडक्शन दवाओं के साथ IUI की सक्सेस रेट अच्छी होती है।

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