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आईवीएफ उपचार इंजेक्शन के लिए कितने दिन लगते है

Reviewed by Indira IVF Fertility Experts
Last updated: August 05, 2025

Overview

शादी के बाद अपनी संतान को लेकर परेशांन हो तो पाईये जानकारी आईवीएफ इंजेक्शन उपचार मै कितने दिन और कितने लगते है। प्रेगनेंसी के लिए कितने अहम है ये 9 दिन Indira IVF के साथ।

 

शादी के बाद अपनी संतान को लेकर हर दम्पती कई सपने सजाते हैं लेकिन सभी दम्पतियों की यह इच्छा पूरी नहीं हो पाती है। संतान को लेकर जितना दबाव परिवार का होता है उससे कहीं ज्यादा समाज का डर बना रहता है। जो दम्पती किसी कारण से संतान प्राप्त नहीं कर पाते हैं मानसिक तनाव में रहते हैं । इधर- उधर समय और धन की बर्बादी करते हैं। निःसंतान दम्पतियों के लिए संतान प्राप्ति का सबसे अच्छा जरिया है आईवीएफ। जो दम्पती आईवीएफ करवाना चाहते हैं उनके मन में आईवीएफ प्रक्रिया को लेकर कई सवाल होते हैं। क्या होता है आईवीएफ, कितने दिन ईलाज चलता है, क्या सफलता दर है इसकी आदि। आइए जानते हैं संतान चाहने वालों के लिए क्यों खास है आईवीएफ।

क्या है निःसंतानता – दम्पती जो शादी के बाद एक साल तक बिना किसी गर्भनिरोधक के प्रयोग से संतान प्राप्ति की कोशिश कर रहे हैं लेकिन गर्भधारण नहीं हो पा रहा है ।

निःसंतानता के लिए कौन जिम्मेदार – महिला और पुरूष दोनों में निःसंतानता के कारण सामने आए हैं पहले सिर्फ महिलाओं को संतान नहीं होने का कारण माना जाता था लेकिन निःसंतानता के कारणों में पुरूष भी 30-40 प्रतिशत जिम्मेदार हैं।

महिला में निःसंतानता के कारक – फैलोपियन ट्यूब ब्लॉक या उसमें विकार, पीसीओडी, अण्डों की संख्या या गुणवत्ता में कमी, अधिक उम्र, माहवारी बंद होना आदि

पुरूषों में निःसंतानता के कारक – शुक्राणुओं की संख्या में कमी, गुणवत्तायुक्त शुक्राणुओं की कमी, निल शुक्राणु

कौनसा ईलाज कारगर -प्राकृतिक रूप से गर्भधारण नहीं होने की स्थिति में 1978 में शुरू की गयी आईवीएफ तकनीक सर्वाधिक लाभदायक है। आईवीएफ जिसे टेस्ट ट्यूब बेबी नाम से भी जाना जाता है इसका आविष्कार बंद ट्यूब वाली महिलाओं के लिए हुआ था लेकिन समय के साथ इसमें काफी एडवांसमेंट हो गये हैं जिसकी मदद से आईवीएफ की सफलता दर 70-80 प्रतिशत तक पहुंच गयी है। अब यह महिलाओं और पुरूषों की निःसंतानता से संबंधित अन्य समस्याओं में भी कारगर साबित हो रही है। आईये जानते हैं क्या होता है आईवीएफ तकनीक में ।

महिला के अंडाशय में सामान्य से अधिक अण्डे बनाने के लिए हार्मोन के इंजेक्शन लगाये जाते हैं । इस दौरान अंडे कितने और केसी क्वालिटी के बन रहे है, इस पर भी नजर रखी जाती है। अच्छी क्वालिटी के अंडे बनने के बाद महिला को ट्रीगर का इंजेक्शन लगाया जाता है जिससे अंडा फूटकर बाहर आ सके। ओवम पिक अप से ट्रीगर इंजेक्शन से अगले 9 दिन क्यों खास होते हैं किसी महिला के लिए ? ट्रीगर इंजेक्शन के 36 घंटे के भीतर अण्डों को पतले इंजेक्शन के माध्यम से निकाला जाता है। आईवीएफ की इक्सी प्रक्रिया के तहत हर अण्डे में एक शुक्राणु इंजेक्ट किया जाता है जिससे भ्रूण बनने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। भ्रूण कैसे हैं, सही बने हैं या नहीं यह तीन दिन तक देखा जाता है। जो भ्रूण अच्छी क्वालिटी के हैं उसे ब्लास्टोसिस्ट कल्चर के तहत 5-6 दिन तक विकसित होने दिया जाता है इसके बाद उन्हें महिला के गर्भ में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है इस प्रक्रिया में सफलता की संभावनाएं अधिक रहती हैं। ओवम पिक अप से लेकर भ्रूण प्रत्यारोपण की प्रक्रिया काफी अहम होती है क्योंकि आईवीएफ की सफलता इन्हीं बातों पर निर्भर है कि यह सारी प्रक्रिया कितनी कुशलता के साथ की गयी है। महिला के गर्भधारण से लेकर गर्भावस्था के 9 माह में यह 9 दिन काफी महत्वपूर्ण हैं।

आईवीएफ प्रक्रिया प्रभावी होने के साथ सरल भी है। आईवीएफ की सफलता दर इसमें हो रहे आविष्कारों के कारण काफी बढ़ गयी है। आईवीएफ तकनीक से वे दम्पती भी संतान सुख प्राप्त कर रहे हैं जो काफी ईलाज के बाद भी सफलता नहीं मिलने पर हार मान चुके थे।


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