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एम्ब्रियो ट्रांसफर के बाद प्रेगनेंसी के लक्षण | IVF प्रेगनेंसी सिम्पटम्स

Last updated: December 02, 2025

Overview

आखिर कैसे पहचानें शरीर के वो इशारे, जो एम्ब्रीओ ट्रांसफर के बाद देते हैं 'प्रेगनेंसी' की 'गुड न्यूज़'? एम्ब्रीओ ट्रांसफर IVF (आईवीएफ) के पूरे सफर में सबसे नाजुक और उम्मीद भरा समय होता है। इसे आसान भाषा में समझें तो यह वह पड़ाव है जहां से आपकी गर्भावस्था यानि प्रेगनेंसी (Pregnancy) की असली शुरुआत होती है। एम्ब्रीओ (भ्रूण) को गर्भाशय में ट्रांसफर के बाद का 14 दिनों का इंतजार हर महिला के लिए भावनाओं से भरा होता है। जब उनके मन में यह सवाल आता है कि क्या सब कुछ ठीक है? क्या प्रेगनेंसी हो गई है?
एम्ब्रीओ ट्रांसफर के बाद शरीर में कुछ बदलाव महसूस होना स्वाभाविक है। ये बदलाव या लक्षण इस बात का इशारा हो सकते हैं कि भ्रूण ने अपनी जगह बना ली है।

एम्ब्रीओ ट्रांसफर क्या होता है? (What is Embryo Transfer in IVF)

एम्ब्रीओ ट्रांसफर आईवीएफ इलाज का आखिरी स्टेप है। इसमें डॉक्टर लैब में तैयार किए गए भ्रूण यानी फर्टिलाइज्ड एग (Fertilized Egg) को एक बहुत ही पतली ट्यूब के जरिए आपकी बच्चेदानी में ट्रांसफर कर देते हैं। यह प्रक्रिया सुनने में जितनी बड़ी लगती है, असल में यह उतनी ही आसान और बिना दर्द वाली होती है।

जब भ्रूण को अंदर ट्रांसफर किया जाता है, तो उसे बच्चेदानी की परत से चिपकना होता है, जिसे हम मेडिकल भाषा में 'इम्प्लांटेशन' कहते हैं। यही वह पल है जब प्रेगनेंसी की शुरुआत होती है। Embryo transfer in hindi को ऐसे समझें कि जैसे बीज को मिट्टी में रोपा गया है, अब उसे पनपने के लिए शांति, सही माहौल और थोड़ा समय चाहिए।

एम्ब्रीओ ट्रांसफर के बाद प्रेगनेंसी के लक्षण (Pregnancy Symptoms After Embryo Transfer in Hindi)

ट्रांसफर के बाद हर महिला का शरीर अलग तरह से रिएक्ट करता है। किसी को कुछ लक्षण महसूस होते हैं, कुछ को नहीं। यहाँ कुछ आम संकेत दिए गए हैं जो embryo transfer ke baad pregnancy ke lakshan हो सकते हैं:

  • हल्का पेट दर्द या मरोड़ यानी माइल्ड क्रैम्पिंग (Mild Cramping) : अगर आपको पीरियड्स (Menstruation) जैसा हल्का-हल्का दर्द पेट के निचले हिस्से में महसूस हो, तो घबराएं नहीं। यह इस बात का संकेत हो सकता है कि भ्रूण यूट्रस की परत यानी यूटेराइन लाइनिंग (uterine lining) से जुड़ रहा है।
  • हल्की स्पॉटिंग या इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग (Implantation Bleeding) : कई बार कपड़ों पर खून के हल्के धब्बे (गुलाबी या भूरे) दिखते हैं। इसे इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग कहते हैं, जो एक अच्छी खबर का इशारा हो सकता है।
  • बहुत थकान लगना यानि फटीग (Fatigue) : अगर आप भरपूर नींद लेने के बाद भी थका हुआ महसूस कर रही हैं, तो यह बढ़े हुए प्रोजेस्टेरोन हार्मोन के चलते हो सकता है। यह ivf pregnancy symptoms in hindi में बहुत आम है।
  • ब्रेस्ट में भारीपन या दर्द : जैसे पीरियड्स से पहले होता है, वैसा ही ब्रेस्ट यानी छाती (Breasts) में भारीपन या छूने पर दर्द महसूस हो सकता है। यह शरीर में हो रहे हार्मोनल बदलावों के कारण होता है।
  • बार-बार पेशाब जाना : अगर आपको बार-बार डिसुरिया (Dysuria) यानी पेशाब जाना पड़ रहा है, तो यह प्रेगनेंसी हार्मोन यानि गर्भ ठहरने का संकेत देने वाला रसायन (hCG) बढ़ने का संकेत हो सकता है।
  • मूड बदलना (Mood Swings) : कभी बहुत खुश होना और अगले ही पल रोने का मन करना, यह सब उन दवाइयों और हार्मोंस का असर है जो इस दौरान चल रहे होते हैं।

एम्ब्रीओ ट्रांसफर के बाद लक्षण कब दिखाई देते हैं? (When Do Symptoms Start After Embryo Transfer)

अक्सर मरीज पूछते हैं कि "लक्षण कब दिखेंगे?" इसका कोई फिक्स टाइम नहीं है, लेकिन आमतौर पर embryo transfer ke baad pregnancy ke lakshan 5 से 10 दिन के बीच महसूस होने लगते हैं। अगर आपका 'डे-5 ट्रांसफर' (ब्लास्टोसिस्ट) हुआ है, तो लक्षण थोड़े जल्दी आ सकते हैं क्योंकि भ्रूण पहले से ही विकसित होता है।

मेडिकल इनसाइट यानी बीमारी के पीछे का वैज्ञानिक सच (Medical Insight) : यह याद रखना जरूरी है कि हर महिला की बॉडी केमिस्ट्री अलग होती है। अगर आपको कोई लक्षण महसूस नहीं हो रहा, तो इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि प्रेगनेंसी नहीं हुयी। बहुत सी महिलाओं को पॉजिटिव रिपोर्ट आने तक कोई लक्षण नहीं आते।

IVF प्रेगनेंसी में ये लक्षण क्यों होते हैं? (Why These Symptoms Occur in IVF Pregnancy)

ये सारे लक्षण असल में हार्मोंस का खेल हैं। जब भ्रूण बच्चेदानी में चिपकता है यानी इम्प्लांट होता है, तो शरीर hCG नाम का हार्मोन बनाना शुरू करता है, जिसे हम 'प्रेगनेंसी हार्मोन' कहते हैं। इसी हार्मोन की वजह से आपको प्रेगनेंसी के लक्षण (Symptoms) महसूस होते हैं।

इसके अलावा, आईवीएफ में प्रेगनेंसी को सपोर्ट करने के लिए डॉक्टर आपको बाहर से प्रोजेस्टेरोन की दवाइयां या इंजेक्शन देते हैं। याद रहे कि प्रोजेस्टेरोन दवा के साइड इफेक्ट्स और प्रेगनेंसी के लक्षण लगभग एक जैसे होते हैं। इसलिए, केवल लक्षणों के भरोसे रहना सही नहीं होता, क्योंकि यह दवाइयों का असर भी हो सकता है।

IVF में पॉजिटिव प्रेगनेंसी की पुष्टि कैसे करें? (How to Confirm Pregnancy After IVF)

सिर्फ लक्षणों के आधार पर यह मान लेना कि आप प्रेगनेंट हैं या नहीं, गलत हो सकता है। पक्का पता लगाने के लिए डॉक्टर इन तरीकों का इस्तेमाल करते हैं:
  • बीटा एचसीजी ब्लड टेस्ट : यह सबसे भरोसेमंद टेस्ट है। ट्रांसफर के करीब 10 से 14 दिन बाद डॉक्टर यह खून की जांच करवाते हैं। यह टेस्ट शरीर में प्रेगनेंसी हार्मोन की सटीक मात्रा बताता है।
  • अल्ट्रासाउंड स्कैन : जब ब्लड टेस्ट पॉजिटिव आ जाता है, तो उसके 2-3 हफ्ते बाद अल्ट्रासाउंड किया जाता है। इसमें डॉक्टर बच्चे की धड़कन और उसकी स्थिति देखते हैं।
  • डॉक्टर की सलाह : ivf pregnancy symptoms दिखने पर भी अपनी मर्जी से होम प्रेगनेंसी किट का इस्तेमाल करने से बचें, क्योंकि कई बार यह गलत रिजल्ट दे सकती है। डॉक्टर की रिपोर्ट का इंतजार करें।

IVF प्रेगनेंसी में किन बातों का ध्यान रखें (Precautions After Embryo Transfer)

एम्ब्रीओ ट्रांसफर के बाद आपको अपना खास ख्याल रखना चाहिए, ताकि इम्प्लांटेशन सफल हो सके:

  • भारी काम से बचें : घर का भारी काम, बाल्टी उठाना या बहुत ज्यादा सीढ़ियां चढ़ना-उतरना बंद कर दें।
  • खानपान का रखें ध्यान : घर का बना सादा और पौष्टिक खाना खाएं। बाहर का जंक फूड और कच्चा पपीता या अनानास जैसी चीजों से दूर रहें।
  • आराम करें, लेकिन बिस्तर न पकड़ें : डॉक्टर आराम की सलाह देते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आप 24 घंटे लेटे रहें। घर में हल्का-फुल्का टहलना अच्छा होता है, इससे बच्चेदानी तक खून का प्रवाह सही बना रहता है।
  • दवाइयां न छोड़ें : डॉक्टर ने जो प्रोजेस्टेरोन या अन्य दवाइयां दी हैं, उन्हें समय पर लें। यही दवाइयां प्रेगनेंसी को शुरुआती दिनों में सपोर्ट करती हैं।

निष्कर्ष (Conclusion)

आखिर में, यही कहना सही होगा कि embryo transfer ke baad pregnancy ke lakshan दिखना अच्छा संकेत है, लेकिन अगर लक्षण न दिखें तो निराश न हों। आईवीएफ एक ऐसा सफर है जिसमें धैर्य (patience) सबसे ज्यादा जरूरी है। अपने शरीर को समय दें, तनाव से दूर रहें और खुश रहने की कोशिश करें। याद रखें, इंटरनेट पर लक्षणों को खोजने से बेहतर है कि आप डॉक्टर की सलाह मानें और ब्लड टेस्ट के सही समय का इंतजार करें। आपकी पॉजिटिव सोच भी इस प्रक्रिया में बहुत मदद करती है।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

एम्ब्रीओ ट्रांसफर के कितने दिन बाद प्रेगनेंसी टेस्ट कर सकते हैं?

 

जल्दबाजी न करें। डॉक्टर आमतौर पर 12 से 14 दिन बाद Beta hCG ब्लड टेस्ट कराने को कहते हैं। इससे पहले चेक करने पर रिजल्ट गलत आ सकता है।

क्या एम्ब्रीओ ट्रांसफर के बाद ब्लीडिंग होना आम बात है?

 

हां, हल्की ब्लीडिंग या दाग सामान्य है। यह इम्प्लांटेशन का लक्षण हो सकता है। लेकिन अगर ब्लीडिंग पीरियड्स जैसी तेज हो, तो तुरंत डॉक्टर को बताएं।

अगर कोई लक्षण न दिखे तो क्या IVF फेल है?

 

बिल्कुल नहीं! कई शोध बताते हैं कि 10-15% महिलाओं को सफल प्रेगनेंसी में भी कोई शुरुआती लक्षण नहीं आते। लक्षण न होना विफलता का प्रमाण नहीं है।

**Disclaimer: The information provided here serves as a general guide and does not constitute medical advice. We strongly advise consulting a certified fertility expert for professional assessment and personalized treatment recommendations.
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