एंडोमेट्रियोसिस महिलाओं को होने वाली एक आम समस्या है। Endometriosis meaning in hindi को समझने के लिए पहले महिला के गर्भाशय की बनावट पड़ेगा। महिलाओं के गर्भाशय यानि यूट्रस (uterus) के अंदर वाली परत यानी वॉल (wall) पर लाइनिंग होती हैं, जिसे 'एंडोमेट्रियम' कहते हैं। लेकिन जब ‘एंडोमेट्रियम’ यानी लाइनिंग, यूट्रस के ऊपर वाली परत पर बनने लगती है, जैसे अंडाशय यानी ओवरी (Ovaries) ट्यूब्स या आंतों पर, तो इसे 'एंडोमेट्रियोसिस' कहते हैं। 'एंडोमेट्रियोसिस' होने की स्थिति में तेज दर्द होता है, पीरियड्स की साइकिल पर असर पड़ता है, और यहां तक कि मां बनने यानि फ़र्टिलिटी (Fertility) में भी मुश्किलें आ सकती हैं। तो आखिर Endometriosis kya hota hai, इस आर्टिकल के जरिए हम आसान भाषा में समझेंगे कि ये होता क्यों है और इससे कैसे छुटकारा पा सकते हैं, ताकि आप वक़्त रहते इस बीमारी पर काबू पा सकें।
एंडोमेट्रियोसिस के लक्षण हर हर महिला में अलग-अलग हो सकते हैं। कुछ में हल्के लक्षण, जबकि कुछ लोगों के लिए इसका दर्द बर्दाश्त से बाहर हो सकता है।
अगर आपको भी ऐसा कुछ महसूस हो रहा है, तो इसको आम समस्या मानकर नजरअंदाज ना करें। डॉक्टर से जरूर सलाह लें।
अभी इस बात का कोई सटीक जवाब नहीं है कि endometriosis kyo hota hai? लेकिन डॉक्टर्स एंडोमेट्रियोसिस के लिए कुछ कारणों को जिम्मेदार मानते हैं।
एंडोमेट्रियोसिस का सही इलाज क्या है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपकी तकलीफ कितनी ज्यादा है, और दूसरा, क्या आप भविष्य में मां बनना चाहती हैं? शुरुआत में डॉक्टर सीधा ऑपरेशन करने से बचते हैं। पहले दर्द कम करने वाली दवाएं और हॉर्मोनल पिल्स (गर्भनिरोधक गोलियां) से बीमारी पर काबू पाने की कोशिश की जाती है। अगर आराम नहीं मिलता तो फिर लेप्रोस्कोपी (दूरबीन वाले ऑपरेशन') के जरिए टिश्यू हटा दिया जाता है।
एंडोमेट्रियोसिस की समस्या प्रजनन क्षमता यानी फर्टिलिटी (fertility) के लिए एक बड़ी रुकावट बन सकती है। अमेरिकन सोसायटी फॉर रिप्रोडक्टिव मेडिसिन (ASRM) की रिसर्च के अनुसार, जिन महिलाओं को गर्भ ठहरने में समस्या आती है, उनमें से करीब 30 से 50% को एंडोमेट्रियोसिस हो सकती है। असल में, इस बीमारी में बढ़े हुये टिश्यू या तो फ़ैलोपियन ट्यूब्स को बंद कर देते हैं या अंडाशय (Ovary) को नुकसान पहुंचा सकते हैं, जिससे एग और स्पर्म मिल ही नहीं पाते। इसके अलावा, अंदर सूजन आने की वजह से भी गर्भ ठहरने में परेशानी होती है। यह स्थिति पेल्विक क्षेत्र यानी पेल्विक एरिया (pelvic area) में सूजन (inflammation) पैदा करती है। एंडोमेट्रियोसिस की वजह से पेट के निचले हिस्से (पेडू) में सूजन आ जाती है, जिससे बच्चा ठहरने में दिक्कत होती है। लेकिन IVF जैसी नई तकनीकें आने के बाद, अब एंडोमेट्रियोसिस से पीड़ित महिलाएं भी मां बन सकती हैं।
एंडोमेट्रियोसिस एक ऐसी बीमारी है जो शारीरिक के साथ-साथ मानसिक रूप से भी प्रभावित करती है। लेकिन अच्छी बात यह है कि अगर सही समय पर इसका पता चल जाए, तो सही इलाज से इस पर काबू किया जा सकता है। अगर आपके पेट के निचले हिस्से में दर्द है या पीरियड ठीक से नहीं आ रहे हैं, तो समय रहते डॉक्टर से मिलें। याद रखें, सही जानकारी और जागरूकता ही इस एंडोमेट्रियोसिस से बचने का पहला कदम है।
जब एंडोमेट्रियोसिस अंडाशय के अंदर तक फैल जाती है, तो वहां पुराना खून जमा होकर एक सिस्ट या गांठ बना लेता है। इस जमे हुए खून का रंग पिघली हुई चॉकलेट जैसा होता है, इसीलिए डॉक्टर इसे 'चॉकलेट सिस्ट' या एंडोमेट्रियोमा कहते हैं।
नहीं, घर पर इसका पता लगाया जाना होना मुश्किल होता है। लेकिन पीरियड्स में आपको सामान्य से ज्यादा दर्द हो और दवा लेने पर भी आराम ना मिले या या सेक्स करते समय भी दर्द हो, तो ये एंडोमेट्रियोसिस की तरफ इशारा हो सकता है। इसका पता लगाने के लिए अल्ट्रासाउंड या लेप्रोस्कोपी करवाने की जरूरत होती है।
शायद नहीं, क्योंकि एंडोमेट्रियोसिस किन वजहों से होता है, इसका कारण पूरी तरह अभी साफ नहीं हो पाया है, तो इसलिए इसे पूरी तरह रोकना मुमकिन नहीं है। हालांकि, शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन के लेवल को नियमित एक्सरसाइज और खाने में फैट (चिकनाई) कम करने से इसके ख़तरे को कम किया जा सकता है।
बहुत कम केसों में ऐसा देख गया है कि एंडोमेट्रियोसिस आगे जाकर कैंसर बनें। लैंसेट ऑन्कोलॉजी की रिसर्च के अनुसार, एंडोमेट्रियोसिस वाली महिलाओं में डिम्बग्रंथि के कैंसर यानी ओवेरियन कैंसर (ovarian cancer) का खतरा मामूली सा बढ़ सकता है।