कैसे जानें की एम्ब्रीओ ट्रांसफर के बाद प्रेगनेंसी सक्सेस हुयी है या नहीं? एम्ब्रीओ ट्रांसफर (embryo transfer) के बाद का समय हर कपल के लिए सबसे तनावपूर्ण होती हैं। महिला हर छोटी-छोटी चीजों को नोटिस करने लगती है जैसे हल्का दर्द या कुछ अलग महसूस होना। कपल के मन में यही बात चलती रहती है कि क्या ये सब ठीक है? क्या एम्ब्रीओ ठीक से इम्प्लांट हुआ है या नहीं ? इस आर्टिकल में हम समझेंगे कि एम्ब्रीओ ट्रांसफर के बाद कौन से पॉजिटिव साइन (सकारात्मक संकेत) हो सकते हैं और आपको कब चिंता करनी चाहिए।
एम्ब्रीओ ट्रांसफर या भ्रूण स्थानांतरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक मैच्योर एम्ब्रीओ (mature embryo) को महिला के गर्भाशय (यूट्रस) में रखा जाता है। यह IVF प्रोसेस का सबसे महत्वपूर्ण स्टेप है। इसके बाद एम्ब्रीओ को यूटेराइन लाइनिंग यानी गर्भाशय की दीवार से जुड़ना होता है, इसे इम्प्लांटेशन (implantation) कहते हैं।
अगर एम्ब्रीओ सफलतापूर्वक इम्प्लांट हो जाता है, तो प्रेगनेंसी सक्सेसफुल हो जाती है। एम्ब्रीओ ट्रांसफर आमतौर पर 3 से 5 दिन बाद किया जाता है।
एम्ब्रीओ ट्रांसफर के बाद महिलाएं कई बदलाव महसूस कर सकती हैं जो इम्प्लांटेशन (implantation) का संकेत हो सकते हैं:
कई महिलाओं को एम्ब्रीओ ट्रांसफर के 6 से 12 दिन बाद हल्की ब्लीडिंग या स्पॉटिंग (spotting) दिखाई दे सकती है। इसे इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग (implantation bleeding) कहा जाता है। जब एम्ब्रीओ यूटेराइन लाइनिंग से जुड़ता है, तो कुछ ब्लड वेसेल्स टूट सकती हैं, जिससे हल्की ब्लीडिंग होती है।
कुछ महिलाओं को पेट के निचले हिस्से में हल्के दर्द यानी माइल्ड क्रम्पिंग या ऐंठन महसूस हो सकती है। यह इम्प्लांटेशन के समय यूट्रस के सिकुड़ने के कारण होता है जो आमतौर पर कुछ मिनटों से लेकर कुछ घंटों तक रहता है।
IVF के बाद महिलाएं बहुत ज्यादा थकान (fatigue) महसूस कर सकती हैं। प्रोजेस्टेरोन शरीर के तापमान को बढ़ाता है, जिससे ज्यादा एनर्जी खर्च करनी पड़ती है। इसलिए ज्यादा सोना और आराम करना न केवल सामान्य है, बल्कि प्रेगनेंसी के शुरुआती स्टेप्स के लिए जरुरी भी है।
एम्ब्रीओ ट्रांसफर के बाद हार्मोन लेवल में बदलाव होता है जिससे स्तनों में भारीपन (breast tenderness) या सूजन महसूस हो सकती है। यह प्रोजेस्टेरोन (progesterone) हॉर्मोन बढ़ने की वजह से होता है। प्रोजेस्टेरोन यूट्रस को प्रेगनेंसी के लिए तैयार करता है जिससे ब्रैस्ट टिश्यूज़ भी प्रभावित होते हैं।
प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्रोजन (estrogen) जैसे हार्मोन्स मानसिक स्थिति को भी प्रभावित करते हैं जिससे इमोशनल, चिड़चिड़ापन या चिंता महसूस हो सकती है।
कुछ महिलाओं को एम्ब्रीओ ट्रांसफर के बाद मतली (nausea) या भूख में बदलाव महसूस हो सकता है। कुछ महिलाओं को कुछ खाने की चीजों के प्रति अरुचि भी हो सकती है।
हार्मोन लेवल में चेंज डाइजेस्टिव सिस्टम यानी पाचन तंत्र को भी प्रभावित करता है जिससे पाचन धीमा हो सकता है,और ब्लोटिंग महसूस हो सकती है।
हार्मोन लेवल में ज्यादा बदलाव से कभी-कभी सिरदर्द होता है।
हार्मोन की वजह से किडनी और ब्लैडर भी प्रभावित होता है जिससे बार बार पेशाब आती है।
प्रोजेस्टेरोन शरीर के तापमान को बढ़ाता है, जिससे बेसल बॉडी टेम्परेचर (BBT) हाई रहता है।
प्रेगनेंसी में सर्वाइकल म्यूकस गाढ़ा और सफ़ेद हो जाता है। यह शरीर के लिए एक प्राकृतिक सुरक्षा है।
गर्भाशय में बढ़ा हुआ ब्लड फ्लो (Flow flow) और सूजन से वेजाइनल एरिया में भारीपन महसूस होता है।
प्रोजेस्टेरोन से लिगामेंट रिलैक्स होते हैं, जिससे पीठ के निचले हिस्से में दर्द हो सकता है।
इम्प्लांटेशन के लक्षण आमतौर पर 5 से 12 दिन बाद दिखाई देते हैं, लेकिन यह हर महिला में अलग हो सकते हैं। याद रखें कि लक्षण दिखायी न देने का मतलब IVF असफल होना नहीं है।
पहले दिन आमतौर पर कोई लक्षण नहीं दिखते। शरीर अभी ट्रांसफर के प्रोसेस से रिकवर कर रहा होता है। हल्का डिस्कम्फर्ट या हल्की ब्लीडिंग सामान्य है किसी और वजह से भी हो सकती है।
अभी एम्ब्रीओ यूट्रस से जुड़ नहीं रहा है, इसलिए सामान्य तौर पर कोई लक्षण नहीं होते। कुछ महिलाएं हल्की क्रैम्पिंग महसूस कर सकती हैं।
एम्ब्रीओ गर्भाशय की दीवार में प्रोब (probe) करने लगता है। कुछ महिलाओं को हल्की क्रैम्पिंग, हल्की ब्लीडिंग, या थकान शुरू हो सकती है।
यह इम्प्लांटेशन का महत्वपूर्ण समय है। कुछ महिलाओं को इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग दिखाई दे सकती है। ब्रैस्ट में चेंज, थकान, या मूड में बदलाव भी दिखाई दे सकते हैं।
अब तक हार्मोन लेवल काफी बढ़ गया होता है, इसलिए प्रेगनेंसी के लक्षण ज्यादा स्पष्ट हो जाते हैं। थकान, स्तनों में सेंसिटिविटी, मतली जैसे सारे सिम्पटम्स दिखाई दे सकते हैं।
इस समय तक हार्मोन लेवल काफी हाई हो जाता है। अगर प्रेगनेंसी सक्सेस हो गयी है तो ब्रेस्ट में दर्द, थकान, मतली जैसे लक्षण ज्यादा स्पष्ट होने लगते हैं।
एम्ब्रीओ ट्रांसफर के 10 से 14 दिन बाद ब्लड टेस्ट (beta hCG test) के जरिये प्रेगनेंसी टेस्ट करने की सलाह दी जाती है। ब्लड टेस्ट होम प्रेगनेंसी टेस्ट से ज्यादा एक्यूरेट रिजल्ट देता है। होम टेस्ट 12 दिन बाद भी कर सकते हैं, लेकिन ब्लड टेस्ट ज्यादा भरोसेमंद होता है। अगर पहला टेस्ट पॉजिटिव है तो 48 घंटे बाद फिर से टेस्ट किया जाता है और देखा जाता है कि hCG लेवल सही तरीके से बढ़ रहा है या नहीं।
एम्ब्रीओ ट्रांसफर के बाद कुछ महिलाओं को बहुत सारे लक्षण दिखते हैं, किसी को थोड़े कम, और कुछ महिलाओं को कोई भी लक्षण दिखायी नहीं देता। इसका मतलब यह नहीं है कि प्रेगनेंसी नहीं हुई है। सही रिजल्ट के लिए सिम्पटम्स से ज़्यादा प्रेग्नेंसी टेस्ट पर भरोसा करना चाहिए। अपने डॉक्टर से नियमित संपर्क रखें, धैर्य रखें, और पॉजिटिव रहें।
10 से 14 दिन बाद ब्लड टेस्ट (beta hCG test) सबसे सटीक टेस्ट है, हालांकि होम टेस्ट 12 दिन बाद भी कर सकते हैं।
हाँ, इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग बिल्कुल सामान्य है। यह हल्की, पीली या ब्राउन रंग की होती है और कुछ घंटों से 2-3 दिन तक रहती है।
नहीं, बहुत सारी महिलाओं को कोई लक्षण नहीं होते फिर भी प्रेग्नेंसी सफल होती है - प्रेग्नेंसी टेस्ट ही असली truth बताता है।
हल्की क्रैम्पिंग आमतौर पर कुछ मिनटों से लेकर कुछ घंटों तक रहती है, लेकिन अगर दर्द ज्यादा हो तो डॉक्टर को बताएं।
कच्चा दूध, कच्चे अंडे, कच्ची या अधपकी मछली, प्रोसेस्ड मीट और ऐसे प्रोडक्ट्स जो ठीक से पकाये गए न हों क्योंकि इनमें बैक्टीरिया हो सकते हैं।
पहले 24 घंटे आराम करना चाहिए, लेकिन पूरे 2 हफ्तों तक बेड पर लेटे रहने की जरूरत नहीं है आप नार्मल काम कर सकती हैं।