IVF (इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन) के प्रोसेस से गुजरने वाले हर कपल को ये ही सवाल परेशान करता है कि भ्रूण स्थानांतरण यानी एम्ब्रीओ ट्रांसफर (Embryo Transfer) के बाद उन्हें आखिर कब गुड न्यूज़ मिलेगी? IVF pregnancy in hindi का मतलब प्रेगनेंसी के उस प्रोसेस से है, जो लैब में फर्टिलाइज़्ड एम्ब्रीओ को गर्भाशय यानी यूट्रस (Uterus) में रखने के बाद होता है। लेकिन गर्भाशय में भ्रूण को रख देने से काम पूरा नहीं हो जाता, बल्कि इसकी सफलता की चाबी 'इम्प्लांटेशन' (Implantation) है, जिसमें भ्रूण को गर्भाशय की परत से चिपकाया जाता है। प्रेगनेंसी को लेकर लोगों के मन में अनगित सवाल होते हैं, जैसे Implantation kitne din me hota hai और गर्भधारण के बारे में कब पता चलता है और इस दौरान किन किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए।
IVF प्रेगनेंसी एक असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी ART (Assisted reproductive technology) है जिसमें आम प्रेगनेंसी से अलग गर्भधारण की शुरुआत शरीर के बाहर लैब में होती है। इसमें पुरुष के शुक्राणु यानी स्पर्म (Sperm) से महिला के अंडे यानी एग (Egg) को मिलाकर एक एम्ब्रीओ बनाया जाता है। जिसके बाद इस भ्रूण को एक पतली ट्यूब की मदद से महिला के गर्भाशय में रखा जाता है।
जब एम्ब्रीओ गर्भाशय की अंदरूनी परत यानी एंडोमेट्रियम (Endometrium) से अच्छी तरह चिपक जाता है। तब इसे एम्ब्रीओ इम्प्लांटेशन कहा जाता है। अगर सब कुछ अच्छा रहे यानी इम्प्लांटेशन सफल हो जाये तब एक टेस्ट के बाद प्रेगनेंसी को कंफर्म मानी जाती है।
अक्सर ये सवाल मरीजों द्वारा पूछा जाता है कि ivf ke kitne din baad pregnancy hoti hai, आमतौर पर, एम्ब्रीओ ट्रांसफर के तकरीबन 10 से 14 दिनों के बाद ही प्रेग्नेंसी को लेकर तस्वीर साफ हो जाती है। ये वो समय होता है जब इम्प्लांटेशन का प्रोसेस पूरा हो चुका होता है और शरीर में प्रेग्नेंसी हॉर्मोन (hCG) का लेवल इतना बढ़ जाता है कि उसे ब्लड टेस्ट से मापा जा सकता है। पूरा प्रोसेस इस तरह होता है:
क्या भ्रूण बच्चेदानी से पूरी तरह से चिपक गया है? इम्प्लांटेशन के समय पर कुछ महिलाओं को महसूस होने लगता है, लेकिन इस बात की कोई गारंटी नहीं कि हर महिला को ये एहसास हो। कई बार ऐसे संकेत हॉर्मोनल दवाओं के चलते भी महसूस हो सकते हैं। इसलिए सिर्फ संकेतों के भरोसे नहीं रहना चाहिए...
ये हैं संभावित लक्षण:-
IVF ke kitne din baad pregnancy hoti hai, तो इसके कन्फर्मेशन के लिए सही समय पर टेस्ट का होना सबसे जरूरी है। कई बार जल्दबाजी के चलते रिजल्ट गलत भी आ सकता है।
एम्ब्रीओ ट्रांसफर के बाद आने वाले दो हफ्तों को बहुत नाजुक माना जाता है। इस दौरान डॉक्टर कुछ सावधानियां रखने की सलाह देते हैं
कुल मिलाकर, ivf ke kitne din baad pregnancy hoti hai का सीधा जवाब ये है कि एम्ब्रीओ ट्रांसफर के लगभग 10-14 दिनों ब्लड टेस्ट से ही खुशखबरी मिल सकती है। सब कुछ पूरी तरह 'इम्प्लांटेशन' (भ्रूण के चिपकने) पर निर्भर करता है। हालांकि हर महिला का अनुभव अलग-अलग होता है, किसी को लक्षण महसूस होते हैं और किसी को नहीं। इसलिए इससे घबराने की जरूरत नहीं है, बस सब्र रखें और डॉक्टर की सलाह पर चलें।
इस इस बात पर निर्भर करता है कि भ्रूण (Blastocyst) कितने दिन का है। अगर 5 दिन का है, तो इम्प्लांटेशन शुरू होने में 1-3 दिन लगते हैं। जबकि 3 दिन का भ्रूण हो तो ये टाइम बढ़कर 5 से 7 दिन तक का हो जाता है।
बेहतर और विश्वसनीय नतीजों के लिए एम्ब्रीओ ट्रांसफर के 12-14 दिन बाद बीटा hCG ब्लड टेस्ट करवाएं।
बेहतर और विश्वसनीय नतीजों के लिए एम्ब्रीओ ट्रांसफर के 12-14 दिन बाद बीटा hCG ब्लड टेस्ट करवाएं।
जी हां, नॉर्मल प्रेगनेंसी की तरह ही IVF वाली प्रेगनेंसी के दौरान भी एक जैसी चीजें महसूस होती हैं, जैसे मॉर्निंग सिकनेस और थकान आदि।
अगर भ्रूण बच्चेदानी की परत से ठीक से नहीं जुड़ पाता है, तो IVF साइकिल (Cycle) को असफल माना जाता है। लेकिन इसमें घबराने वाली कोई बात नहीं है, क्योंकि ये आपका आखिरी चांस नहीं है। अगली बार डॉक्टर कुछ बदलावों के साथ एक बेहतर कोशिश कर सकते हैं।
IVF के बाद बेड रेस्ट (Bed Rest) की कोई जरूरत नहीं है। नई रिसर्च भी हल्की-फुल्की डेली रूटीन फॉलो करने करने पर जोर देती है, हालांकि भारी काम और तनाव से जितना दूरी हो, उतना बनाकर चलें।