लेप्रोस्कोपी (Laparoscopy) को लेकर लोगों के मन में बहुत सवाल या डर होता है, लेकिन मेडिकल साइंस की दुनिया में ये एडवांस और सुरक्षित तकनीक है, जिसे आम भाषा में 'की-होल सर्जरी' (Keyhole Surgery) से भी कहते हैं। Laparoscopy meaning in hindi, आसान शब्दों में कहें तो यह पेट और पेल्विक (श्रोणि) अंगों की जांच और ट्रीटमेंट करने का कारगर तरीका है।
इस सर्जरी में कोई बड़े कट के बजाय एक छोटे कट की मदद से अंदर के अंगों की जांच की जाती है। आजकल इसका इस्तेमाल निःसंतानता या इनफर्टिलिटी (Infertility) से जुड़ी दिक्कतों जैसे एंडोमेट्रियोसिस, सिस्ट या बंद फैलोपियन ट्यूब का पता लगाकर, उसका इलाज करने में किया जाता है।
इलाज कराने से पहले सभी के मन में सवाल उठता है कि Laparoscopy kya hoti hai, तो इसके A to Z प्रोसेस को सिलसिलेवार समझने की जरूरत है। सबसे पहले बात करें अगर सर्जरी के लिए यूज होने वाली खास मशीन की तो इस मशीन को 'लेप्रोस्कोप' के नाम से जाना जाता है। इसमें एक पतली ट्यूब होती है जिसमें कैमरा और लाइट फिट किए जाते हैं।
सबसे अच्छी बात ये है कि इसमें कम से कम शरीर पर कट लगते हैं जिससे टांके भी आते हैं और मरीज तेजी से रिकवर करता है।
आईवीएफ (IVF) के इलाज में सफल होने के लिए गर्भाशय (यूट्रस) और प्राइवेट पार्ट्स का फिट होना बहुत जरूरी है। IVF me laparoscopy ka use का असल मकसद उन दिक्कतों से दो-चार होना होता है जो एक मां के गर्भधारण( बच्चा ठहरना) के बीच किसी तरह की रुकावट डाल सकती हैं।
लेप्रोस्कोपी के बाद, आईवीएफ में भ्रूण (एम्ब्रीओ) इम्प्लांटेशन और आगे गर्भ के सफल होने की संभावना काफी बढ़ जाती है।
सालों से चली आ रही ओपन सर्जरी (जिसमें बड़ा चीरा लगता है) की तुलना में लेप्रोस्कोपिक सर्जरी ज्यादा कारगर है और इसके कई फ़ायदे भी हैं । लेप्रोस्कोपी के फ़ायदे (Leproscopy ke fayde in Hindi):
ये पूरी तरह से इस बात पर निर्भर करता है कि सर्जरी का मकसद सिर्फ जांच था या कोई ट्रीटमेंट। आमतौर पर, ज्यादातर मरीज सर्जरी के 3 से 7 दिनों के अंदर ही हल्के-फुल्के रूटीन में दिखाई देने लगते हैं। हालांकि, पूरी तरह से ठीक होने में लगभग 2 हफ्ते लग सकते हैं। रिकवरी के समय, डॉक्टर भारी वजन न उठाने, जरूरी आराम करने और टांकों की देखभाल करने की सलाह देते हैं। हल्का भोजन और समय पर दवाइयां लेने से रिकवरी समय से हो जाती है।
हालांकि लेप्रोस्कोपिक को लेकर लोगों के मन में डर बना रहता है लेकिन ये बेहद सुरक्षित प्रोसेस है, हालाँकि किसी अन्य सर्जरी की तरह इसमें भी हल्के-फुल्के रिस्क हो सकते हैं। जब आप laparoscopy kya hota hai समझते हैं, तो लाखों में किसी एक को होने वाला खतरे को भी जानना चाहिए:
लेकिन अच्छे हॉस्पिटल में किसी अनुभवी सर्जन से लेप्रोस्कोपिक सर्जरी करवाने से ऐसे खतरों को टाला जा सकता है।
लेप्रोस्कोपी की सहायता से ना सिर्फ बीमारियों से कारगर तरीके से निपटना आसान हो जाता है बल्कि खतरों से जुड़ी सारी टेंशन लगभग गायब हो जाती है। न के बराबर दर्द का एहसास, छोटे निशान और तेज रिकवरी का भरोसा जैसे प्लस पॉइंट्स मरीजों को चिंता से मुक्त कर देते हैं।
बिल्कुल नहीं, ये ऑपरेशन एनेस्थीसिया (बेहोशी) देने के बाद ही किया जाता है ताकि मरीज को किसी भी तरह से दर्द महसूस ना हो। हालांकि ऑपरेशन के बाद कुछ दिन हल्का दर्द या बेचैनी देखने को मिल सकती है लेकिन दवा लेने से ये तकलीफ भी दूर हो जाती है।
डायग्नोस्टिक (जांच वाली) लेप्रोस्कोपी में आमतौर पर 30 से 60 मिनट का समय लगता है। अगर कोई ऑपरेशन की जरूरत है तो फिर ये 1 से 2 घंटे या उससे ज्यादा समय तक चल सकता है।
जी हां, ये उन सभी दिक्कतों का 'रामबाण' माना जाता है जो बच्चा ठहरने के बीच अड़चन पैदा करते हैं।
आमतौर पर, सर्जरी के बाद 2 से 3 दिनों तक आराम करने की सलाह दी जाती है। एक हफ्ते के अंदर पीड़ित शख्स काम पर लौट सकता है लेकिन उसको किसी भारी काम या एक्सरसाइज से तकरीबन 2-4 हफ्ते के लिए दूरी बनानी चाहिए
इसके बड़े नुकसान या साइड इफेक्ट नहीं हैं। हालांकि कुछ मरीजों को पेट में भरी गई गैस के चलते कंधे में दर्द या पेट फूलने या ब्लोटिंग (Bloating) की समस्या हो सकती है, जो एक से दो दिन में अपने आप ठीक हो जाता है।
इसका खर्च इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस शहर या हॉस्पिटल में हैं और सर्जरी कितनी बड़ी या मुश्किल है।
एंडोस्कोपी में शरीर के नेचुरल रास्तों में ट्यूब डालती है, जबकि इसके उल्ट लेप्रोस्कोपी में पेट पर एक छोटा सा कट लगाकर कैमरा डाला जाता है। लेप्रोस्कोपी का इस्तेमाल ज्यादातर पेट और बच्चेदानी के आसपास वाली जगह पेल्विक एरिया (Pelvic area) को देखने के लिए होता है।