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पीरियड का आसान भाषा में मतलब (Period Meaning in Hindi)

Last updated: December 15, 2025

Overview

हमारे समाज में आज भी पीरियड (Periods) या मासिक धर्म को लेकर दबी जुबान में बात की जाती है। कई लड़कियां इसे 'शर्म' या 'मुसीबत' मानती हैं। लेकिन सच तो यह है कि पीरियड का आना इस बात का सबसे बड़ा सबूत है कि एक महिला का शरीर पूरी तरह स्वस्थ है।

यह कोई 'गंदा खून' नहीं है, बल्कि यह एक प्राकृतिक चक्र यानी नेचुरल साइकिल है जो एक महिला को संतान पैदा करने के लिए तैयार करती है। आगे हम जानेंगे कि पीरियड असल में क्या है (period meaning in hindi), इसके दौरान शरीर में क्या बदलता है और क्या हैं दर्द से राहत पाने के आसान उपाय?

पीरियड्स क्या है

पीरियड्स वह नेचुरल प्रक्रिया है जिसमें महिला के गर्भाशय यानी यूट्रस (Uterus) की अंदरूनी परत (टिश्यू की लाइनिंग) जिसे एंडोमेट्रियम (endometrium) कहते हैं, हर महीने साफ होकर खून के रूप में बाहर निकलती है। ऐसा तब होता है जब उस मासिक चक्र या मेंस्ट्रुअल साइकिल (menstrual cycle) में ओव्यूलेशन (ovulation) के बाद एग और स्पर्म का मिलन यानी फर्टिलाइज़ेशन (fertilization) नहीं हो पाता और गर्भधारण यानी प्रेगनेंसी (pregnancy) नहीं होती। इस स्थिति में इस एंडोमेट्रियम की जरुरत नहीं रहती तब शरीर अगली साइकिल के लिए इस पुरानी परत हटा देता है, जो ब्लड के रूप में बाहर निकल जाती है। दरअसल पूरा पीरियड साइकिल ही इस बात का इशारा है कि महिला का शरीर संतान को जन्म देने और उसे संभालने की क्षमता के लिए तैयार कर रहा है।

रेगुलर पीरियड्स यह दिखाता है कि आपके हार्मोन और प्रजनन तंत्र यानी रिप्रोडक्टिव सिस्टम (reproductive system) संतुलन में काम कर रहे हैं।

पीरियड्स क्यों होते हैं?

यह सब हार्मोन की वजह से होता है। इसे 4 स्टेप में समझें:

  • जन्म देने की तैयारी: हर महीने यूट्रस के अंदर टिश्यू की लाइनिंग बनती है जिसे एंडोमेट्रियम कहते हैं। यह इसलिए बनती है ताकि फर्टिलाइजेशन के बाद भ्रूण यानी एम्ब्रीओ इन लाइनिंग से चिपक सके।
  • एग का निकलना या ओव्यूलेशन (Ovulation): ओवरी से एक एग बाहर निकलता है और स्पर्म के आने का इंतज़ार करता है।
  • ब्रेकडाउन: इस दौरान अगर एग और स्पर्म नहीं मिलते हैं यानी गर्भधारण नहीं होता है, तो शरीर को इशारा मिल जाता है कि 'अब इस एंडोमेट्रियम की कोई जरूरत नहीं है'।
  • ब्लीडिंग: तब यूट्रस एंडोमेट्रियम को तोड़ देती है और उसके टिश्यू खून के रूप में शरीर से बाहर निकल जाते हैं।

पीरियड्स का एक तय समय होता है:

  • शुरुआत: लड़कियों को पहला पीरियड अक्सर 11 से 14 साल की उम्र में आता है।
  • बंद होना (मेनोपॉज): करीब 45 से 55 साल की उम्र में पीरियड्स आना हमेशा के लिए बंद हो जाते हैं।

क्या आप जानती हैं? पीरियड के खून का रंग आपकी सेहत का हाल बताता है:

  • चमकीला लाल (Bright Red): यह बिल्कुल ताजा खून है। इसका मतलब है कि बहाव (Flow) अच्छा है और सब कुछ नॉर्मल है।
  • गहरा भूरा या काला: इसे देखकर घबराएं नहीं! यह सिर्फ 'पुराना खून' है। यह खून बच्चेदानी से बाहर निकलने में थोड़ा सुस्त था (समय ले रहा था), इसलिए इसका रंग गहरा हो गया। यह अक्सर पीरियड की शुरुआत या आखिर में दिखता है।
  • नारंगी (Orange): अगर खून का रंग संतरी या नारंगी दिखे, तो यह किसी इन्फेक्शन का इशारा हो सकता है।
  • ग्रे (Grey) + बदबू: सावधान! अगर रंग स्लेटी (Grey) है और उसमें से तेज बदबू आ रही है, तो यह गंभीर इन्फेक्शन है। बिना देर किए डॉक्टर को दिखाएं।

पीरियड्स दर्द के घरेलू और आसान उपाय

पीरियड के दर्द के लिए हर बार दवा खाना ठीक नहीं है। पहले घर के ये 5 पक्के इलाज आजमाकर देखें:

  • गर्म सिकाई (Hot Water Bag): पेट के निचले हिस्से और कमर पर गर्म पानी की थैली रखें। गर्माहट से अंदर की मांसपेशियों की जकड़न खुलती है और दर्द में तुरंत आराम मिलता है।
  • अजवाइन और गुड़ का पानी: पानी में थोड़ी अजवाइन और गुड़ उबालकर चाय की तरह पिएं। यह पुराने जमाने का रामबाण नुस्खा है। इसकी तासीर गर्म होती है, जिससे रुका हुआ फ्लो खुलता है और पेट की मरोड़ कम होती है।
  • अदरक वाली चाय: अदरक वाली चाय पिएं। अदरक में सूजन और दर्द कम करने की कुदरती ताकत होती है।
  • हल्की मालिश: तिल या नारियल तेल को थोड़ा गुनगुना करें और नाभि के पास बिल्कुल हल्के हाथ से गोल-गोल मालिश करें।
  • एक जगह लेटे न रहें: दर्द में बिस्तर पर पड़े रहने से दर्द और बढ़ सकता है। थोड़ा टहलें या 'बटरफ्लाई आसन' करें। इससे पेट के निचले हिस्से में खून का दौरा (Circulation) बढ़ता है, जिससे दर्द कम होता है।

पीरियड हाइजीन: पैड, टैम्पोन या कप?

साफ-सफाई ही सबसे बड़ा बचाव है। पुराने गंदे कपड़े का इस्तेमाल बिल्कुल न करें, इससे गंभीर इन्फेक्शन (बीमारी) हो सकता है। आज के समय में आपके पास ये 3 बेहतर विकल्प हैं:

  • सैनिटरी पैड्स (Pads): यह सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता है। बस एक नियम याद रखें... चाहे फ्लो कम हो या पैड सूखा ही क्यों न लगे, उसे हर 4 से 6 घंटे में बदल दें। ज्यादा देर रखने से कीटाणु पैदा होते हैं।
  • टैम्पोन (Tampon): यह रुई की एक छोटी बत्ती जैसा होता है जिसे अंदर (प्राइवेट पार्ट) डाला जाता है। अगर आप तैरना (Swimming) या खेलकूद पसंद करती हैं, तो यह आपके लिए बेस्ट है। इसे भी 4-8 घंटे में बदलना जरूरी है।
  • मेंस्ट्रुअल कप (Menstrual Cup): यह सिलिकॉन का बना एक छोटा कप है। यह खून को सोखता नहीं, बल्कि इकट्ठा करता है। फायदा: यह सबसे सस्ता पड़ता है (एक कप सालों चलता है) और इसे 8-10 घंटे तक बदलने की झंझट नहीं होती।

पीरियड डाइट: क्या खाएं, क्या छोड़ें?

खाने में ये चीजें आजमाएं:

  • आयरन: पालक, मेथी, खजूर, बीन्स (खून की कमी पूरी करने के लिए)।
  • विटामिन C: संतरा, नींबू पानी (आयरन सोखने के लिए)।
  • डार्क चॉकलेट: यह मूड स्विंग्स और तनाव को कम करती है।
  • पानी: दिन भर खूब पानी पिएं, इससे सूजन (Bloating) कम होती है।

ऐसी चीजों से बचना चाहिए:

  • चाय-कॉफी कम करें: इसमें कैफीन होता है। ज्यादा पीने से नसें सिकुड़ती हैं, जिससे दर्द और मरोड़ बढ़ जाती है।
  • नमक और चिप्स कम खाएं: ज्यादा नमक वाली चीजें (जैसे चिप्स, पापड़) खाने से शरीर पानी सोख लेता है। इससे पेट फूला-फूला (Bloating) और भारी लगता है।

डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए?

थोड़ा-बहुत दर्द होना तो आम बात है, लेकिन अगर आपके साथ इनमें से कुछ भी हो रहा है, तो इसे बिल्कुल अनदेखा न करें, तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।

  • लंबा पीरियड: अगर ब्लीडिंग 7 दिन से ज्यादा लगातार चल रही हो।
  • बड़े थक्के: अगर खून के साथ बहुत बड़े-बड़े थक्के (लोथड़े) निकल रहे हों, बिल्कुल सिक्के के आकार जितने।
  • बहुत तेज बहाव: अगर फ्लो इतना तेज हो कि हर एक घंटे में आपका पैड पूरा भर जाए।
  • पीरियड गायब होना: अगर आप प्रेग्नेंट नहीं हैं, फिर भी लगातार 3 महीने तक पीरियड न आए।
  • बीच में धब्बे: अगर पीरियड की तारीख के अलावा, महीने के बीच में भी खून के धब्बे (Spotting) दिखें।

समाज के मिथक और सच्चाई (Myths Vs Facts)

मिथक: पीरियड में अचार छूने से वह सड़ जाता है।

सच: यह बात पूरी तरह गलत है। अचार तभी खराब होता है जब उसमें गीले हाथ या गंदगी जाए। पीरियड का अचार खराब होने से कोई लेना-देना नहीं है। यह सिर्फ एक पुराना वहम है।

मिथक: पीरियड में सिर (बाल) नहीं धोना चाहिए।

सच: उल्टा, गुनगुने पानी से नहाने और सिर धोने से आप तरोताजा महसूस करती हैं और दर्द में भी आराम मिलता है। इससे ब्लीडिंग पर कोई बुरा असर नहीं पड़ता।

मिथक: यह गंदा खून होता है।

सच: बिल्कुल नहीं! यह वही लाल खून है जो आपकी नसों में बहता है, बस इसमें थोड़े टिशू (परत) मिले होते हैं। इसे 'अशुद्ध' या 'जहरीला' समझना बंद करें।

निष्कर्ष (Conclusion)

पीरियड्स कोई बीमारी नहीं, बल्कि एक 'सुपरपावर' है। एक ऐसी खास ताकत जो कुदरत ने सिर्फ महिलाओं को दी है (नई जिंदगी देने की)। अपने शरीर के इशारों को समझें। अगर तारीख बहुत ज्यादा गड़बड़ हो रही है या दर्द बर्दाश्त से बाहर है, तो 'गूगल वाले डॉक्टर' से दवा पूछने के बजाय, किसी अच्छी लेडी डॉक्टर (Gynecologist) से सलाह लें।

पीरियड्स के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

क्या पीरियड के दौरान सेक्स करने से प्रेगनेंसी हो सकती है?

 

हाँ, पीरियड के दौरान भी प्रेगनेंसी मुमकिन है क्योंकि स्पर्म महिला के शरीर में 5 दिनों तक जीवित रह सकते हैं। अगर किसी की साइकिल छोटी है, तो पीरियड खत्म होते ही ओव्यूलेशन हो सकता है और पहले से मौजूद स्पर्म से गर्भ ठहर सकता है। इसलिए इसे सुरक्षित मानकर लापरवाही न करें।

अगर प्रेगनेंसी नहीं है, तो पीरियड मिस होने के क्या कारण हो सकते हैं?

 

पीरियड मिस होने का कारण सिर्फ प्रेगनेंसी नहीं है। अत्यधिक तनाव (Stress), वजन का अचानक घटना-बढ़ना और PCOD/PCOS या थायराइड जैसी हार्मोनल समस्याएं भी इसका मुख्य कारण हैं। इसके अलावा, शरीर में खून की कमी या बहुत ज्यादा कसरत (Exercise) करने से भी साइकिल बिगड़ सकती है।

नॉर्मल पीरियड साइकिल कितने दिन की होनी चाहिए?

 

पीरियड साइकिल का मतलब है एक पीरियड के पहले दिन से अगले पीरियड तक का समय। वैसे तो 28 दिन को आदर्श माना जाता है, लेकिन 21 से 35 दिनों के बीच का अंतर मेडिकली बिल्कुल नॉर्मल है। हर महीने तारीख का 2-4 दिन ऊपर-नीचे होना नॉर्मल है, लेकिन अगर गैप लगातार 35 दिन से ज्यादा हो, तो इसे अनियमित माना जाएगा।

**Disclaimer: The information provided here serves as a general guide and does not constitute medical advice. We strongly advise consulting a certified fertility expert for professional assessment and personalized treatment recommendations.
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