हमारे समाज में आज भी पीरियड (Periods) या मासिक धर्म को लेकर दबी जुबान में बात की जाती है। कई लड़कियां इसे 'शर्म' या 'मुसीबत' मानती हैं। लेकिन सच तो यह है कि पीरियड का आना इस बात का सबसे बड़ा सबूत है कि एक महिला का शरीर पूरी तरह स्वस्थ है।
यह कोई 'गंदा खून' नहीं है, बल्कि यह एक प्राकृतिक चक्र यानी नेचुरल साइकिल है जो एक महिला को संतान पैदा करने के लिए तैयार करती है। आगे हम जानेंगे कि पीरियड असल में क्या है (period meaning in hindi), इसके दौरान शरीर में क्या बदलता है और क्या हैं दर्द से राहत पाने के आसान उपाय?
पीरियड्स वह नेचुरल प्रक्रिया है जिसमें महिला के गर्भाशय यानी यूट्रस (Uterus) की अंदरूनी परत (टिश्यू की लाइनिंग) जिसे एंडोमेट्रियम (endometrium) कहते हैं, हर महीने साफ होकर खून के रूप में बाहर निकलती है। ऐसा तब होता है जब उस मासिक चक्र या मेंस्ट्रुअल साइकिल (menstrual cycle) में ओव्यूलेशन (ovulation) के बाद एग और स्पर्म का मिलन यानी फर्टिलाइज़ेशन (fertilization) नहीं हो पाता और गर्भधारण यानी प्रेगनेंसी (pregnancy) नहीं होती। इस स्थिति में इस एंडोमेट्रियम की जरुरत नहीं रहती तब शरीर अगली साइकिल के लिए इस पुरानी परत हटा देता है, जो ब्लड के रूप में बाहर निकल जाती है। दरअसल पूरा पीरियड साइकिल ही इस बात का इशारा है कि महिला का शरीर संतान को जन्म देने और उसे संभालने की क्षमता के लिए तैयार कर रहा है।
रेगुलर पीरियड्स यह दिखाता है कि आपके हार्मोन और प्रजनन तंत्र यानी रिप्रोडक्टिव सिस्टम (reproductive system) संतुलन में काम कर रहे हैं।
यह सब हार्मोन की वजह से होता है। इसे 4 स्टेप में समझें:
पीरियड के दर्द के लिए हर बार दवा खाना ठीक नहीं है। पहले घर के ये 5 पक्के इलाज आजमाकर देखें:
साफ-सफाई ही सबसे बड़ा बचाव है। पुराने गंदे कपड़े का इस्तेमाल बिल्कुल न करें, इससे गंभीर इन्फेक्शन (बीमारी) हो सकता है। आज के समय में आपके पास ये 3 बेहतर विकल्प हैं:
थोड़ा-बहुत दर्द होना तो आम बात है, लेकिन अगर आपके साथ इनमें से कुछ भी हो रहा है, तो इसे बिल्कुल अनदेखा न करें, तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।
सच: यह बात पूरी तरह गलत है। अचार तभी खराब होता है जब उसमें गीले हाथ या गंदगी जाए। पीरियड का अचार खराब होने से कोई लेना-देना नहीं है। यह सिर्फ एक पुराना वहम है।
सच: उल्टा, गुनगुने पानी से नहाने और सिर धोने से आप तरोताजा महसूस करती हैं और दर्द में भी आराम मिलता है। इससे ब्लीडिंग पर कोई बुरा असर नहीं पड़ता।
सच: बिल्कुल नहीं! यह वही लाल खून है जो आपकी नसों में बहता है, बस इसमें थोड़े टिशू (परत) मिले होते हैं। इसे 'अशुद्ध' या 'जहरीला' समझना बंद करें।
पीरियड्स कोई बीमारी नहीं, बल्कि एक 'सुपरपावर' है। एक ऐसी खास ताकत जो कुदरत ने सिर्फ महिलाओं को दी है (नई जिंदगी देने की)। अपने शरीर के इशारों को समझें। अगर तारीख बहुत ज्यादा गड़बड़ हो रही है या दर्द बर्दाश्त से बाहर है, तो 'गूगल वाले डॉक्टर' से दवा पूछने के बजाय, किसी अच्छी लेडी डॉक्टर (Gynecologist) से सलाह लें।
हाँ, पीरियड के दौरान भी प्रेगनेंसी मुमकिन है क्योंकि स्पर्म महिला के शरीर में 5 दिनों तक जीवित रह सकते हैं। अगर किसी की साइकिल छोटी है, तो पीरियड खत्म होते ही ओव्यूलेशन हो सकता है और पहले से मौजूद स्पर्म से गर्भ ठहर सकता है। इसलिए इसे सुरक्षित मानकर लापरवाही न करें।
पीरियड मिस होने का कारण सिर्फ प्रेगनेंसी नहीं है। अत्यधिक तनाव (Stress), वजन का अचानक घटना-बढ़ना और PCOD/PCOS या थायराइड जैसी हार्मोनल समस्याएं भी इसका मुख्य कारण हैं। इसके अलावा, शरीर में खून की कमी या बहुत ज्यादा कसरत (Exercise) करने से भी साइकिल बिगड़ सकती है।
पीरियड साइकिल का मतलब है एक पीरियड के पहले दिन से अगले पीरियड तक का समय। वैसे तो 28 दिन को आदर्श माना जाता है, लेकिन 21 से 35 दिनों के बीच का अंतर मेडिकली बिल्कुल नॉर्मल है। हर महीने तारीख का 2-4 दिन ऊपर-नीचे होना नॉर्मल है, लेकिन अगर गैप लगातार 35 दिन से ज्यादा हो, तो इसे अनियमित माना जाएगा।