प्रेगनेंसी के दौरान होने वाले अल्ट्रासाउंड बच्चे की ग्रोथ, हैल्थ और डेवलपमेंट को समझने के लिए बेहद जरूरी होता है। ये स्कैन न सिर्फ मां और उसकी होने वाली संतान के स्वास्थ्य की सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं, बल्कि डॉक्टरों को यह जानने में भी मदद करते हैं कि प्रेगनेंसी नॉर्मल तरीके से आगे बढ़ रही है या नहीं। इस आर्टिकल में हम से समझेंगे कि pregnancy me kitne ultrasound hote hai, हर अल्ट्रासाउंड का समय क्या होता है, वे कौन-सी महत्वपूर्ण जानकारी देते हैं और किन परिस्थितियों में एक्स्ट्रा स्कैन की जरूरत पड़ सकती है।
नार्मल और हेल्दी प्रेगनेंसी में आमतौर पर 3 से 5 अल्ट्रासाउंड किए जाते हैं। अल्ट्रासाउंड की संख्या मां के स्वास्थ्य, अगर दूसरी या तीसरी प्रेगनेंसी है तो पिछली प्रेगनेंसी के अनुभव, किसी मेडिकल कंडीशन या बच्चे की ग्रोथ से जुड़ी जरूरतों के अनुसार बढ़ भी सकती है।
हर अल्ट्रासाउंड एक स्पेशल जरुरत के लिए किया जाता है। कुछ कंपलसरी अल्ट्रासाउंड नीचे दिए गए हैं।
यह पहला स्कैन प्रेगनेंसी कन्फर्म करने (गर्भावस्था की पुष्टि) और एम्ब्रीओ (भ्रूण) की शुरुआती स्थिति जानने के लिए किया जाता है।इसे 'डेटिंग स्कैन' (Dating Scan) भी कहा जाता है, क्योंकि इसके ज़रिए जेस्टेशनल एज (Gestational Age), यानी गर्भ की सही उम्र का पता लगाया जाता है। इस स्कैन के ज़रिए डॉक्टर नीचे लिखी बातों का पता लगाते हैं:
प्रेगनेंसी की शुरुआती समस्याओं को पहचानने में यह स्कैन बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है।
यह स्कैन आमतौर पर प्रेगनेंसी के 18 से 22 हफ़्ते के बीच होता है। इसे 'एनॉमली स्कैन' या 'डिटेल्ड स्कैन' कहते हैं। इसमें भ्रूण के सिर से पाँव तक पूरे शरीर की जाँच करते हैं जिससे यह पता लगाया जा सके कि सब कुछ नॉर्मल तरीके से डेवेलोप हो रहा है या नहीं।
डॉक्टर इस स्कैन में मुख्य रूप से नीचे लिखी चीज़ें देखते हैं:
यह बहुत जरुरी स्कैन होता है क्योंकि इसमें बच्चे के स्वास्थ्य और उसकी फिजिकल ग्रोथ की सबसे डिटेल्ड जाँच होती है।
यह स्कैन प्रेगनेंसी के थर्ड ट्राइमेस्टर में किया जाता है। इसमें यह देखना होता है कि प्रेगनेंसी का अंतिम समय किस तरह आगे बढ़ रहा है और डिलीवरी की तैयारी कैसी है।
इस स्कैन के ज़रिए डॉक्टर निम्न बातों का पता लगाते हैं:
यह स्कैन डॉक्टरों को यह तय करने में मदद करता है कि नार्मल डिलीवरी हो पाएगी या ऑपरेशन (C-section करना पड़ेगा। इसके अलावा किसी विशेष सावधानी की ज़रूरत पड़ेगी या नहीं।
कुछ स्थितियों में डॉक्टर रेगुलर इंटरवल पर अतिरिक्त अल्ट्रासाउंड करवाने की सलाह देते हैं, जिससे मां और भ्रूण दोनों के स्वास्थ्य मॉनिटर किया जा सके।
नीचे दी गयी कुछ स्थितियों में ज्यादा स्कैन जरूरी हो सकते हैं, जैसे:
इन स्थितियों में डॉक्टर अक्सर हर 2–4 हफ़्तों में अल्ट्रासाउंड करवाने की सलाह देते हैं, ताकि किसी कम्प्लीकेशन को शुरू में ही पहचान कर उससे भ्रूण की सुरक्षा की जा सके।
अल्ट्रासाउंड एक साउंड वेव आधारित टेक्नोलॉजी है जिसमें किसी भी तरह के रेडिएशन का उपयोग नहीं होता। यही कारण है कि इसे प्रेगनेंसी के दौरान सेफ माना जाता है। फिर भी अल्ट्रासाउंड केवल प्रशिक्षित और सर्टिफाइड (certified) एक्सपर्ट द्वारा ही कराया जाए, जिससे सही रिजल्ट मिल सके। अल्ट्रासाउंड का उद्देश्य केवल मेडिकल जांच होना चाहिए, मनोरंजन या उत्सुकता (curiosity) के लिए बार-बार स्कैन करवाने की सलाह नहीं दी जाती।
प्रेगनेंसी में अल्ट्रासाउंड बच्चे की ग्रोथ और डेवलपमेंट समझने का एक भरोसेमंद और सेफ तरीका है। स्वस्थ गर्भावस्था में जहां 3 से 5 स्कैन पर्याप्त होते हैं, वहीं हाई-रिस्क प्रेग्नेन्सीज़ में एक्स्ट्रा मॉनिटरिंग जरूरी हो सकती है। हर स्कैन का अपना एक महत्व है, पहला स्कैन प्रेगनेंसी कन्फर्म करता है, दूसरा स्कैन बच्चे के अंगों की संरचना की जांच करता है, और ट्राई-सेमेस्टर का स्कैन सेफ डिलीवरी की योजना बनाने में मदद करता है। इसलिए, जरूरतों के अनुसार डॉक्टर की सलाह पर अल्ट्रासाउंड की संख्या तय करें और जानें कि pregnancy me kitne ultrasound hote hai क्योंकि यह हर महिला के लिए यह संख्या अलग हो सकती है।
सामान्य गर्भावस्था में लगभग 3 से 5 अल्ट्रासाउंड काफी होते हैं।
नहीं, जब तक कोई मेडिकल समस्या न हो, हर महीने अल्ट्रासाउंड की आवश्यकता नहीं होती।
नहीं, यह सुरक्षित टेक्नोलॉजी है क्योंकि इसमें साउंड वेव्स का उपयोग होता है, रेडिएशन का नहीं।
अधिकतर मामलों में 32 से 36 सप्ताह के बीच आखिरी स्कैन किया जाता है।
स्थिति के अनुसार 2 से 4 हफ्ते के अंतर पर कई स्कैन किए जा सकते हैं।
लेवल 3 या डिटेल्ड स्कैन तब किया जाता है जब एनाटोमी या ग्रोथ को लेकर कोई डाउट हो।
9वें महीने में ग्रोथ और पोजीशन स्कैन किया जाता है, यदि जरूरत हो तो BPP यानी बायोफिज़िकल प्रोफाइल (biophysical profile) भी किया जा सकता है।
अनावश्यक स्कैनिंग की जरूरत नहीं होती, लेकिन मेडिकल आवश्यकता होने पर बार-बार स्कैन सुरक्षित माने जाते हैं।