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प्रेग्नेंट कैसे होते हैं, सही समय क्या है और क्या है गर्भधारण की पूरी प्रक्रिया?

Last updated: December 15, 2025

Overview

प्रेग्नेंट कैसे होते हैं (pregnant kaise hote hai)? यह सवाल हर कपल के मन में तब आता है, जब कई महीनों की कोशिश के बाद भी गर्भ धारण नहीं होता। बहुत लोग सोचते हैं कि प्रेगनेंसी (pregnancy) सिर्फ़ किस्मत की बात है, लेकिन सच यह है कि यह एक बहुत ही सटीक बायोलॉजिकल (biological) प्रोसेस है। जब शरीर के अंदर सही समय पर सही चीज़ें हों, तभी संतान कंसीव (conceive) हो पाती है।

नेचरल तरीके से प्रेगनेंसी तीन बातों पर टिकी होती है, अंडे यानी एग का समय पर बनना, स्वस्थ शुक्राणु मतलब स्पर्म का एग तक पहुँचना और फिर बनने वाले भ्रूण यानी एम्ब्रीओ (embryo) का गर्भाशय (यूट्रस - Uterus) में सही तरह लग जाना। ज़्यादातर कपल्स में यह प्रक्रिया अपने आप हो जाती है। लेकिन कुछ स्थितियों में शरीर का यह नेचरल बैलेंस बिगड़ जाता है, और प्रेगनेंसी मुश्किल हो जाती है। इस स्थिति में IUI और IVF। जैसे तरीकों से उन कपल्स को भी आसानी से प्रेगनेंसी हो जाती है जिन्हें नेचुरल तरीके से प्रेग्नेंट होने में समस्या हो रही हो।

इस आर्टिकल में हम आसान भाषा में समझेंगे कि नेचुरल तरीके से pregnancy kaise hoti hai और IVF/IUI se pregnancy kaise hoti hai, इसके अलावा प्रेग्नेंट होने के उपायों को कैसे बढ़ाया जा सकता है।

नेचुरल तरीके से प्रेग्नेंट कैसे होते हैं? (Pregnant Kaise Hote hain)

प्रेग्नेंट होने की प्रक्रिया: ओव्यूलेशन से इम्प्लांटेशन तक

नेचुरल प्रेगनेंसी के मुख्य रूप से चार स्टेप होते हैं। इसे जानना इसलिए जरूरी है ताकि आप समझ सकें कि आप कहां गलती कर रहे हैं।

  • अंडे का मैच्योर होकर निकलना यानी ओवुलेशन (Ovulation): महिला के अंडाशय मतलब ओवरी (Ovary) से हर महीने एक मैच्योर एग निकलता है।
  • ट्रांसपोर्ट (Transport): यह एग फैलोपियन ट्यूब में आता है और वहां सिर्फ 12 से 24 घंटे तक ही जिंदा रहता है।
  • फर्टिलाइजेशन (Fertilization): अगर इस दौरान शारीरिक संबंध बनायें और स्पर्म फैलोपियन ट्यूब तक पहुँच जाए, तो वह एग के अंदर घुसकर उसे फर्टिलाइज़ कर एम्ब्रीओ (Embryo) बना देता है। इस प्रोसेस को फर्टिलाइजेशन कहते हैं।
  • इंप्लांटेशन (Implantation): अब यह भ्रूण यानी एम्ब्रीओ लुढ़कते हुए यूट्रस में आता है और वहां चिपक जाता है।

प्रेग्नेंट होने का सबसे सही समय या फर्टाइल विंडो (Fertile Window)

ज्यादातर लोग सोचते हैं कि एग निकलने का समय यानी ओव्यूलेशन वाले दिन शारीरिक संबंध बनाया जाए तभी प्रेगनेंसी होती है। लेकिन यहां एक मेडिकल ट्विस्ट (Medical Twist) है।

  • अंडे की उम्र: केवल 24 घंटे।
  • स्पर्म की उम्र: महिला के शरीर में 5 दिन तक।

इसलिए, सही प्लान यह है कि ओव्यूलेशन से पहले संबंध बनाएं। ताकि जब अंडा निकले, तो स्पर्म वहां पहले से मौजूद हों जिससे फर्टिलाइजेशन आसान हो जाये। ओव्यूलेशन का दिन और उससे पहले के 5 दिन, इसे 'फर्टाइल विंडो' कहते हैं।

कब है प्रेगनेंसी का सबसे ज्यादा चांस?

  • दिन 1-5 (पीरियड्स/माहवारी): इस समय पीरियड चल रहे होते हैं, इसलिए प्रेगनेंसी के चांस न के बराबर होते हैं।
  • दिन 6-9 (एग की तैयारी): अंडाशय में एग अभी मैच्योर (तैयार) हो रहा होता है, इसलिए इस दौरान भी चांस बहुत कम होता है।
  • दिन 10-14 (फर्टाइल विंडो): यह ओव्यूलेशन का समय है। इसे 'गोल्डन पीरियड' भी कह सकते हैं, क्योंकि इस दौरान प्रेगनेंसी के चांस सबसे ज्यादा होते हैं।
  • दिन 15-28 (अगले पीरियड की ओर): इस समय शरीर अगले पीरियड की तैयारी शुरू कर देता है, जिससे कंसीव करने की संभावना बहुत कम या शून्य हो जाती है।

ओव्यूलेशन पहचानने के वो तरीके जो कैलेंडर नहीं बताता

सिर्फ फोन के ऐप या कैलेंडर पर भरोसा करना धोखा दे सकता है, क्योंकि स्ट्रैस या बुखार से ओव्यूलेशन की तारीख आगे-पीछे हो सकती है। इसीलिए पहले अपने शरीर की सुनें:

  • कच्चे अंडे जैसा डिस्चार्ज: जब आप ओव्यूलेट करने वाली होती हैं, तो प्राइवेट पार्ट से निकलने वाला डिस्चार्ज (Cervical Mucus) बिल्कुल कच्चे अंडे की सफेदी (Raw Egg White) जैसा पारदर्शी, चिपचिपा और खिंचने वाला हो जाता है। स्पर्म की मदद का यह नेचुरल तरीका है।
  • हल्का दर्द: पेट के एक हिस्से में हल्का मीठा दर्द महसूस होना।
  • ओव्यूलेशन किट: बाजार में मिलने वाली किट से आप LH हार्मोन चेक कर सकती हैं। जब यह पॉजिटिव आए, तो समझें अगले 24-36 घंटों में अंडा निकलने वाला है।

नेचुरल प्रेगनेंसी में किन समस्याओं से दिक्कत आती है?

महिलाओं में अगर नीचे लिखी कोई समस्या हो तो नेचुरल प्रेगनेंसी में हो जाती है

  • पी.सी.ओ.एस (PCOS)
  • लो ए.एम.एच (AMH) या एग की संख्या कम होना
  • फैलोपियन ट्यूब का ब्लॉक होना
  • एंडोमेट्रियोसिस (endometriosis)
  • पीरियड्स का अनियमित होना

वहीं पुरुषों में निम्न समस्याएं होने पर नेचुरली प्रेगनेंट होने में दिक्कत आती है।

  • स्पर्म की संख्या कम मतलब लो स्पर्म काउंट अथवा निल स्पर्म
  • स्पर्म की गति कम यानी मोटिलिटी सही न होना
  • स्पर्म की बनावट असामान्य

इनमें से किसी भी कारण से नेचुरल प्रेगनेंसी में समस्या हो सकती है। ऐसे में ए.आर.टी. टेक्नोलॉजी जैसे आईयूआई, आईवीएफ और आई.सी.एस.आई (ICSI) प्रेगनेंट होने में मदद कर सकती हैं।

ART क्या है? (Assisted Reproductive Technology)

ए.आर.टी. ऐसे मेडिकल तरीके हैं जो नेचुरली प्रेगनेंट न होने की कंडीशन में टेक्नोलॉजी की मदद से प्रेगनेंसी संभव कर सकते हैं।

भारत में ए.आर.टी. के पॉपुलर तरीके नीचे दिए गए हैं।

  • आईयूआई (IUI) यानी इंट्रा-यूटेराइन इन्सेमिनेशन (Intrauterine Insemination)
  • आईवीएफ (IVF) यानी इन-विट्रो फ़र्टिलाइज़ेशन (In-Vitro Fertilization)
  • आई.सी.एस.आई (ICSI) यानी इंट्रा-साइटोप्लाज़्मिक स्पर्म इंजेक्शन (Intra-Cytoplasmic Sperm Injection)
  • डोनर एग / डोनर स्पर्म (Donor Egg / Donor Spperm)

IUI से प्रेग्नेंट कैसे होते हैं?

आईयूआई एक आसान प्रक्रिया है जिसमें ओव्यूलेशन के आसपास लैब में तैयार किए गए स्वस्थ स्पर्म को सीधे यूट्रस में ट्रांसफर कर दिया जाता है। इससे स्पर्म को लंबी दूरी तय नहीं करनी पड़ती जिससे प्रेग्नेंसी की संभावना बढ़ जाती है।

IVF से प्रेग्नेंट कैसे होते हैं?

आईवीएफ उन कपल्स के लिए बड़ा सहारा है जिनके लिए नेचुरल गर्भधारण मुश्किल हो रहा हो जैसे फैलोपियन ट्यूब ब्लॉक हों, अंडों की संख्या कम हो या आईयूआई काम न कर रहा हो। आईवीएफ में प्रेगनेंसी नेचुरल प्रेगनेंसी जैसी ही होती है। फर्क सिर्फ़ इतना है कि IVF में फर्टिलाइजेशन लैब में होता है।

डोनर एग / डोनर स्पर्म से प्रेगनेंसी

जब ए.एम.एच बहुत कम हो, एग ठीक क्वालिटी के न बन रहे हों, परिवार में कोई आनुवंशिक समस्या का डर हो या स्पर्म इतना कमज़ोर हो कि नेचुरल प्रेगनेंसी ही न हो पा रही हो तब डॉक्टर डोनर टेक्नीक के बारे में सलाह देते हैं। डोनर एग या स्पर्म सुरक्षित और गोपनीय तरीके से इस्तेमाल किए जाते हैं, और अगर ज़रूरत हो तो एम्ब्रीओ डोनेशन भी एक ऑप्शन होता है।

ICSI से प्रेगनेंसी

आई.सी.एस.आई आईवीएफ का एडवांस रूप है, जिसमें एक ही स्पर्म को सीधे एग में डाल दिया जाता है।डॉक्टर ICSI की सलाह तब देते हैं जब स्पर्म की क्वालिटी ख़राब होती है।

जल्दी प्रेगनेंट होने के टिप्स

  • प्रेगनेंसी की कोशिश करते समय यह ध्यान रखें कि आप फर्टाइल विंडो में शारीरिक संबंध बनाएँ, ताकि एग और स्पर्म के मिलने की संभावना स्वाभाविक रूप से बढ़ सके।
  • अपने स्ट्रैस को जितना हो सके कम रखें, क्योंकि प्रेग्नेंट होने के लिए मानसिक शांति भी जरुरी होती है।
  • स्मोकिंग और शराब से दूरी बनाएँ, क्योंकि ये दोनों चीज़ें फ़र्टिलिटी पर बुरा असर डालती हैं।
  • डॉक्टर की सलाह से फॉलिक एसिड शुरू करें, ताकि शरीर प्रेगनेंसी के लिए पोषक स्तर पर तैयार हो सके।
  • अपनी डाइट को पौष्टिक रखें और नींद पूरी लें, क्योंकि स्वस्थ रूटीन फ़र्टिलिटी हैल्थ को मजबूत करता है।
  • शुरुआती जांच, जैसे ए.एम.एच और सीमन एनालिसिस, समय पर करवा लें ताकि आपको अपनी फ़र्टिलिटी की स्थिति साफ-साफ समझ में आ सके।
  • ध्यान रखें कि उम्र बढ़ने के साथ प्रजनन क्षमता (फ़र्टिलिटी कैपेसिटी) स्वाभाविक रूप से कम होती है, इसलिए कोशिश शुरू करने में अनावश्यक देरी न करें।

निष्कर्ष (Conclusion)

प्रेग्नेंट होना (Conceive करना) धैर्य और समझदारी का काम है, चाहे आप नेचुरल तरीके से कंसीव करें या IUI/IVF जैसी टेक्नोलॉजी की मदद से।

अगर आप अपनी 'फर्टाइल विंडो' का ध्यान रखें, सही लुब्रिकेंट चुनें और टेंशन फ्री रहें, तो सफलता के चांस बहुत बढ़ जाते हैं। अगर नेचुरल तरीके से प्रेगनेंसी नहीं हो पा रही तो निराश न हों, IVF जैसी टेक्निक ने लाखों कपल्स को संतान का सुख दिया है । सही समय पर सही सलाह लेना ही सफलता की कुंजी है।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

क्या संबंध बनाने के अलावा भी प्रेग्नेंट होने का कोई तरीका है?

 

जी हाँ। अगर नेचुरल तरीके से प्रेगनेंसी न हो रही हो तो IUI, IVF जैसे तरीकों से प्रेगनेंट हुआ जा सकता है ।

नेचुरल प्रेगनेंसी और IVF वाली प्रेगनेंसी में क्या अंतर है?

 

प्रक्रिया के अलावा कोई अंतर नहीं है। नेचुरल में फर्टिलाइजेशन शरीर के अंदर होता है, जबकि IVF में लैब के अंदर। एक बार जब बच्चा यूट्रस में चिपक जाता है, तो उसके बाद सब कुछ बिल्कुल नॉर्मल प्रेगनेंसी जैसा ही होता है।

मुझे कैसे पता चलेगा कि मैं ओव्यूलेट कर रही हूँ या नहीं?

 

अगर आपके पीरियड्स रेगुलर हैं, तो आप ओव्यूलेट कर रही हैं। इसके अलावा, 'एग-व्हाइट' जैसा डिस्चार्ज और ओव्यूलेशन किट का इस्तेमाल करके आप पक्का कर सकती हैं।

क्या लुब्रिकेंट का इस्तेमाल प्रेगनेंसी रोकता है?

 

साधारण लुब्रिकेंट्स (और यहां तक कि थूक/Saliva भी) स्पर्म की स्पीड को धीमा कर सकते हैं या मार सकते हैं। कोशिश करें कि फोरप्ले (Foreplay) बढ़ाएं या फिर विशेष 'स्पर्म-फ्रेंडली' लुब्रिकेंट का ही इस्तेमाल करें।

क्या गोली (Contraceptive Pill) बंद करने के तुरंत बाद प्रेगनेंसी हो सकती है?

 

हाँ, गोली बंद करने के तुरंत बाद भी प्रेगनेंसी हो सकती है, क्योंकि दवा रुकते ही शरीर अपना नेचुरल ओव्यूलेशन जल्दी दोबारा शुरू कर सकता है।

**Disclaimer: The information provided here serves as a general guide and does not constitute medical advice. We strongly advise consulting a certified fertility expert for professional assessment and personalized treatment recommendations.
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