प्रेग्नेंट कैसे होते हैं (pregnant kaise hote hai)? यह सवाल हर कपल के मन में तब आता है, जब कई महीनों की कोशिश के बाद भी गर्भ धारण नहीं होता। बहुत लोग सोचते हैं कि प्रेगनेंसी (pregnancy) सिर्फ़ किस्मत की बात है, लेकिन सच यह है कि यह एक बहुत ही सटीक बायोलॉजिकल (biological) प्रोसेस है। जब शरीर के अंदर सही समय पर सही चीज़ें हों, तभी संतान कंसीव (conceive) हो पाती है।
नेचरल तरीके से प्रेगनेंसी तीन बातों पर टिकी होती है, अंडे यानी एग का समय पर बनना, स्वस्थ शुक्राणु मतलब स्पर्म का एग तक पहुँचना और फिर बनने वाले भ्रूण यानी एम्ब्रीओ (embryo) का गर्भाशय (यूट्रस - Uterus) में सही तरह लग जाना। ज़्यादातर कपल्स में यह प्रक्रिया अपने आप हो जाती है। लेकिन कुछ स्थितियों में शरीर का यह नेचरल बैलेंस बिगड़ जाता है, और प्रेगनेंसी मुश्किल हो जाती है।
इस स्थिति में IUI और IVF। जैसे तरीकों से उन कपल्स को भी आसानी से प्रेगनेंसी हो जाती है जिन्हें नेचुरल तरीके से प्रेग्नेंट होने में समस्या हो रही हो।
इस आर्टिकल में हम आसान भाषा में समझेंगे कि नेचुरल तरीके से pregnancy kaise hoti hai और IVF/IUI se pregnancy kaise hoti hai, इसके अलावा प्रेग्नेंट होने के उपायों को कैसे बढ़ाया जा सकता है।
नेचुरल प्रेगनेंसी के मुख्य रूप से चार स्टेप होते हैं। इसे जानना इसलिए जरूरी है ताकि आप समझ सकें कि आप कहां गलती कर रहे हैं।
ज्यादातर लोग सोचते हैं कि एग निकलने का समय यानी ओव्यूलेशन वाले दिन शारीरिक संबंध बनाया जाए तभी प्रेगनेंसी होती है। लेकिन यहां एक मेडिकल ट्विस्ट (Medical Twist) है।
इसलिए, सही प्लान यह है कि ओव्यूलेशन से पहले संबंध बनाएं। ताकि जब अंडा निकले, तो स्पर्म वहां पहले से मौजूद हों जिससे फर्टिलाइजेशन आसान हो जाये। ओव्यूलेशन का दिन और उससे पहले के 5 दिन, इसे 'फर्टाइल विंडो' कहते हैं।
सिर्फ फोन के ऐप या कैलेंडर पर भरोसा करना धोखा दे सकता है, क्योंकि स्ट्रैस या बुखार से ओव्यूलेशन की तारीख आगे-पीछे हो सकती है। इसीलिए पहले अपने शरीर की सुनें:
महिलाओं में अगर नीचे लिखी कोई समस्या हो तो नेचुरल प्रेगनेंसी में हो जाती है
वहीं पुरुषों में निम्न समस्याएं होने पर नेचुरली प्रेगनेंट होने में दिक्कत आती है।
इनमें से किसी भी कारण से नेचुरल प्रेगनेंसी में समस्या हो सकती है। ऐसे में ए.आर.टी. टेक्नोलॉजी जैसे आईयूआई, आईवीएफ और आई.सी.एस.आई (ICSI) प्रेगनेंट होने में मदद कर सकती हैं।
ए.आर.टी. ऐसे मेडिकल तरीके हैं जो नेचुरली प्रेगनेंट न होने की कंडीशन में टेक्नोलॉजी की मदद से प्रेगनेंसी संभव कर सकते हैं।
भारत में ए.आर.टी. के पॉपुलर तरीके नीचे दिए गए हैं।
आईयूआई एक आसान प्रक्रिया है जिसमें ओव्यूलेशन के आसपास लैब में तैयार किए गए स्वस्थ स्पर्म को सीधे यूट्रस में ट्रांसफर कर दिया जाता है। इससे स्पर्म को लंबी दूरी तय नहीं करनी पड़ती जिससे प्रेग्नेंसी की संभावना बढ़ जाती है।
आईवीएफ उन कपल्स के लिए बड़ा सहारा है जिनके लिए नेचुरल गर्भधारण मुश्किल हो रहा हो जैसे फैलोपियन ट्यूब ब्लॉक हों, अंडों की संख्या कम हो या आईयूआई काम न कर रहा हो। आईवीएफ में प्रेगनेंसी नेचुरल प्रेगनेंसी जैसी ही होती है। फर्क सिर्फ़ इतना है कि IVF में फर्टिलाइजेशन लैब में होता है।
जब ए.एम.एच बहुत कम हो, एग ठीक क्वालिटी के न बन रहे हों, परिवार में कोई आनुवंशिक समस्या का डर हो या स्पर्म इतना कमज़ोर हो कि नेचुरल प्रेगनेंसी ही न हो पा रही हो तब डॉक्टर डोनर टेक्नीक के बारे में सलाह देते हैं। डोनर एग या स्पर्म सुरक्षित और गोपनीय तरीके से इस्तेमाल किए जाते हैं, और अगर ज़रूरत हो तो एम्ब्रीओ डोनेशन भी एक ऑप्शन होता है।
आई.सी.एस.आई आईवीएफ का एडवांस रूप है, जिसमें एक ही स्पर्म को सीधे एग में डाल दिया जाता है।डॉक्टर ICSI की सलाह तब देते हैं जब स्पर्म की क्वालिटी ख़राब होती है।
प्रेग्नेंट होना (Conceive करना) धैर्य और समझदारी का काम है, चाहे आप नेचुरल तरीके से कंसीव करें या IUI/IVF जैसी टेक्नोलॉजी की मदद से।
अगर आप अपनी 'फर्टाइल विंडो' का ध्यान रखें, सही लुब्रिकेंट चुनें और टेंशन फ्री रहें, तो सफलता के चांस बहुत बढ़ जाते हैं। अगर नेचुरल तरीके से प्रेगनेंसी नहीं हो पा रही तो निराश न हों, IVF जैसी टेक्निक ने लाखों कपल्स को संतान का सुख दिया है । सही समय पर सही सलाह लेना ही सफलता की कुंजी है।
जी हाँ। अगर नेचुरल तरीके से प्रेगनेंसी न हो रही हो तो IUI, IVF जैसे तरीकों से प्रेगनेंट हुआ जा सकता है ।
प्रक्रिया के अलावा कोई अंतर नहीं है। नेचुरल में फर्टिलाइजेशन शरीर के अंदर होता है, जबकि IVF में लैब के अंदर। एक बार जब बच्चा यूट्रस में चिपक जाता है, तो उसके बाद सब कुछ बिल्कुल नॉर्मल प्रेगनेंसी जैसा ही होता है।
अगर आपके पीरियड्स रेगुलर हैं, तो आप ओव्यूलेट कर रही हैं। इसके अलावा, 'एग-व्हाइट' जैसा डिस्चार्ज और ओव्यूलेशन किट का इस्तेमाल करके आप पक्का कर सकती हैं।
साधारण लुब्रिकेंट्स (और यहां तक कि थूक/Saliva भी) स्पर्म की स्पीड को धीमा कर सकते हैं या मार सकते हैं। कोशिश करें कि फोरप्ले (Foreplay) बढ़ाएं या फिर विशेष 'स्पर्म-फ्रेंडली' लुब्रिकेंट का ही इस्तेमाल करें।
हाँ, गोली बंद करने के तुरंत बाद भी प्रेगनेंसी हो सकती है, क्योंकि दवा रुकते ही शरीर अपना नेचुरल ओव्यूलेशन जल्दी दोबारा शुरू कर सकता है।