मानव शरीर में कई तरह के हार्मोन अलग-अलग काम संभालते हैं, और प्रोलैक्टिन उनमें से एक महत्वपूर्ण हार्मोन है। यह हार्मोन मुख्य रूप से महिलाओं में गर्भ के बाद दूध बनने की प्रक्रिया को नियंत्रित करता है, लेकिन इसके अलावा भी यह शरीर में कई काम करता है। प्रोलैक्टिन (prolactin) सिर्फ महिलाओं में ही नहीं, बल्कि पुरुषों में भी पाया जाता है। जब इसका लेवल नार्मल रहता है, तो फ़र्टिलिटी कैपेसिटी (प्रजनन क्षमता), पीरियड्स साइकिल, मूड और शरीर का मेटाबॉलिज्म सही चलता है। लेकिन अगर यह हार्मोन कम या ज्यादा हो जाए, तो महिलाओं और पुरुषों दोनों में कई तरह की समस्याएँ पैदा हो सकती हैं। इस आर्टिकल में हम विस्तार से समझेंगे कि प्रोलैक्टिन हार्मोन क्या है, शरीर में इसका क्या काम है, इसमें असंतुलन क्यों हो जाता है और इसका इलाज कैसे किया जाता है।
प्रोलैक्टिन एक ऐसा हार्मोन है जिसे पीयूष ग्रंथि यानी पिट्यूटरी ग्लैंड (pituitary gland) बनाती है। यह ग्रंथि दिमाग के ठीक नीचे मौजूद होती है और कई महत्वपूर्ण हार्मोन कंट्रोल करती है। प्रोलैक्टिन मुख्य रूप से गर्भावस्था के बाद स्तन में मिल्क प्रोडक्शन (दूध उत्पादन) शुरू करवाने और उसे बनाए रखने में मदद करता है। इसके अलावा यह महिलाओं में ओव्युलेशन (ovulation) और पीरियड्स के साइकिल को भी प्रभावित करता है।
सामान्य तौर पर महिलाओं में इसका लेवल पुरुषों की तुलना में अधिक होता है।
प्रोलैक्टिन के इससे कम या ज्यादा होने पर इम्बैलेंस (असंतुलन) का संकेत हो सकता है।
प्रोलैक्टिन सिर्फ दूध बनाने का हार्मोन नहीं है, बल्कि इसके शरीर में कई अलग-अलग काम भी हैं:
जब प्रोलैक्टिन का लेवल नॉर्मल रहता है, तो महिलाओं और पुरुषों दोनों की फ़र्टिलिटी हैल्थ (प्रजनन स्वास्थ्य) अच्छी तरह चलता है।
प्रोलैक्टिन का लेवल कई कारणों से बढ़ या घट सकता है। कुछ स्थितियाँ टेम्पररी होती हैं, जबकि कुछ को इलाज की जरूरत होती है।
इन कारणों की पहचान करना जरूरी है, क्योंकि इलाज भी इन्हीं पर आधारित होता है।
प्रोलैक्टिन में बदलाव से दिखने वाले सिम्पटम्स (symptoms) यानी लक्षण महिलाओं और पुरुषों दोनों में अलग-अलग होते हैं। जैसे:
अगर आपको ये लक्षण बार-बार दिखें, तो प्रोलैक्टिन लेवल चेक करवाना जरूरी होता है।
प्रोलैक्टिन का इलाज इसकी वजह जान कर उसके आधार पर किया जाता है। अगर समस्या ज्यादा गंभीर नहीं हो, तो कई बार सिर्फ लाइफस्टाइल में सुधार करने से भी प्रोलैक्टिन का लेवल सामान्य हो जाता है। लेकिन अगर प्रोलैक्टिन बहुत ज्यादा बढ़ा हुआ हो, तो डॉक्टर दवाओं या अन्य ट्रीटमेंट की सलाह दे सकते हैं।
सबसे पहले डॉक्टर ब्लड टेस्ट करवाते हैं ताकि प्रोलैक्टिन का सही लेवल पता चल सके। अगर कारण दवाओं या स्ट्रैस से जुड़ा हो, तो उन्हें मैनेज करके भी प्रोलैक्टिन कम किया जा सकता है। हाई प्रोलैक्टिन के इलाज में मुख्य दवाएँ डोपामिन एगोनिस्ट (dopamine agonists) होती हैं। ये दवाएँ प्रोलैक्टिन लेवल तेजी से कम करने में मदद करती हैं।
अगर समस्या थायरॉयड की वजह से हो, तो सबसे पहले थायरॉयड का इलाज किया जाता है, जिससे प्रोलैक्टिन भी नॉर्मल हो जाता है। बहुत रेयर मामलों में, जब पिट्यूटरी ट्यूमर बड़ा हो या दवाओं से फायदा न हो रहा हो, तो सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है। अधिकतर लोगों में दवा और लाइफस्टाइल बदलाव से ही प्रोलैक्टिन का लेवल नार्मल हो जाता है।
कुछ आसान आदतें प्रोलैक्टिन को संतुलित रखने में मदद करती हैं:
प्रोलैक्टिन हार्मोन शरीर की प्रजनन क्षमता, पीरियड्स, मूड और स्तनपान जैसे कई कामों में भूमिका निभाता है। महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिए इसका संतुलित रहना ज़रूरी है। अगर इसका लेवल बढ़ जाए या कम हो जाए, तो समय पर जांच और सही इलाज से स्थिति आसानी से मैनेज की जा सकती है। संतुलित लाइफस्टाइल अपनाने से प्रोलैक्टिन का लेवल लंबे समय तक नॉर्मल बना रहता है।
महिलाओं में सामान्य प्रोलैक्टिन स्तर आमतौर पर 10–25 ng/mL माना जाता है। गर्भावस्था या स्तनपान के दौरान यह स्वाभाविक रूप से बढ़ सकता है और यह पूरी तरह सामान्य है।
हाँ, अगर प्रोलैक्टिन बहुत ज्यादा बढ़ जाए, तो ओव्यूलेशन प्रभावित हो सकता है और इससे प्रेगनेंसी में दिक्कत आ सकती है। सही इलाज से यह समस्या ठीक हो सकती है।
तनाव कम रखना, नींद ठीक करना, संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और ज़रूरत पड़ने पर डॉक्टर द्वारा दी गई दवाएँ प्रोलैक्टिन को कण्ट्रोल करने में मदद करती हैं।
प्रोलैक्टिन की कमी बहुत देखने को मिलती है। लेकिन अगर यह कम हो जाए, तो महिलाओं में दूध बनने में दिक्कत और पुरुषों में यौन इच्छा में कमी जैसे लक्षण दिख सकते हैं।
जिंक, विटामिन B6, मैग्नीशियम और प्रोटीन से भरपूर डाइट प्रोलैक्टिन को नार्मल में रखने में मदद करती है, लेकिन इसे अचानक बढ़ाने वाली कोई खास डाइट नहीं होती।
महिलाओं में प्रोलैक्टिन टेस्ट आमतौर पर पीरियड्स के दूसरे या तीसरे दिन किया जाता है लेकिन पुरुष किसी भी दिन ब्लड टेस्ट करा सकते हैं।