वीर्य यानी सीमेन एक गाढ़ा, सफेद और चिपचिपा तरल पदार्थ होता है जो इजैक्युलेशन (ejaculation) के दौरान बाहर निकलता है। ऐसा समझा जाता है की सीमेन में सिर्फ शुक्राणु यानी स्पर्म्स (sperms) ही होते हैं लेकिन वास्तव में यह स्पर्म के साथ साथ कई तरह के फ्लूइड और पोषक तत्वों का मिश्रण होता है, जो पुरुष प्रजनन क्षमता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसलिए सीमेन की क्वालिटी और संरचना (morphography) दोनों का पुरुषों की फर्टिलिटी पर सीधा असर पड़ता है। इस विषय पर हम आगे और विस्तार से चर्चा करेंगे कि वीर्य क्या है, यह कैसे बनता है, और प्रजनन के लिए यह इतना ज़रूरी क्यों होता है।
पुरुषों के शरीर में उसका रीप्रोडक्टिव सिस्टम (प्रजनन तंत्र) गाढ़ा पदार्थ बनाता है, जो सैक्सुअल उत्तेजना के बाद उसके पेनिस (लिंग) से बाहर निकलता है, इसे ही वीर्य (Semen) कहते हैं और इस पूरे प्रोसेस को इजैक्युलेशन (ejaculation) यानी स्खलन कहा जाता है।
लोग अक्सर समझते हैं कि वीर्य का मतलब सिर्फ स्पर्म (sperm) यानी शुक्राणु होते हैं, लेकिन इसमें अन्य ग्रंथियों जैसे सिमिनल वेसिकल्स (seminal vesicles), प्रॉस्टेट ग्लैंड (prostate gland) और बल्बोयूरेथ्रल ग्लैंड्स से आने वाले फ्लूइड भी शामिल होते हैं। वीर्य दरअसल कई तरह के फ्लूइड्स, पानी और पोषक तत्वों का एक कॉम्प्लेक्स मिक्सचर है।
सीमेन कई तरह के फ्लूइड और सेल्स का मिक्सचर होता है, और इसके हर हिस्से का अपना एक ख़ास काम होता है। सीमेन की क्वालिटी और आपकी फ़र्टिलिटी (प्रजनन क्षमता) को समझने के लिए सीमेन के इन हिस्सों को जानना ज़रूरी है:
वीर्य सिर्फ एक तरल पदार्थ नहीं है, बल्कि मेल रीप्रोडक्टिव प्रोसेस (पुरुष प्रजनन प्रक्रिया) का मुख्य माध्यम है।
सीमेन का सबसे बड़ा काम स्पर्म्स को ज़िंदा रखना, उन्हें एनर्जी देना और उन्हें महिला की वजाइना (योनि) तक सुरक्षित पहुँचाना और एग को फ़र्टिलाइज़ करने में सहायता करना है।
वजाइना का वातावरण हल्का एसिडिक होता है, जिसमें सामान्य स्पर्म्स ज्यादा देर तक जीवित नहीं रह पाते। सीमेन का एल्कलाइन नेचर (alkaline nature) इस एसिडिटी को न्यूट्रल (neutral) करता है, जिससे स्पर्म लंबे समय तक एक्टिव रह सकें।
सीमेन में मौजूद पोषक तत्व और फ्रक्टोज़ स्पर्म्स को एनर्जी देते हैं ताकि वे एग्स तक पहुँच सकें।
रीप्रोडक्शन के लिए स्वस्थ वीर्य का होना अत्यंत आवश्यक है। स्पर्म, एग तक तभी पहुँच सकते हैं जब सीमेन उन्हें सही वातावरण और एनर्जी प्रदान करे।
वीर्य एक प्रोटेक्टिव मीडियम (protective medium) की तरह काम करता है। यह स्पर्म को सही रास्ते से आगे बढ़ाने में मदद करता है और उन्हें आसानी से नष्ट होने से बचाता है ।
अगर वीर्य की क्वालिटी जैसे स्पर्म काउंट (sperm count), मोटिलिटी (motility) और आकार यानी मॉर्फोलॉजी अच्छी हो तो प्रेगनेंसी की संभावना बढ़ जाती है।
लेकिन अगर वीर्य पतला है, स्पर्म काउंट कम है या स्पर्म मूवमेंट (sperm movement) कमजोर है, तो यह मेल इनफर्टिलिटी (male infertility) का कारण बन सकता है।
इसी कारण सीमेन एनालिसिस (semen analysis) एक जरुरी टेस्ट है जिससे पुरुष की फ़र्टिलिटी कैपेसिटी की पूरी जानकारी मिल जाती है।
बहुत से लोग वीर्य (semen) और शुक्राणु (sperm) को एक ही समझ लेते हैं, लेकिन दोनों अलग चीजें हैं। वीर्य एक पूरा फ्लूइड मिक्सचर होता है जिसमें स्पर्म सेल्स (sperm cells) के साथ-साथ प्रोटीन, फ्लूइड और न्यूट्रिएंट्स भी होते हैं।
दूसरी तरफ, स्पर्म सेल्स (sperm cells) यानी शुक्राणु कोशिकाएँ वीर्य का सिर्फ एक छोटा हिस्सा होती हैं। स्पर्म सेल्स पूरे वीर्य का लगभग 2 से 5% तक हिस्सा ही होती हैं।
आसान भाषा में कहें तो, वीर्य वह तरल पदार्थ है जो सैक्सुअल प्रोसेस में इजैक्युलेशन (ejaculation) के माध्यम से बाहर आता है, और स्पर्म उसी पदार्थ में मौजूद बहुत छोटी सेल्स हैं जो एग को फ़र्टिलाइज़ करती हैं।
पुरुषों में वीर्य की क्वालिटी कई वजहों से बदल सकती है। इन फ़ैक्टर्स का असर स्पर्म काउंट, मूवमेंट और ओवरऑल फर्टिलिटी पर पड़ता है।
कुछ आसान आदतें अपनाकर वीर्य की क्वालिटी बेहतर की जा सकती है।
वीर्य मेल फ़र्टिलिटी में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह स्पर्म को सुरक्षा, ऊर्जा और सही वातावरण देता है ताकि सही तरीके से प्रेगनेंसी हो सके।
स्वस्थ जीवनशैली, संतुलित आहार और समय पर मेडिकल सलाह लेने से सीमेन क्वालिटी को बेहतर बनाया जा सकता है एवं प्रेगनेंसी में होने वाली समस्या को दूर किया जा सकता है।
वीर्य की क्वालिटी सीमेन एनालिसिस से जांची जाती है। यह टेस्ट प्रजनन क्षमता को समझने का सबसे भरोसेमंद तरीका है।
हाँ, अगर वीर्य में स्पर्म काउंट बहुत कम हो या स्पर्म का मूवमेंट कमजोर हो, तो गर्भधारण की संभावना कम हो सकती है।
पर्याप्त पानी पीना, जिंक और विटामिन से भरपूर खाना, तनाव कम रखना, नियमित व्यायाम और स्मोकिंग-एल्कोहल से दूरी इत्यादि।
इजैक्युलेशन के दौरान लगभग 2–5 ml वीर्य निकलता है, जिसमें लाखों स्पर्म होते हैं।
जिंक, प्रोटीन, एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन E से भरपूर चीजें जैसे अंडे, मेवे, कद्दू के बीज, दही और हरी सब्जियाँ इत्यादि खाने से स्पर्म बढ़ सकते हैं।