IVF यानी इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (In Vitro Fertilization) या टेस्ट ट्यूब बेबी टेक्नोलॉजी निःसंतानता से जूझ रहे कपल्स के लिए एक अच्छा विकल्प बन गई है। लेकिन ivf kitna successful hai और क्या यह 100 प्रतिशत सफल है? यह एक ऐसा सवाल है जो हर कपल के मन में आता है। इसका सीधा जवाब यह है कि नहीं, IVF 100 प्रतिशत सफलता की गारंटी नहीं देता। IVF की सक्सेस रेट कई फ़ैक्टर्स पर निर्भर करती है, और हर कपल का अनुभव अलग हो सकता है। आइए समझते हैं कि क्या आईवीएफ 100 सफल है?
IVF की सक्सेस रेट आमतौर पर 30-50 प्रतिशत के बीच होती है, और यह रेट क्लिनिक, उसकी लोकेशन और पेशेंट के प्रोफाइल के अनुसार अलग हो सकती है।
इसका मतलब है कि हर चार IVF साइकल्स में से एक या दो में गर्भधारण यानी प्रेगनेंसी हो सकती है। लेकिन यह गारंटी नहीं है कि पहली ही साइकिल में सफलता मिल जाएगी। कई बार कपल्स को दो, तीन या इससे भी अधिक प्रयास करने पड़ते हैं।
सफलता की संभावना महिला की उम्र, एग की क्वालिटी, पुरुष के स्पर्म क्वालिटी और क्लिनिक की टेक्नोलॉजी कितनी एडवांस है, इन सब बातों पर निर्भर करती है।
महिला की उम्र IVF की सफलता में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। 25-30 साल की उम्र में IVF की सक्सेस रेट सबसे अधिक 40-50 प्रतिशत होती है क्योंकि इस उम्र में महिला के पास अच्छी क्वालिटी के एग्स होते हैं।
30-35 साल की उम्र तक सक्सेस रेट धीरे-धीरे कम होने लगती है। 35 साल के बाद एग्स की क्वालिटी ख़राब होनी शुरू हो जाती है, जिससे सक्सेस रेट 20 से 30 प्रतिशत तक रह जाती है।
40 साल के बाद यह रेट और भी कम हो सकती है। इसका कारण यह है कि उम्र बढ़ने के साथ-साथ एग्स में क्रोमोसोमल असामान्यताएं (abnormalities) बढ़ जाती हैं, जिससे सफल गर्भधारण यानी सक्सेसफुल प्रेगनेंसी (successful pregnancy) की संभावना घट जाती है।
IVF की सफलता के लिए एग और स्पर्म दोनों की क्वालिटी बेहद महत्वपूर्ण है। अच्छी क्वालिटी के एग्स का मतलब है ऐसे एग्स जो पूरी तरह मैच्योर हों और जेनेटिकली (आनुवंशिक रूप से) सामान्य हों। इसी तरह, स्पर्म की क्वालिटी का मतलब है पर्याप्त संख्या में स्वस्थ और सक्रिय (motile) स्पर्म होना।
यदि एग्स की क्वालिटी कम है या स्पर्म में समस्या है, तो IVF की सक्सेस रेट काफी हद तक कम हो सकती है।
IVF की सक्सेस रेट को बढ़ाने के लिए कई चीजें की जा सकती हैं।
IVF की सफलता के लिए हेल्दी लाइफस्टाइल बहुत जरुरी है। बैलेंस्ड डाइट, रेगुलर एक्सरसाइज़ और पर्याप्त नींद लेने से एग्स की क्वालिटी में सुधार होता है।
महिलाओं को पर्याप्त प्रोटीन, विटामिन्स, मिनरल्स और एंटीऑक्सीडेंट (antioxidants) से भरपूर डाइट लेनी चाहिए। फल, सब्जियाँ, अनाज और हेल्दी फैट्स डाइट का हिस्सा होने चाहिए।
हेल्दी डाइट से पुरुषों में भी स्पर्म की क्वालिटी बेहतर हो सकती है।
स्मोकिंग और शराब दोनों ही IVF की सफलता पर बहुत ख़राब असर डालते हैं। स्मोकिंग से एग्स की क्वालिटी कम होती है और स्पर्म की भी मोबिलिटी प्रभावित होती है।
शराब पीने से हार्मोन्स का संतुलन बिगड़ जाता है जो एग्स को ठीक से डेवलप नहीं होने देता। IVF ट्रीटमेंट से कम से कम तीन महीने पहले से स्मोकिंग और शराब छोड़ देना चाहिए। इससे सक्सेस होने के चांस काफी हद तक बढ़ सकते हैं।
स्ट्रैस और चिंता IVF की के सक्सेसफुल होने में बहुत रुकावट डालते हैं। जब महिला तनावग्रस्त होती है, तो शरीर में कुछ हार्मोन्स रिलीज़ होते हैं जिससे एग्स की क्वालिटी पर नेगेटिव असर पड़ता है।
योग, मेडिटेशन, प्राणायाम और काउंसलिंग से तनाव कम करने में मदद मिलती है। कई स्टडीज़ दिखाती हैं कि तनाव कम करने वाली तकनीकें IVF की सक्सेस रेट को 20-30 प्रतिशत तक बढ़ा सकती हैं।
समय पर सही इलाज और सही डॉक्टर का चुनाव IVF की सफलता के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। अनुभवी डॉक्टर आपकी व्यक्तिगत परिस्थिति को समझकर सही ट्रीटमेंट प्लान बना सकते हैं। वे आपकी हार्मोन्स की स्टडी करते हैं, एग्स की क्वालिटी जानते हैं और उसके अनुसार स्टिम्युलेशन प्रोटोकॉल तय करते हैं। एक अच्छा क्लिनिक और अनुभवी टीम IVF की सक्सेस रेट को बढ़ा सकती है।
IVF की सक्सेस रेट विभिन्न परिस्थितियों में अलग-अलग होती है। जब महिला को फैलोपियन ट्यूब्स में समस्या है, तो IVF की सक्सेस रेट अधिक होती है क्योंकि मूल समस्या को ठीक किया जा रहा है।
पुरुष निःसंतानता जैसे कम स्पर्म काउंट (low sperm count) या पुअर मोटिलिटी (poor motility) में ICSI जैसी टेक्नोलॉजी से सक्सेस रेट बढ़ाई जा सकती है।
लेकिन अनएक्सप्लेंड इनफर्टिलिटी (जब कोई स्पष्ट कारण नहीं दिख रहा हो) में सक्सेस रेट कम हो सकती है। PCOS या एंडोमेट्रियोसिस (endometriosis) जैसी स्थितियों में भी सक्सेस रेट प्रभावित होती है। इसलिए यह समझना महत्वपूर्ण है कि आपकी निःसंतानता का कारण क्या है, क्योंकि इससे IVF की सक्सेस रेट प्रभावित होती है।
बहुत से कपल्स को IVF में सफलता पाने के लिए एक से अधिक साइकल्स करने पड़ते हैं। पहली साइकिल में सफलता न मिलने का मतलब यह नहीं है कि अगली साइकिल में भी सफलता नहीं मिलेगी। हर बार नई कोशिश से बेहतर परिणाम आ सकते हैं क्योंकि डॉक्टर पिछली बार की गलतियों से सीखते हैं।
एम्ब्रीओ फ्रीजिंग (embryo freezing) की सुविधा से अब कपल्स के पास बहुत से प्रयास (attempts) की संभावना बढ़ गई है। एक्सपर्ट्स की राय के अनुसार तीन साइकल्स के बाद 70-80 प्रतिशत कपल्स को सफलता मिल जाती है।
IVF भले ही 100 प्रतिशत सफल न हो, लेकिन यह एक बेहद प्रभावी और विश्वसनीय इलाज है। इसका सक्सेस रेट 30-50 प्रतिशत के आसपास है, जो महिला की उम्र, एग्स की क्वालिटी, स्पर्म की क्वालिटी और क्लिनिक की एक्सपरटाइज पर निर्भर करती है। हेल्दी लाइफस्टाइल, स्ट्रैस कम करना, धूम्रपान और शराब से दूर रहना, और एक अनुभवी डॉक्टर का चुनाव करना, इन सभी चीज़ों से IVF की सक्सेस रेट बढ़ जाती है ।
IVF का खर्च भारत में 80,000 से 3,00,000 रुपये तक होता है, जो क्लिनिक, शहर और ट्रीटमेंट की जटिलता पर निर्भर करता है।
जब महिला को फैलोपियन ट्यूब्स में समस्या हो, पुरुष में कम स्पर्म काउंट (low sperm count) हो, PCOS या एंडोमेट्रोसिस हो, या अनएक्सप्लेंड इनफर्टिलिटी हो, तब IVF की जरूरत पड़ सकती है। आईवीएफ सबसे सफल किस उम्र में होता है? IVF सबसे सफल 25-30 साल की उम्र में होता है, जब सक्सेस रेट 40-50 प्रतिशत तक होती है।
महिला कानूनी रूप से कितनी भी बार IVF करवा सकती है, लेकिन शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए 3-4 चक्र सामान्य माने जाते हैं।
100% गारंटी कोई भी मेडिकल ट्रीटमेंट नहीं दे सकता, लेकिन सही उम्र, अच्छी एग क्वालिटी और अनुभवी डॉक्टर से सफलता की संभावना काफी बढ़ जाती है।