आखिर कैसे पहचानें शरीर के वो इशारे, जो एम्ब्रीओ ट्रांसफर के बाद देते हैं 'प्रेगनेंसी' की 'गुड न्यूज़'? एम्ब्रीओ ट्रांसफर IVF (आईवीएफ) के पूरे सफर में सबसे नाजुक और उम्मीद भरा समय होता है। इसे आसान भाषा में समझें तो यह वह पड़ाव है जहां से आपकी गर्भावस्था यानि प्रेगनेंसी (Pregnancy) की असली शुरुआत होती है। एम्ब्रीओ (भ्रूण) को गर्भाशय में ट्रांसफर के बाद का 14 दिनों का इंतजार हर महिला के लिए भावनाओं से भरा होता है। जब उनके मन में यह सवाल आता है कि क्या सब कुछ ठीक है? क्या प्रेगनेंसी हो गई है?
एम्ब्रीओ ट्रांसफर के बाद शरीर में कुछ बदलाव महसूस होना स्वाभाविक है। ये बदलाव या लक्षण इस बात का इशारा हो सकते हैं कि भ्रूण ने अपनी जगह बना ली है।
एम्ब्रीओ ट्रांसफर आईवीएफ इलाज का आखिरी स्टेप है। इसमें डॉक्टर लैब में तैयार किए गए भ्रूण यानी फर्टिलाइज्ड एग (Fertilized Egg) को एक बहुत ही पतली ट्यूब के जरिए आपकी बच्चेदानी में ट्रांसफर कर देते हैं। यह प्रक्रिया सुनने में जितनी बड़ी लगती है, असल में यह उतनी ही आसान और बिना दर्द वाली होती है।
जब भ्रूण को अंदर ट्रांसफर किया जाता है, तो उसे बच्चेदानी की परत से चिपकना होता है, जिसे हम मेडिकल भाषा में 'इम्प्लांटेशन' कहते हैं। यही वह पल है जब प्रेगनेंसी की शुरुआत होती है। Embryo transfer in hindi को ऐसे समझें कि जैसे बीज को मिट्टी में रोपा गया है, अब उसे पनपने के लिए शांति, सही माहौल और थोड़ा समय चाहिए।
ट्रांसफर के बाद हर महिला का शरीर अलग तरह से रिएक्ट करता है। किसी को कुछ लक्षण महसूस होते हैं, कुछ को नहीं। यहाँ कुछ आम संकेत दिए गए हैं जो embryo transfer ke baad pregnancy ke lakshan हो सकते हैं:
अक्सर मरीज पूछते हैं कि "लक्षण कब दिखेंगे?" इसका कोई फिक्स टाइम नहीं है, लेकिन आमतौर पर embryo transfer ke baad pregnancy ke lakshan 5 से 10 दिन के बीच महसूस होने लगते हैं। अगर आपका 'डे-5 ट्रांसफर' (ब्लास्टोसिस्ट) हुआ है, तो लक्षण थोड़े जल्दी आ सकते हैं क्योंकि भ्रूण पहले से ही विकसित होता है।
मेडिकल इनसाइट यानी बीमारी के पीछे का वैज्ञानिक सच (Medical Insight) : यह याद रखना जरूरी है कि हर महिला की बॉडी केमिस्ट्री अलग होती है। अगर आपको कोई लक्षण महसूस नहीं हो रहा, तो इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि प्रेगनेंसी नहीं हुयी। बहुत सी महिलाओं को पॉजिटिव रिपोर्ट आने तक कोई लक्षण नहीं आते।
ये सारे लक्षण असल में हार्मोंस का खेल हैं। जब भ्रूण बच्चेदानी में चिपकता है यानी इम्प्लांट होता है, तो शरीर hCG नाम का हार्मोन बनाना शुरू करता है, जिसे हम 'प्रेगनेंसी हार्मोन' कहते हैं। इसी हार्मोन की वजह से आपको प्रेगनेंसी के लक्षण (Symptoms) महसूस होते हैं।
इसके अलावा, आईवीएफ में प्रेगनेंसी को सपोर्ट करने के लिए डॉक्टर आपको बाहर से प्रोजेस्टेरोन की दवाइयां या इंजेक्शन देते हैं। याद रहे कि प्रोजेस्टेरोन दवा के साइड इफेक्ट्स और प्रेगनेंसी के लक्षण लगभग एक जैसे होते हैं। इसलिए, केवल लक्षणों के भरोसे रहना सही नहीं होता, क्योंकि यह दवाइयों का असर भी हो सकता है।
एम्ब्रीओ ट्रांसफर के बाद आपको अपना खास ख्याल रखना चाहिए, ताकि इम्प्लांटेशन सफल हो सके:
आखिर में, यही कहना सही होगा कि embryo transfer ke baad pregnancy ke lakshan दिखना अच्छा संकेत है, लेकिन अगर लक्षण न दिखें तो निराश न हों। आईवीएफ एक ऐसा सफर है जिसमें धैर्य (patience) सबसे ज्यादा जरूरी है। अपने शरीर को समय दें, तनाव से दूर रहें और खुश रहने की कोशिश करें। याद रखें, इंटरनेट पर लक्षणों को खोजने से बेहतर है कि आप डॉक्टर की सलाह मानें और ब्लड टेस्ट के सही समय का इंतजार करें। आपकी पॉजिटिव सोच भी इस प्रक्रिया में बहुत मदद करती है।
जल्दबाजी न करें। डॉक्टर आमतौर पर 12 से 14 दिन बाद Beta hCG ब्लड टेस्ट कराने को कहते हैं। इससे पहले चेक करने पर रिजल्ट गलत आ सकता है।
हां, हल्की ब्लीडिंग या दाग सामान्य है। यह इम्प्लांटेशन का लक्षण हो सकता है। लेकिन अगर ब्लीडिंग पीरियड्स जैसी तेज हो, तो तुरंत डॉक्टर को बताएं।
बिल्कुल नहीं! कई शोध बताते हैं कि 10-15% महिलाओं को सफल प्रेगनेंसी में भी कोई शुरुआती लक्षण नहीं आते। लक्षण न होना विफलता का प्रमाण नहीं है।