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महिलाओं के लिए एन्टी मुलेरियन हॉर्मोन (एएमएच) टेस्ट

Last updated: December 09, 2025

Overview

महिलाओं के लिए एन्टी मुलेरियन हॉर्मोन (एएमएच) टेस्ट ओवेरियन रिज़र्व यानि अंडाशय में अण्डों की संख्या को दर्शाता है। महिलाओं में एएमएच की सही मात्रा कंसीव करने में सहायक होती है|

 

शादी के बाद हर महिला खुद को गर्भधारण के लिए स्वस्थ मानती है । कई बार अनियमित माहवारी या अन्य शारीरिक विकार को नजरअंदाज कर देती हैं जबकि इसका फर्टिलिटी से सीधा संबंध होता है। शादीशुदा जिंदगी में सब कुछ सही चलने के बाद गर्भधारण नहीं होना किसी भी महिला को मानसिक रूप से परेशान कर देता है। गर्भधारण नहीं होने के महत्वपूर्ण कारकों में से एक है अंडो का नहीं बनना कम बनना या गुणवत्तायुक्त नहीं होना।

डॉ नीताशा गुप्ता (निःसंतानता एवं आईवीएफ विशेषज्ञ, इंदिरा आईवीएफ) के अनुसार “गर्भधारण नहीं होने के बाद सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि निःसंतानता के कारण क्या हैं । सामान्यतया कुछ टेस्ट जैसे ट्यूब, अण्डेदानी, बच्चेदानी और खून की कुछ जाचों से निःसंतानता के कारण सामने आ जाते हैं”।

अण्डे निर्माण और उम्र का संबंध – जन्म के साथ ही महिला के अण्डों की संख्या तय होती है और माहवारी शुरू होने के साथ कुछ अंडे हर महीने खत्म होते जाते हैं । 18 से 30 वर्ष तक की उम्र में अण्डों की क्वालिटी बहुत अच्छी होती है यह समय गर्भधारण के लिए भी उत्तम होता हैं । 30 वर्ष की उम्र के बाद से अण्डों की संख्या और गुणवत्ता में कमी आने लगती है और 35 तक पहुंचते हुए अण्डों की क्वालिटी खराब हो जाती है । इस उम्र के बाद से माहवारी अनियमित होने लगती है। करीब 40 वर्ष की उम्र तक पहुंचते हुए माहवारी बंद हो जाती है जिसके बाद अण्डे समाप्त है और प्राकृतिक रूप से गर्भघारण की संभावना समाप्त हो जाती है। कम उम्र में माहवारी अनियमित होना, बंद होना ये समस्या भी काफी सामने आ रही है जिससे अण्डो का निर्माण प्रभावित होता है। कई निःसंतान महिलाओं में पीसीओडी, हार्मोनल इमबेलेन्स, टीबी की बीमारी रही हो या वंशानुगत समस्या रही हो तो इसका सीधा संबंध असर अण्डों के निर्माण और क्वालिटी पर होता है। महिला के शरीर में अण्डों की संख्या को एमएमएच टेस्ट के माध्यम से देखा जाता है। यह एक हॉर्मोनल टेस्ट होता है जिसके आधार पर अण्डों के बारे में पता लगाया जाता है।

कंसीव करने के लिए महिला के शरीर में एन्टी मुलेरियन हॉर्मोन (एएमएच) का सामान्य होना आवश्यक है इसकी मात्रा अधिक या कम होने पर संतान प्राप्ति में कठिनाई आ सकती है। एएमएच की जांच के लिए खून का टेस्ट किया जाता है जिसमें सामान्यतः एएमएच की वेल्यू 2 से 4 नेनोग्राम प्रति मिलीलीटर के बीच होनी चाहिए। उम्र बढ़ने के साथ एएमएच की वेल्यु में गिरावट आ जाती है |

एएमएच टेस्ट ओवेरियन रिज़र्व यानि अंडाशय (ओवेरी) में अण्डों की संख्या को दर्शाता है। कम एएमएच की स्थिति में अण्डे औसत से कम बनते हैं और उनकी गुणवत्ता (क्वालिटी) ख़राब होती है। कम एएमएच की वेल्यू स्थिति में महिलाओ को घबराने की आवश्यकता नहीं है | आईवीएफ तकनीक के माध्यम से वे खुद के अंडे से संतान प्राप्त कर सकती हैं या डोनर एग का सहारा लेकर संतान सुख प्राप्त की सहायता से संतान प्राप्ति की ओर बढ़ सकती है।


**Disclaimer: The information provided here serves as a general guide and does not constitute medical advice. We strongly advise consulting a certified fertility expert for professional assessment and personalized treatment recommendations.
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