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रिपोर्ट नार्मल पर हर बार पीरियड्स ने बढ़ाई चिंता

Last updated: June 04, 2025

Overview

पीरियड्स-और-निसंतानता - रिपोर्ट नार्मल पर हर बार पीरियड्स ने बढ़ाई चिंता, कुपोषण, मोटापा, स्ट्रेस, शराब-सिगरेट भी जिम्मेदार, तनावमुक्त रहें, योग-ध्यान करें

 

देश में इनफर्टिलिटी बढ़ी, 15 फीसदी तक दम्पती इनफर्टिलिटी के शिकार

नि:संतानता की समस्या को झेल रही निशा शादी के आठ वर्ष के बाद भी संतान की प्राप्ति नहीं कर सकी। उसे स्वास्थ्य संबंधी कोई दिक्कत नहीं थी लेकिन हर माह आते पीरियड्स उसे उदास कर जाते। परिवार के लोग बार-बार पूछते कि निशा कोई गुड न्यूज। इस पर निशा निराश मन से ना करती और स्वयं से सवाल करती कि आखिर मैं गर्भधारण क्यों नहीं कर पा रही हूं। इस पर उसने प्रसूतिरोग विशेषज्ञ से सम्पर्क किया तो पता चला कि 36 साल की निशा के सभी टेस्ट रिजल्ट तो नॉर्मल थे लेकिन उनके 34 साल के पति का स्पर्म काउंट बेहद कम था। यह कहानी निशा जैसी उन सभी महिलाओं की है, जो कहीं न कहीं नि:संतानता का दर्द झेल रही हैं। जांच में कभी कमी उनकी सामने आती है तो कभी उनके पति में। आंकड़ों के मुताबिक भारत में 10 से 15 प्रतिशत यानी करीब 2 करोड़ 30 लाख शादीशुदा जोड़े इन्फर्टिलिटी यानी बांझपन का शिकार हैं।  आखिर क्यों बढ़ रहा है नि:संतानता का ग्राफ….

नि:संतानता के 40 प्रतिशत फीसदी मामलों में पुरुष जिम्मेदार

-शादीशुदा दम्पतियों की फर्टिलिटी रेट्स तेजी से घट रहे हैं। अनर्स्ट एण्ड यंग की 2015 की स्टडी के मुताबिक, भारत में 10 से 15 प्रतिशत यानी करीब 2 करोड़ 30 लाख शादीशुदा जोड़े इन्फर्टिलिटी यानी नि:संतानता के शिकार हैं। बच्चा पैदा न होने के मामले में समाज हमेशा ही महिला को दोष देता है लेकिन हकीकत यह है कि इन्फर्टिलिटी के 40 प्रतिशत मामलों में समस्या पुरुषों में होती है, 40 प्रतिशत मामलों में महिलाओं में दिक्कत होती है जबकि बाकी बचे 20 प्रतिशत मामलों में दोनों में ही कोई दिक्कत होती है या फिर कोई दूसरा कारण भी हो सकता है।

कुपोषण, मोटापा, स्ट्रेस, शराब-सिगरेट भी जिम्मेदार

-भारतीय महिलाओं में इन्फर्टिलिटी का मुख्य कारण पीसीओएस, फैलोपियन ट्यूब में बाधा, ओवेरियन रिजर्व में कमी और एंडोमीट्रिआॅसिस है जबकि पुरुषों में बांझपन का मुख्य कारण स्पर्म काउंट में कमी, स्पर्म की गतिशीलता में कमी और प्रीमच्योर इजैक्युलेशन की दिक्कत है। इन्फर्टिलिटी के पीछे लाइफस्टाइल के साथ ही वातावरण का भी अहम रोल है। खाने में मौजूद कीटनाशक, एडिटिव्स, हवा और पानी के प्रदूषण से पुरुषों के स्पर्म की क्वॉलिटी और संख्या में लगातार गिरावट देखी जा रही है। इसके अलावा कुपोषण, मोटापा, स्ट्रेस, शराब-सिगरेट की लत भी महिलाओं और पुरुषों दोनों की फर्टिलिटी को प्रभावित करता है। साथ ही काम से जुड़ा स्ट्रेस औरपति-पत्नी की अलग-अलग शिफ्ट भी उनके पर्सनल लाइफ पर असर डाल रही है। महिलाओं में कॉस्मेटिक्स का ज्यादा इस्तेमाल भी उन्हें बांझपन की ओर धकेल रहा है।

तनावमुक्त रहें, योग-ध्यान करें

– संतान प्राप्ति के लिए दम्पती तनाव न पालें। नियमित वाकिंग करें, योग और ध्यान करें। दम्पती ऐल्कॉहॉल और सिगरेट स्मोकिंग पूरी तरह से छोड़ दें। सेक्स करने से पहले गर्भनिरोधक का इस्तेमाल करें ताकि एसटीडी से बच सकें क्योंकि भारत में यौन संक्रमित फैलने वाली बीमारियां जैसे ग्नोरिया और क्लामिडिया भी इन्फर्टिलिटी की बड़ी वजह है। साथ ही अधिक उम्र में शादी करना और बच्चे पैदा करने के लिए भी लंबा इंतजार करने की वजह से भी इन्फर्टिलिटी में तेजी से इजाफा हो रहा है।

जरूरी नहीं सभी में आईवीएफ हो

– गर्भधारण में समस्या का सामना कर रहे 80 प्रतिशत कपल्स को आईवीएफ की जरूरत नहीं होती क्योंकि इसकी जगह लाइफस्टाइल में छोटे-छोटे सुधार कर, दवाइयां खाकर और इंट्रायूटेराइन  इन्सेमिनेशन IUI (महिला के बच्चेदानी में पुरुषों के स्पर्म को सीधे डाल दिया जाता है) के जरिए गर्भधारण हो जाता है। वैसे मामले जिसमें फैलोपियन ट्यूब में ब्लॉकेज होता है या फिर पुरुष का स्पर्म काउंट बहुत ज्यादा कम होता है जैसी परिस्थितियों में ही आईवीएफ जैसे अत्याधुनिक ट्रीटमेंट की जरूरत होती है।


**Disclaimer: The information provided here serves as a general guide and does not constitute medical advice. We strongly advise consulting a certified fertility expert for professional assessment and personalized treatment recommendations.
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