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Synopsis

भ्रूण प्रत्यारोपण (इन व्रिटो फर्टिलाइज़ेशन) में गर्भाशय से बाहर शुक्राणुओं द्वारा अंड कोशिकाओं का कृत्रिम परिवेश में निषेचन किया जाता है। भ्रूण प्रत्यारोपण के बाद की सावधानी जानिये|

 

भ्रूण प्रत्यारोपण के बाद क्या सावधानी रखें?

निःसंतानता की समस्या मनुष्य को मानसिक रूप से परेशान रखती है। कुछ वर्षों पहले की तुलना में आज दम्पती निःसंतानता की स्थिति में इंतजार या टोने-टोटकों में समय नहीं गंवाते हैं और उपचार के लिए आगे आ रहे हैं। पूरी दुनिया में कई अगर सही समय पर आगे आएं तो निःसंतानता का उपचार संभव है। इनफर्टिलिटी के सफल उपचार के रूप में आईवीएफ तकनीक को सबसे लोकप्रिय माना जाता है लेकिन जब भी कपल आईवीएफ करवाने आते हैं तो वे इसकी सक्सेज को लेकर कन्फ्यूज रहते हैं उन्हें लगता है कि इसकी पहली साइकिल में सफलता नहीं मिलती है या वे जानना चाहते हैं कि क्या किया जाए जिससे आईवीएफ में एम्ब्रियो इम्पलांटेशन के बाद सक्सेज मिल जाए।

आईवीएफ में एम्ब्रियो इम्पलांटेशन की सफलता के बारे में जानने से पहले ये जानना आवश्यक है कि आईवीएफ में भ्रूण कैसे बनता है?

आईवीएफ में भ्रूण कैसे बनता है

सामान्यतया महिला की माहवारी के साथ उसके अण्डाशय में अण्डे बनने शुरू हो जाते हैं और इसमें से एक अंडा परिपक्व होकर ओवरी से फैलोपियन ट्यूब में आता है इस दौरान संबंध बनाने से फर्टिलाइजेशन हो जाता है और दो-तीन दिन भ्रूण यहीं पर विकसित होने के बाद गर्भाशय में चला जाता है। जबकि आईवीएफ में फर्टिलाइजेशन की संभावना बढ़ जाए इसके लिए महिला की अण्डाशय में नोर्मल से ज्यादा अण्डे बनाने के लिए इंजेक्शन व दवाइयां दी जाती हैं। ये प्रोसेस 10 से 14 दिन तक चल सकता है, इस प्रक्रिया को सोनोग्राफी के माध्यम से मोनिटर किया जाता है। जब अण्डे मैच्योर हो जाते हैं तो उन्हें निकाल कर आईवीएफ लैब में रख दिया जाता है। इसके बाद पुरूष साथी के वीर्य का सेम्पल लेकर लैब में अण्डों के सामने शुक्राणुओं को छोड़ दिया जाता है । स्पर्म अंडे में प्रवेश कर जाता है जिससे फर्टिलाईजेशन हो जाता है, इन्हें दो-तीन दिन लैब में ही विकसित करने के बाद इससे बने भ्रूण मरीज महिला की बच्चेदानी में ट्रांसफर किया जाता है। ये पूरी प्रक्रिया थोड़़ी देर की होती है इसके लिए महिला को अस्पताल में भर्ती नहीं किया जाता है। महिला उसी दिन घर जा सकती है। एम्ब्रियो इम्पलांटेशन के 14 दिन बाद महिला का प्रेगनेंसी टेस्ट किया जाता है। यह प्रोसिजर बहुत ही आसान और बिना जोखिम वाला है।

मरीज के लिए एम्ब्रियो इम्पलांटेशन से प्रेगनेंसी टेस्ट तक का समय काफी तनाव भरा होता है क्योंकि वो आईवीएफ की सक्सेज और असफलता को लेकर सहमी हुई होती है। आधी-अधूरी जानकारी के अभाव में उसकी चिंता बढ़ती जाती है।

भ्रूण प्रत्यारोपण के बाद रखें ये सावधानियां

आईए समझते हैं भ्रूण प्रत्यारोपण के बाद क्या सावधानियां रखनी चाहिए:

1. भोजन से परहेज नहीं

इम्ब्रियो इम्पलांटेशन के बाद भोजन में किसी तरह के परहेज की आवश्यकता नहीं है। घर की बनी सब्जियां, फल और ड्रायफ्रूट्स ज्यादा खाएं । ज्यादा मसालेदार या तीखा खाने से बचें, बाहर के या जंक फुड से परहेज करें क्योंकि इससे इंफेक्शन या डायरिया होने की संभावना होती है।

2. तनाव को कहें ना

डर, गलतधारणा और आधी-अूधरी जानकारी के कारण महिला काफी ज्यादा ध्यान रखती है जिसकी आवश्यकता नहीं होती है। भ्रूण प्रत्यारोपण के बाद वो काफी तनाव में रहने लगती है, स्ट्रेस के कारण उसके शरीर में हार्मोन का स्त्राव होता है जो अच्छा नहीं होता है। तनाव से बचने के लिए दिनभर इसके परिणाम के बारे में सोचने के बजाय घर के छोटे-मोटे बिजी रखने वाले काम करें, मेडिटेशन करें, म्यूजिक सुनें, पेंटिंग करें या जॉब पर जा सकती हैं। इस समय पुस्तकें आपकी श्रेष्ठ साथी साबित हो सकती हैं।

3. संभोग नहीं करें

एम्ब्रियो इम्पलांटेशन के बाद मरीज को संभोग से बचना चाहिए । इससे वेजाइनल इंफेक्शन होने का जोखिम रहता है।

4. जरूरी नहीं कुर्सी पर ही बैठे

एम्ब्रियो इम्पलांटेशन के बाद नीचे बैठने से नुकसान हो जाएगा या प्रोसिजर फेल हो जाएगा ऐसी गलत मान्यताएं महिलाओं में व्याप्त हैं लेकिन महिला नीचे भी बैठ सकती है जरूरी नहीं की कुर्सी या बेड पर ही बैठा जाए। पूरा दिन आराम करने की जरूरत भी नहीं है। आप थोड़ी - थोड़ी देर में कमर को आराम देने के लिए बैठ सकती हैं या लेट सकती हैं।

5. सुविधा के अनुसार यात्रा करें

मरीज अक्सर एम्ब्रियो इम्पलांटेशन के बाद सफर नहीं करती हैं। जरूरी काम होने पर भी यात्रा नहीं करती हैं जबकि बस, ट्रेन या हवाई जहाज से सफर किया जा सकता है। एक बार में लम्बी दूरी पर जाने से बेहतर है आप टूकड़ों में या छोटी यात्रा करें। किसी असुविधा से बचने के लिए खुद की गाडी से यात्रा करना बेहतर है।

6. वॉकिंग और एक्सरसाइज करें

एम्ब्रियो इम्पलांटेशन के बाद वॉकिंग या पैदल चलना लाभदायक है और हल्का व्यायाम भी किया जा सकता है लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि हैवी वेट लिफ्टिंग नहीं करें । साथ ही इस बात का ध्यान रखें कि भारी वजन नहीं उठाएं और भारी व्यायाम नहीं करें।

7. वेस्टर्न टॉयलेट जरूरी नहीं, इण्डियन से परहेज नहीं

महिलाओं में ये गलतधारणा है कि आईवीएफ प्रोजिसर में एम्ब्रियो इम्पलांटेशन के बाद वेस्टर्न टॉयलेट का ही उपयोग करना चाहिए इण्डियन टॉयलेट से नुकसान हो सकता है लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं है आप इण्डियन टॉयलेट भी यूज कर सकती हैं।

8. भीड़ से बचे

मेले या ऐसे स्थान जहां पर बहुत सारे लोग एक साथ इकटठा हो ऐसी जगह नहीं जाएं। वहां इंफेक्शन होने का खतरा रहता है। ऐसे लोगों के साथ रहें जो सकारात्मक ऊर्जा दें, जिनके साथ आप खुश रह सके। घर में सीढ़ियां चढ़ना-उतरना किया जा सकता है।


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