अक्सर महिलाओं के मन में ये सवाल आता है कि गर्भावस्था या अन्य परिक्षणों में सोनोग्राफी यानि अल्ट्रासाउण्ड का उपयोग क्यों किया जाता है, sonography me kya hota hai, इसका क्या लाभ है और इससे कोई नुकसान तो नहीं है। आईए जानते हैं क्या होता है सोनोग्राफी में sonography meaning in hindi
सोनोग्राफी क्या है (Sonography ka matlab) - सोनोग्राफी एक तरह का टेस्ट है जो अल्ट्रासाउंड की मदद से किया जाता है। Sonography in Hindi अल्ट्रासाउंड एक डिवाइस है जो हमारे शरीर के आंतरिक अंगों की सीधी तस्वीर यानि लाईव इमेज बनाने के लिए रेडियो तथा सोनार तकनीक का उपयोग करती हैं।
अल्ट्रासाउंड टेस्ट में दर्द नहीं होता है क्यांकि इसमें कोई चीरा या इंजेक्शन नहीं दिया जाता है। ये सुरक्षित भी होता है क्योंकि इसमें कोई रेडिएशन नहीं होते हैं।
अल्ट्रासाउण्ड दो तरीकों से किया जाता है। आमतौर पर गर्भावस्था में अल्ट्रासाउण्ड का उपयोग अधिक किया जाता है। पहला बाहरी यानी ट्रांसएब्डोमिनल अल्ट्रासाउण्ड, इसमें महिला शरीर में जिस अंग की जांच करनी है उसके बाहर पेट पर अल्ट्रासाउण्ड प्रोब ले जाते हैं । टेस्ट वाली जगह पर उपर की तरफ जेल लगाते हैं । इस जेल से स्कीन चिकनी हो जाती है और जांच करने में मदद मिलती है। इस टेस्ट के लिए महिला के लिए महिला का मूत्राशय भरा हुआ होना चाहिए जो महिला के लिए असहज हो सकता है। इस टेस्ट का उपयोग गालब्लेडर की बीमारी के बारे में जानने या कैंसर तथा स्तन में गांठ की जांच करने के लिए भी किया जाता है। अल्ट्रासाउंड से पहले यूरिन रोकने को क्यो कहा जाता है ? पेल्विस एरिया का अल्ट्रासाउंड करने की स्थिति में यूरिन करने से मना किया जाता है क्योंकि इसमें अण्डाशय, गर्भाशय, गर्भाशय ग्रीवा, मूत्राशय और योनि की स्कैनिंग होती है। जांच से पहले मूत्राशय को भरने के लिए बहुत सारा पानी के लिए कहा जाता है। ऐसा करने से अण्डाशय और गर्भाशय की साफ इमेज दिखाई देती है।
दूसरा ट्रांसवेजिनल अल्ट्रासाउंड (टीवीएस) यानि ‘योनि के माध्यम से आंतरिक स्कैन’। ज्यादातर डॉक्टर्स इस स्कैन को प्राथमिकता देते हैं क्योंकि औरत के प्रजनन अंगों जैसे गर्भाशय, अंडाशय, गर्भाशय, फैलोपियन ट्यूब आदि की वैजाइना के रास्ते बहुत ही साफ इमेज दिखाई देती है।
गर्भवती सोनोग्राफी- गर्भवती महिलाओं में डॉक्टर द्वारा टीवीएस परीक्षण अधिक किया जाता है। इसमें महिला को लेटाकर अल्ट्रासाउंड प्रोब के ऊपर कंडोम लगाकर उस पर एक तरह की चिकनाई के लिए जेली लगाई जाती है और योनि के अंदर प्रवेश करवाकर स्कैनिंग की जाती है। ये प्रक्रिया महिला के लिए दर्दरहित होती है।
प्रेगनेंसी के पहले चरण में बेहतर परिणाम और महिला की सहजता को ध्यान में रखते हुए टीवीएस किया जाता है। प्रेगनेंसी की पहली तिमाही में टीवीएस की खास जरूरत होती है। प्रेगनेंसी के पहले 10-12 सप्ताह तक बच्चेदानी पैलेस यानि पेट के निचले हिस्से में होती है इस कारण ट्रांसएब्डोमिनल अल्ट्रासाऊंड से सही इमेज नहीं मिल पाती है।
प्रेगनेंसी के शुरूआती समय में एम्ब्रियो की डवलपमेंट को देखने के लिए टीवीएस सरल और सुरक्षित है। टीवीएस में अल्ट्रासाउंड प्रोब को योनि मार्ग द्वारा अंदर डाला जाता है जो यूट्रस के सबसे ज्यादा करीब होता है जिससे भ्रूण की साफ और बड़ी इमेज दिखाई देती है। प्रेगनेंसी के सभी चरणों में ट्रांसवेलाइनल अल्ट्रासाउंड सुरक्षित है और मां या गर्भस्थ संतान को कोई नुकसान नहीं होता है।