गर्भपात (Miscarriage) का अर्थ होता है गर्भधारण के पहले 20 हफ्तों के भीतर भ्रूण का प्राकृतिक रूप से समाप्त हो जाना। यह एक आम चिकित्सा स्थिति है, जो कई बार महिलाओं को शारीरिक और मानसिक रूप से प्रभावित करती है। गर्भपात के कारणों में हार्मोनल असंतुलन, संक्रमण, या गर्भ में भ्रूण का विकास रुक जाना शामिल हो सकता है। इस ब्लॉग में हम विस्तार से जानेंगे कि गर्भपात क्या होता है, इसके लक्षण क्या हैं, मुख्य कारण क्या हो सकते हैं, इससे जुड़ी भावनात्मक चुनौतियाँ क्या होती हैं, और इससे बचाव के उपाय क्या हैं।
गर्भधारण करते ही जहां एक दम्पती फूला नहीं समाता है वहीं उसका पूरा परिवार खुशियों से चहकने लगता है लेकिन कभी कभी शारीरिक समस्याओं के चलते कुछ महिलाएं अचानक गर्भपात का शिकार हो जाती हैं। अचानक हुए इस गर्भपात से महिला शारीरिक से ज्यादा मानसिक रूप से कमजोर हो जाती है। ऐसे में पुनरू गर्भधारण करने के लिए महिला को मानसिक रूप से उबरने में मदद की जानी चाहिए ताकि यह सदमा धीरे धीरे उसके जेहन से निकल जाए।
Miscarriage जिसे गर्भपात कहा जाता है, गर्भावस्था के पहले 20 हफ्तों में भ्रूण का प्राकृतिक रूप से समाप्त हो जाना है। यह एक आम लेकिन भावनात्मक रूप से कठिन अनुभव हो सकता है। अधिकतर मामलों में यह गर्भावस्था के शुरुआती चरण में होता है, जब महिला को योनि से रक्तस्राव या पेट में ऐंठन महसूस होती है। कई बार इसका कारण हार्मोनल असंतुलन, संक्रमण या भ्रूण का सही विकास न होना होता है। यह एक संवेदनशील विषय है, जिसे समझना और इससे जुड़ी जानकारी पाना बेहद ज़रूरी है।
गर्भपात के लक्षण महिला के शरीर में कई संकेतों के रूप में सामने आते हैं, जिन्हें पहचानना बेहद ज़रूरी है। नीचे दिए गए हैं गर्भपात के संभावित लक्षण:
यदि इनमें से कोई भी लक्षण महसूस हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
इसमें गर्भावस्था स्वयं समाप्त हो जाती है। इस दौरान न कोई रक्तस्राव होता है और न ही किसी तरह के लक्षण दिखाई देते हैं। कुछ मामलों में तो गर्भपात होने के बाद भी भ्रूण गर्भ में ही रहता है और इसका पता तब चलता है जब गर्भ में भ्रूण का विकास रुक जाता है। इसका पता अल्ट्रासाउंड से किया जाता है।
इसमें महिला को भारी रक्तस्राव और पेट के निचले हिस्से में तेज दर्द होता है। भ्रूण का कुछ ही भाग बाहर आ पाता है। यही कारण है कि इसे अधूरा गर्भपात कहा जाता है। निदान अल्ट्रासाउंड से होता है।
पेट में तेज दर्द होना और भारी रक्तस्राव होना पूर्ण गर्भपात के लक्षण हो सकते हैं। इसमें गर्भाशय से भ्रूण पूरी तरह से बाहर आ जाता है।
इसमें रक्तस्राव होता रहता है और गर्भाशय ग्रीवा खुल जाती हैए जिससे भ्रूण बाहर आ जाता है। इस दौरान महिला को पेट में लगातार ऐंठन होती रहती है।
गर्भ में संक्रमण होने से गर्भपात होता है।
गर्भपात का सबसे आम लक्षण है पेट में ऐंठन और योनि से रक्तस्राव होना। अगर गर्भावस्था के दौरान ऐसे कुछ लक्षण दिखाई देंए तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
गर्भावस्था के लक्षण
योनि से रक्तस्राव रू योनि से भूरे या गहरे लाल रंग का रक्तस्राव होना गर्भपात का सबसे अहम लक्षण हो सकता है। इस दौरान स्पॉटिंगए खून के थक्के या अत्यधिक रक्त बहना होता है।
पीठ में तेज दर्द रू गर्भावस्था में पीठ में दर्द होना आम हैए लेकिन यह दर्द कभी.कभी असहनीय हो सकता है। ऐसे में आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिएए क्योंकि यह गर्भपात का संकेत हो सकता है।
पेट के निचले हिस्से में ऐंठन रू पेट के निचले हिस्से में दर्द होना गर्भपात के लक्षणों में से एक है। यह चिंता का विषय हो सकता हैए क्योंकि यह दर्द महावारी के समय होने वाले दर्द जितना तीव्र या उससे भी अधिक तेज हो सकता है। इसके अलावा कई बार ऐसा भी होता है कि गर्भपात के लक्षण महसूस नहीं होते हैं और गर्भवती नियमित जांच के लिए डॉक्टर के पास जाती हैए तब पता चलता है कि गर्भपात हो गया है।
क्रोमोजोम असामान्यता रू गर्भपात का एक कारण क्रोमोजोम का असामान्य होना भी है। व्यक्ति के शरीर में मौजूद छोटी.छोटी संरचनाओं को क्रोमोजोम कहते हैं। ये संरचनाएं जीन्स को लाने और ले जाने का काम करती हैं। किसी.किसी मामले में जब पुरुष के शुक्राणु अंडों से मिलते हैंए तो अंडे या शुक्राणु में से किसी एक में त्रुटि आ जाती हैए जिससे भ्रूण में एक क्रोमोजोम का मेल असामान्य हो जाता हैए ऐसे में गर्भपात हो सकता है
गर्भाशय असामान्यताएं और असमर्थ सर्विक्स रू जब महिला के गर्भाशय का आकार और गर्भाशय का विभाजन असामान्य होता हैए तो गर्भपात की स्थिति बन सकती हैए क्योंकि ऐसे में भ्रूण गर्भाशय में प्रत्यारोपित नहीं हो पाता। इसमें गर्भाशय का अंदरुनी भाग मांसपेशियों अथवा फाइब्रर की दीवार से विभाजित होता है।
इम्यूनोलॉजी डिसऑर्डर रू कभी.कभी इम्यूनोलॉजी डिसऑर्डर के कारण गर्भाशय में भ्रूण का प्रत्यारोपण नहीं हो पाताए इस वजह से भी गर्भपात हो सकता है। इम्यूनोलॉजी डिसऑर्डर में अस्थमाए एलर्जीए ऑटोइनफ्लेमेटरी सिंड्रोम जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
पीसीओएस ;पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोमद्ध रू जिन महिलाओं को पीसीओएस की समस्या रहती हैए उनमें गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है। इस स्थिति में प्रोजेस्ट्रोन व एस्ट्रोजन हार्मोंस का संतुलन बिगड़ जाता हैए जिस कारण गर्भधारण के लिए अंडे विकसित नहीं हो पाते हैं।।
जिन महिलाओं का गर्भपात बार.बार होता हैए उसके पीछे क्रोमोजोम असामान्य होना अहम कारण हो सकता है। यहां हम कुछ अन्य कारण बता रहे हैंए जिनकी वजह से बार.बार गर्भपात हो सकता हैए
अधिक उम्र में गर्भधारण की कोशिश करना रू जो महिलाएं 35 वर्ष से ज्यादा उम्र में गर्भधारण की कोशिश करती हैंए उन्हें बार.बार गर्भपात हो सकता है ।
ज्यादा भागदौड़ करना या ज्यादा यात्रा करना रू गर्भावस्था के दौरान बहुत ज्यादा भागदौड़ करना या पहली और तीसरी तिमाही में यात्रा करना गर्भपात का कारण बन सकता है।
पेट पर बहुत ज्यादा दबाव पड़ना या चोट लगना रू अगर गर्भावस्था के दौरान महिला के पेट पर चोट लगती है या दबाव पड़ता हैए तो भी गर्भपात हो सकता है।
योनि में किसी तरह का संक्रमण होना रू महिलाओं को योनि में संक्रमण होना आम बात है। ऐसे में बार बार होने वाला योनि संक्रमण गर्भपात का कारण बन सकता है।
फोलिक एसिड और प्रसव पूर्व विटामिन लें रू गर्भपात का खतरा टालने के लिए आपको गर्भावस्था से पहले और गर्भावस्था के दौरान फोलिक एसिड और अन्य विटामिन लेने की सलाह दी जाती है। डॉक्टर रोजाना 400 से 800 एमजी फोलिक एसिड लेने की सलाह देते हैं।
नियमित टीकाकरण रू कुछ पुरानी बीमारियों के चलते गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में आप जरूरी टीके लगवाकर इस समस्या से बच सकती हैं।
नियमित रूप से व्यायाम करें रू गर्भावस्था में हल्का व्यायाम करना फायदेमंद हो सकता है। इस दौरान स्ट्रेचिंग व योग आदि करना गर्भपात के जोखिम को कम कर सकता है। इसे करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लें और योग्य प्रशिक्षक की देखरेख में ही इसे करें।
गर्भपात का सही समय पर निदान कर लिया जाएए तो संक्रमण जैसी समस्या से बचा जा सकता है। ऐसा न होने पर महिला को खतरा हो सकता है।
पेल्विक जांच रू इसमें डॉक्टर ग्रीवा के फैलाव की जांच करेंगे।
अल्ट्रासाउंड रू अल्ट्रासाउंड के दौरानए डॉक्टर भ्रूण के दिल की धड़कन की जांच करके पता लगाएंगे कि भ्रूण सामान्य रूप से विकसित हो रहा है या नहीं।
ब्लड टेस्ट रू इस दौरान डॉक्टर आपके रक्त का नमूना लेकर ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन ;एचसीजीद्ध के स्तर की तुलना पहले के स्तर से कर सकते हैं। अगर यह बदला हुआ आएए तो यह समस्या का संकेत हो सकता है। इसके अलावा एनीमिया की जांच भी कर सकते हैं।
टिश्यू टेस्ट रू अगर ग्रीवा से टिश्यू बाहर निकलने लगे हैंए तो डॉक्टर गर्भपात का पता लगाने के लिए इनकी जांच सकते हैं।
क्रोमोजोम टेस्ट रू अगर आपको पहले भी गर्भपात हो चुका हैए तो डॉक्टर क्रोमोजोम संबंधी परेशानी का पता लगाने के लिए आपका और आपके पति का ब्लड टेस्ट कर सकते हैं।
गर्भपात एक संवेदनशील और भावनात्मक अनुभव हो सकता है, लेकिन इसे समझना और समय पर चिकित्सा सहायता लेना बेहद ज़रूरी है। यह जानना कि इसके क्या लक्षण हैं, क्या कारण हो सकते हैं, और किस स्थिति में डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए — महिलाओं को शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार करता है। हर महिला का अनुभव अलग होता है, इसलिए सहानुभूति और सही जानकारी देना आवश्यक है।
गर्भावस्था में पौष्टिक आहार जैसे फल, सब्जियाँ, दूध, दालें और साबुत अनाज खाना चाहिए। कच्चा मांस, अधपका अंडा, ज्यादा कैफीन और पैकेज्ड फूड से बचना चाहिए।
भारी वजन उठाना, तनाव लेना, धूम्रपान और शराब का सेवन करना गर्भवती महिला को नहीं करना चाहिए। नियमित जांच और आराम ज़रूरी है।
आमतौर पर डॉक्टर 1 से 3 महीने का इंतजार करने की सलाह देते हैं ताकि शरीर और मन दोनों पूरी तरह स्वस्थ हो सकें।
हर महिला का अनुभव अलग होता है। अधिकतर मामलों में गर्भपात के बाद फिर से गर्भधारण संभव होता है, लेकिन यदि बार-बार गर्भपात हो तो जांच ज़रूरी है।
गर्भावस्था के पहले 12 हफ्तों में मिसकैरेज की संभावना सबसे अधिक होती है, जिसे पहला तिमाही कहा जाता है।
जब प्राकृतिक रूप से गर्भधारण संभव न हो, जैसे अंडाणु या शुक्राणु की कमी, ट्यूब ब्लॉकेज या बार-बार गर्भपात हो, तब IVF की सलाह दी जाती है।