कई महिलाएं बाहर से तो शारीरिक रूप से स्वस्थ दिखती हैं लेकिन प्राकृतिक रूप से गर्भधारण में कठिनाई होती है तो वे परेशान रहने लगती हैं । महिलाओं में गर्भधारण नहीं होने का एक प्रमुख कारण अण्डे की कमी या अण्डे नहीं बनना है। अण्डों की कमी, अण्डे नहीं बनना या उनकी क्वालिटी में कमी होने के कारण आमतौर पर जांच करने पर पता चलते हैं। अण्डों की संख्या यानि फॉलिकल काउण्ट जानने के लिए एएमएच टेस्ट किया जाता है। पुरूष का स्पर्म महिला के अण्डे को फैलोपियन ट्यूब में फर्टिलाइज करता है। अगर अण्डा फैलोपियन ट्यूब में नहीं आता है या अण्डशय में बनता ही नहीं है तो फर्टिलाइजेशन की प्रोसेस नहीं हो पाएगी। आईए समझते हैं फर्टिलाइजेशन में अण्डे का रोल, अण्डे बनने की प्रोसेस, अण्डे नहीं बनने के कारण और इन स्थितियों में कैसे गर्भधारण करें?
अण्डाशय में अण्डे नहीं बनने या कम बनने की समस्या का बाहरी तौर पर विशेष प्रभाव नहीं होता है लेकिन कंसीव करने में समस्या होती है। हालांकि कुछ लक्षण ऐसे हैं जिनको ज्यादातर महिलाएं नजरअंदाज कर देती हैं। अण्डे नहीं बनने के निम्न प्रमुख कारण हो सकते हैं।
हार्मोनल असंतुलन के कारण अंडाणु का विकास रुक जाता है। महिलाओं और आजकल कम उम्र की लड़कियों में अण्डे नहीं बनने का, उनकी क्वालिटी खराब होने के कारण पीसीओएस (PCOS) हो सकता है।
थायराइड हार्मोन की गड़बड़ी से ओव्यूलेशन प्रभावित होता है। थायराइड कम या ज्यादा होने पर भी अण्डे बनने में समस्या हो सकती है।
महिला की उम्र बढ़ने के साथ उसके अण्डों की संख्या कम हो जाती है साथ ही उनकी क्वालिटी भी प्रभावित होती है। समय के पहले यानि 40 वर्ष से पहले मेनोपॉज / रजोनिवृत्ति से अण्डे बनने बंद हो जाते हैं।
खराब खानपान,देर रात जागना, तनाव, सिगरेट व नशे की लत के कारण हार्मोन प्रभावित होते हैं जिससे अण्डों के निर्माण में समस्या हो सकती है।
अधिक या कम वजन दोनों स्थितियां महिला के अण्डाशय में अण्डों के निर्माण को प्रभावित करती हैं । बीएमआई के अनुसार वजन होना चाहिए।
शरीर में अण्डा नहीं बनने या होर्मोनल असंतुलन होने के कुछ संकेत महिला को दिखते हैं अगर इन पर ध्यान दिया जाए तो समय पर उपचार करवाया जा सकता है।
अगर अण्डों का विकास नहीं हो रहा है, तो निम्नलिखित लक्षण दिखाई दे सकते हैं:
महिलाओं में ये हार्मोनल अंसतुलन होने पर पीरियड्स का अनियमित होना सबसे कॉमन लक्षण है, जिससे महिलाएं सामान्य समझती हैं।
माहवारी में अत्यधिक या कम ब्लीडिंग होना अच्छे संकेत नहीं हैं।
चेहरे और शरीर के अंगों पर अनचाहे बाल आना हॉर्मोनल असंतुलन के संकेत हैं।
बिना किसी कारण से अचानक से वजन बढ़ना भी अण्डों के निर्माण को बाधित कर सकता है।
चेहरे पर मुंहासे होना हॉर्मोनल असंतुलन का परिणाम हो सकता है
ये लक्षण संकेत देते हैं कि शरीर में हार्मोनल असंतुलन है और अंडाणु नहीं बन रहे हैं।
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अंडाणु बनने की समस्या का समाधान इन उपायों से संभव है:
महिलाओं में अंडे बनने के
काफी प्रयासों के बाद भी कंसीव नहीं होने की स्थिति में डॉक्टर से फर्टिलिटी के टेस्ट करवाएं, अण्डाशय की जांचों में अण्डों की कमी सामने आने पर निम्न कदम उठाने चाहिए |
यदि आपकी माहवारी लगातार अनियमित है और काफी प्रयासों के बाद भी प्रेगनेंसी नहीं हो रही है तो इंतजार करने के बजाय डॉक्टर से कन्सल्ट करना चाहिए क्योंकि ये पीसीओएस या थायराइड के लक्षण हो सकते हैं। फर्टिलिटी एक्सपर्ट ( fertility experts)से राय लेने के बाद उचित जांचों और उपचार से अपने अण्डों से गर्भधारण किया जा सकता है। उपर लिखे गये लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए और समय पर डॉक्टर से बात करनी चाहिए ।
अंडाणु न बनना एक आम लेकिन गंभीर समस्या है, जिसका समय पर इलाज संभव है। सही जानकारी, जीवनशैली में सुधार और विशेषज्ञ की सलाह से महिलाएं गर्भधारण कर सकती हैं। इस लेख में बताए गए उपायों को अपनाकर आप इस समस्या से निजात पा सकती हैं।
हाँ, पोषक तत्वों से भरपूर भोजन जैसे ओमेगा-3, विटामिन D, और प्रोटीन अंडे की क्वालिटी को बेहतर बनाते हैं।
आमतौर पर पीरियड के 12वें से 16वें दिन के बीच ओव्यूलेशन होता है| यानि अण्डाशय से फेलोपियन ट्यूब में आता है लेकिन हर महिला की पीरियड की साइकिल पर ओव्युलेशन निर्भर करता है।
गर्भधारण के शुरुआती लक्षणों में पीरियड मिस होना,हल्की ब्लीडिंग, थकान,और स्तनों में संवेदनशीलता शामिल हैं। प्रेगनेंसी कन्फर्म करने के लिए प्रेगनेंसी टेस्ट करना चाहिए ।
IVF प्रक्रिया में अंडाणु को अल्ट्रासाउंड गाइडेड सुई द्वारा अंडाशय से निकाला जाता है और लैब में स्पर्म से मिलाया जाता है।
जब प्राकृतिक रूप से गर्भधारण संभव न हो, या अंडाणु न बन रहे हों, तब IVF एक विकल्प हो सकता है। डॉक्टर की सलाह से सही समय तय करें।