Skip to main content

पीआईडी: पेल्विक इनफ्लैमेटरी डिजीज और निःसंतानता

Last updated: February 07, 2025

Synopsis

पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज (Pelvic Inflammatory Disease in Hindi) तब होता है जब महिला प्रजनन अंग संक्रमित हो जाते हैं। जानिए पीआईडी (Pid in Hindi) के लक्षण और उपचार Indira IVF के साथ।

 

पीआईडी - पेल्विक इनफ्लैमेटरी डिजीज (What is pelvic inflammatory disease in hindi)?

कई महिलाओं को पेट के निचले हिस्से में दर्द की समस्या होती है लेकिन वे इसे सामान्य मान लेती हैं और इसे कई सालों तक सहती रहती हैं. लेकिन यदि किसी महिला को असामान्य ब्लिडिंग, पेशाब और शारीरिक संबंध बनाने के दौरान दर्द, पेट के निचले हिस्से में दर्द होता है तो ये पीआईडी (पेल्विक इनफ्लैमेटरी डिजीज) के लक्षण हो सकते हैं जिससे निःसंतानता का खतरा भी हो सकता है।

मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को पेडू यानि नाभी के नीचे वाले हिस्से में दर्द होना सामान्य बात है लेकिन बिना पीरियड्स के यह दर्द अच्छे संकेत नहीं है। महिला की फैलोपियन ट्यूब, गर्भाशय और अंडाशय में होने वाला संक्रमण और सूजन पेल्विक इनफ्लेमेटरी डिजीज यानि पीआईडी के लक्षण हैं । कई मामलों में यह इन्फेक्शन पैल्विक पेरिटोनियम तक पहुंच जाता है। बड़ी समस्या से बचने के लिए इस परेशानी के बारे में डॉक्टर से परामर्श लेकर उपचार शुरू करवाना चाहिए। लगातार नजरअंदाज करने से ऐक्टोपिक प्रेगनेंसी और पैल्विस में लगातार दर्द रहने की शिकायत हो सकती है।

पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज लक्षण (Know pelvic inflammatory disease symptoms in hindi)

सामान्यतया यह बैक्टीरियल इन्फेक्शन होता है जिसके लक्षण में पेट के निचले हिस्से में दर्द, थकान, आलस, बुखार, वैजाइनल डिस्चार्ज, हैवी पीरियड्स, दर्दनाक पीरियड्स, असामान्य ब्लीडिंग, यौन संबंध बनाने में या पेशाब करते समय तेज दर्द महसूस होना शामिल है। जब बैक्टीरिया योनि या गर्भाशय ग्रीवा द्वारा महिलाओं के प्रजनन अंगो तक पहुंचते हैं तो पेल्विक इनफ्लैमेटरी डिजीज का कारण बनते हैं। पीआईडी इन्फेक्शन के लिए कई प्रकार के बैक्टीरिया जिम्मेदार होते हैं। ज्यादातर यौन संबंधों के कारण यह इंफेक्शन होता है। इसकी शुरूआत क्लैमाइडिया और गोनोरिया के रूप में हो सकती है। कम उम्र की महिलाओं में इसके होने की आशंका अधिक रहती है लेकिन जिन महिलाओं के पीरियड्स बंद हो गये हैं (मेनोपॉज) उनमें भी यह समस्या हो सकती है।

मल्टिपल सैक्सुअल पार्टनर और असुरक्षित यौन संबंध की स्थिति में भी पीआईडी होने का खतरा बढ़ जाता है । कई मामलों में इसका कारण टी.बी. भी हो सकता है।

प्रजनन क्षमता को हानि

पीआईडी के बारे में प्रारम्भिक स्तर पर पहचान करना जरूरी है। इसके कारण अंडाशय से फैलोपियन ट्यूब तक अंडे पहुंचने में बाधा आती है ऐसी स्थिति में शुक्राणु अंडों तक नहीं पहुंच पाते और निषेचन की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाती है। अगर निषेचन की प्रक्रिया हो भी जाए तो भ्रूण गर्भाशय में जाने की बजाय बाहर एक्टोपिक प्रेगनेंसी के रूप में विकसित होने लगता है और गर्भपात हो जाता है। बार-बार एक्टोपिक प्रेगनेंसी और प्रजनन अंगों को नुकसान होने से इनफर्टिलिटी का खतरा बढ़ जाता है, कुछ महिलाओं में पीआईडी के कारण माहवारी के अलावा किसी भी समय स्त्राव होने की भी शिकायत रहती है।

पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज जांच व इलाज (pelvic inflammatory disease treatment in hindi)

पीआईडी के लक्षण नजर आने पर टेस्ट करवाएं ताकि किस बैक्टीरिया के कारण पीआईडी की समस्या हो रही है इसकी पहचान की जा सके। इसके लिए क्लैमाइडिया या गोनोरिया की जांच की जाती है। फैलोपियन ट्यूब में इंफैक्शन का पता लगाने के लिए अल्ट्रासाउंड किया जा सकता है। पीआईडी का ईलाज एंटीबायोटिक द्वारा किया जाता है। बेहतर देखभाल, स्वास्थ्यवर्धक आहार, एक्सरसाईज और भरपूर पानी पीने से कुछ हद तक बचाव किया जा सकता है।

पीआईडी में गर्भधारण कैसे संभव है ?

जिन महिलाओं को पीआईडी के कारण गर्भपात की शिकायत और गर्भधारण में समस्या आ रही है उन्हें फर्टिलिटी विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए ताकि प्रेगनेंसी को डिलीवरी तक सुरक्षित बनाए रखा जा सके। पेल्विक इन्फेक्शन के कारण गर्भाशय के बाहर प्रैग्नेंसी होने का खतरा बढ़ जाता है, इस खतरे को दूर करने और फैलोपियन ट्यूब में समस्या होने पर आईवीएफ तकनीक अपनाने की सलाह दी जाती है क्योंकि आईवीएफ में ट्यूब में होने वाली प्रक्रिया को बाहर लैब में किया जाता है और भ्रूण को सीधे गर्भाशय में स्थानान्तरित कर दिया जाता है।

 

© 2025 Indira IVF Hospital Private Limited. All Rights Reserved. T&C Apply | Privacy Policy| *Disclaimer