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क्या गर्भधारण के लिए शुक्राणु की पर्याप्त मात्रा जरूरी है?

Last updated: June 05, 2025

Overview

क्या गर्भधारण के लिए शुक्राणु की पर्याप्त मात्रा जरूरी है ? अल्प शुक्राणुओं, गर्भधारण में शुक्राणुओं की भूमिका, पुरूषों में स्पर्म की मात्रा में कमी

 

अल्प शुक्राणुओं में गुणवत्तायुक्त स्पर्म मिलने की संभावना कम

स्वाभाविक रूप से परिवार को पूरा करने की इच्छा रखने वाले दम्पतियों के लिए सबसे जरूरी है पति-पत्नी दोनों की फर्टिलिटी रिपोर्ट सामान्य हो । आमतौर पर लोग यह मानते हैं कि कम शुक्राणुओं में भी प्राकृतिक रूप से पिता बना जा सकता है क्योंकि कंसीव करने के लिए सिर्फ एक शुक्राणु की जरूरत होती है। यह बात सही है कि महिला के अण्डे को सिर्फ एक शुक्राणु निषेचित करता है लेकिन शुक्राणुओं की संख्या पर्याप्त होना भी जरूरी है। शुक्राणुओं की संख्या का अधिक होना प्रत्येक चक्र में गर्भधारण की संभावनाओं को बढ़ाता है। महिला के मातृत्व के लिए स्वयं के अण्डाशय, गर्भाशय व फैलोपियन ट्यूब के साथ पुरूष के शुक्राणुओं की संख्या सबसे महत्वपूर्ण कारक है। बाहर से स्वस्थ दिखने वाले पुरूष खुद को पिता बनने के लिए शारीरिक रूप से कमजोर नहीं मानते हैं लेकिन पुरूषों में निःसंतानता के कारण बाहरी रूप से दिखाई नहीं देते हैं। पुरूषों में निःसंतानता के कारणों में शुक्राणुओं की कमी प्रमुख है।

ई एंड वाई रिपोर्ट के अनुसार 10 से 15 प्रतिशत दम्पतियों को बांझपन प्रभावित कर रहा है जिसमें 40 से 50 प्रतिशत महिलाएं तथा 30 से 40 प्रतिशत मामलों में पुरूष इनफर्टिलिटी के शिकार हैं।

गर्भधारण में शुक्राणुओं की भूमिका – लोगों के मन में यह सवाल होता है कि जब एक शुक्राणु से ही फर्टिलाइजेशन की प्रक्रिया हो जाती है तो करोड़ो शुक्राणुओं की जरूरत क्या है ? तो यह बता दें कि पुरूष के वीर्य सेे निकलने वाले अनेकों शुक्राणुओं में से कोई एक ही महिला की फैलोपियन ट्यूब में मौजूद अण्डे को निषेचित कर पाता है लेकिन इसका मलतब यह नहीं है कि सिर्फ एक ही शुक्राणु होना चाहिए। पुरूष द्वारा संभोग में गर्भाशय के बाहर स्खलित करोड़ों शुक्राणुओं में से कुछ ही आगे बढ़ पाते हैं ज्यादातर अपनी यात्रा बीच में ही समाप्त कर देते हैं, कुछ मृत होते हैं कुछ की संरचना अच्छी नहीं होती है इसलिए संख्या ज्यादा होने से अच्छी क्वालिटी के शुक्राणु अधिक होने की संभावना रहती है। डब्यलूएचओ ने सिमन में 15 मीलियन प्रति एमएल से अधिक शुक्राणुओं को सामान्य माना है लेकिन इससे कम होना प्राकृतिक गर्भधारण के मामले में अच्छे संकेत नहीं है। पिछले कुछ वर्षों में पुरूष के शुक्राणुओं में काफी कमी आयी है विशेषकर कम उम्र के पुरूषों में यह समस्या अधिक देखी जा रही है।

पुरूषों में स्पर्म की मात्रा में कमी के निम्न कारण हो सकते हैं –
शुक्राणु निर्माण में समस्या – क्रोमेजोमल या आनुवांशिक कारण
संक्रमण (इंफेक्शन)
अण्डकोष में विकार
वास डिफरेंस की अनुपस्थिति
वास/एपिडिडायमिस की रूकावट
हार्मोनल समस्याएं – पिट्यूटरी में समस्या, एलएच/ एफएसएच में विकार आदि

भारत में महिलाओं की तुलना में पुरूषों में तनाव का स्तर अधिक होता है साथ ही नशा, तम्बाकु, स्मोकिंग, खराब खानपान सेे पुरूष के शुक्राणुआंे की मात्रा व गुणवत्ता में बड़ी कमी आयी है। जीवनशैली में बड़ा बदलाव होने के कारण भी गिरावट सामने आ रही है।

शरीर में वसा (बड़ी कमर और अधिक बीएमआई), उच्च रक्तचाप की समस्या, मधुमेह और हृदय रोग के कारण शुक्राणु कम होने व पिता बनने में परेशानी की संभावना भी अधिक रहती है।

स्पर्म काउंट की कमी प्रजनन क्षमता को प्रभावित करती है क्योंकि शुक्राणुओं की संख्या और गुणवत्ता में कमी गर्भधारण की संभावनाओं को घटा देती है वैसे तो गर्भधारण में शुक्राणुओं की संख्या सबसे महत्वपूर्ण है लेकिन गुणवत्ता जिसमें आकार, गतिशीलता और जीवित शुक्राणु भी प्रमुख कारक साबित होते हैं।

लो स्पर्म काउंट में क्या करें – सामान्य से कम शुक्राणु होने की स्थिति में पहले डोनर शुक्राणु की सहायता लेनी पड़ती थी लेकिन अब कम शुक्राणुओं में भी अपने शुक्राणु से पिता बना जा सकता है। जिन पुरूषों में शुक्राणुओं की कमी सामने आ रही है वे कृत्रिम गर्भाधान की विभिन्न तकनीकों का सहारा ले सकते हैं। शुक्राणुओं की मात्रा के अनुसार आईयूआई (10 से 15 मीलियन प्रति एमएल), आईवीएफ (5 से 10 मीलियन प्रति एमएल), इक्सी (1 से 5 मीलियन प्रति एमएल) तकनीक द्वारा अपने शुक्राणुओं से पिता बना जा सकता है। तकनीकी दौर में निल शुक्राणु (अजूस्परमिया) की स्थिति में भी स्वयं के शुक्राणुओं से पिता बनने के लिए इक्सी में टेस्टिक्यूलर बायोप्सी को अपनाया जा सकता है।


पुरूष अपनी लाइफस्टाइल में सुधार कर, तनाव में कमी, साधारण जीवन, पौष्टिक आहार, संतुलित बीएमआई से शुक्राणुओं में गिरावट को नियन्त्रित कर सकते हैं।


**Disclaimer: The information provided here serves as a general guide and does not constitute medical advice. We strongly advise consulting a certified fertility expert for professional assessment and personalized treatment recommendations.
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