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पुरूष निःसंतानता का एक कारण वेरिकोसिल आधुनिक तकनीकों से संभव है पिता बनना

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Last updated: December 02, 2025

वैरिकोसील क्या है? (What is Varicocele in Hindi)

वैरिकोसील अंडकोष (टेस्टिकल्स) की नसों में सूजन या फैलाव को कहते हैं। इसे आसान भाषा में समझें तो जैसे पैरों में वैरिकोज वेन्स (त्वचा की सतह के नीचे सूजी, मुड़ी हुई और नीली या बैंगनी रंग की नसें) बन जाती हैं, वैसे ही वेन्स टेस्टिकल्स के आसपास भी बन जाती है। टेस्टिकल्स के आसपास कई नसें होती हैं, जो सामान्य रूप से खून को ऊपर की ओर ले जाती हैं। जब इन नसों में मौजूद छोटे वाल्व ठीक से काम नहीं करते, तो टेस्टिकल्स के आसपास इन नसों में खून जमा होने लगता है और ये फूल जाती हैं। यह स्थिति वैरिकोसील (varicocele meaning in hindi) कहलाती है। यह समस्या धीरे-धीरे बढ़ती है और कई बार स्पर्म क्वालिटी को भी प्रभावित करती है, इसका असर मेल फर्टिलिटी (पुरुष प्रजनन क्षमता) पर पड़ सकता है। आइये समझते हैं कि varicocele kya hota hai, इसके कारण, लक्षण, जांच और उपचार क्या हैं।

वेरीकोसील के प्रकार (Types of Varicocele in Hindi)

वैरिकोसील को गंभीरता के आधार पर तीन प्रकारों में बाँटा जाता है। डॉक्टर इसे “ग्रेडिंग सिस्टम” के द्वारा पहचानते हैं ताकि यह पता चले कि समस्या कितनी हल्की या कितनी गंभीर है। यह जानकारी सही इलाज चुनने में मदद करती है।

ग्रेड 1 (हल्का वैरिकोसील):

  • यह सबसे हल्का प्रकार होता है।
  • इस स्थिति में नसें दिखाई नहीं देतीं।
  • डॉक्टर पल्पेशन यानी उँगलियों से जांच करते समय इसे महसूस कर पाते हैं।
  • कई बार मरीज को इसका पता भी नहीं चलता।

ग्रेड 2 (मध्यम या मीडियम वैरिकोसील):

  • खड़े होने पर नसें हल्के उभार के रूप में दिखाई देने लगती हैं।
  • बैठते या लेटते समय यह उभार कम हो सकता है।
  • इस स्टेज में हल्का दर्द या भारीपन महसूस हो सकता है।

ग्रेड 3 (गंभीर वैरिकोसील):

  • नसें आंखों से स्पष्ट दिखती हैं।
  • कई पुरुष बताते हैं कि टेस्टिकल्स के पास “कीड़ों जैसा गुच्छा” महसूस होता है।
  • दर्द या असुविधा बढ़ जाती है।
  • स्पर्म क्वालिटी पर प्रभाव स्पष्ट दिख सकता है।

ग्रेडिंग से यह समझ आता है कि आगे की जांच और उपचार की कितनी जरुरत है।

वैरिकोसील कैसे होता है? (Varicocele Kaise Hota Hai)

वैरिकोसील बनने की प्रक्रिया बहुत सामान्य है। अंडकोष की नसों में छोटे-छोटे वाल्व होते हैं जो खून को एक ही दिशा में ऊपर की ओर बहने देते हैं। जब ये वाल्व खराब हो जाते हैं, तो खून वापस नीचे आ जाता है और नसों में भर जाता है। इससे नसें फूल कर मोटी दिखाई देने लगती हैं।

मुख्य कारण इस प्रकार हैं:

  • नसों के वाल्व का खराब होना: कभी कभी टेस्टिकल्स की नसों के अंदर वाल्व ख़राब होते हैं या पूरी तरह बन नहीं पाते जिसकी वजह से रक्त का प्रवाह (ब्लड फ्लो) रेगुलेट नहीं हो पाता और खून जमा हो जाता है जिससे नसें सूज जाती हैं।
  • खून का उल्टा बहना: ऊपर की जगह नीचे की ओर दबाव बनने लगता है।
  • लंबे समय तक खड़े रहना: उन पुरुषों में ज्यादा दिखता है जो दिनभर खड़े रहकर काम करते हैं।
  • भारी काम करना: ज़्यादा वज़न उठाने से पेट और नसों पर दबाव बढ़ता है।
  • जन्म से नसों की कमजोरी: कुछ पुरुषों में यह ऐसी नसें जन्मजात होती है।

वैरिकोसील के लक्षण (Varicocele ke Lakshan)

अधिकांश पुरुष शुरुआत में लक्षणों को नजरअंदाज कर देते हैं, क्योंकि यह समस्या धीरे-धीरे बढ़ती है। लेकिन कुछ संकेत स्पष्ट होते हैं:

  • अंडकोष में भारीपन या खिंचाव: काम के दौरान या दिन के अंत में भारीपन ज्यादा महसूस होता है।
  • हल्का या लगातार दर्द: गर्मी, लंबे समय खड़े रहने या व्यायाम के बाद दर्द बढ़ सकता है।
  • नसों का दिखना (worm-like structure): अंडकोष के ऊपर नसें कीड़ों जैसे गुच्छे की तरह महसूस होती हैं।
  • बाईं तरफ ज़्यादा वैरिकोसील: टेस्टिकल्स के बाईं ओर की नस (left testicular vein) पेट की बड़ी नस में सीधा और लंबा रास्ता तय करती है। इस कारण उस नस पर दबाव स्वाभाविक रूप से अधिक पड़ता है और खून वापस नीचे की ओर जमा होने लगता है। इसी वजह से वैरिकोसील ज्यादातर बाईं तरफ देखा जाता है।
  • अंडकोष का छोटा होना: लंबे समय तक इलाज न होने के कारण टेस्टिकल्स में सिकुड़न हो सकती है।
  • शुक्राणुओं पर असर: स्पर्म काउंट, स्पर्म मोबिलिटी और स्पर्म का आकार या स्पर्म मॉर्फोलॉजी (sperm morphology) प्रभावित हो सकते हैं।
  • पुरुष निःसंतानता: लंबे समय में स्पर्म क्वालिटी ख़राब होने से पुरुष निःसंतानता

वैरिकोसील के नुकसान (Effect of Varicocele in Hindi)

वैरिकोसील का सीधे स्पर्म प्रोडक्शन पर असर पड़ता है। जब नसें फूल जाती हैं, तो टेस्टिकल्स का तापमान सामान्य से अधिक हो जाता है। स्पर्म कम तापमान पर अच्छी तरह बनते हैं, इसलिए तापमान बढ़ने से:

  • स्पर्म काउंट कम हो सकता है
  • स्पर्म की गति और उसका आकार प्रभावित होती है
  • डीएनए फ्रेगमेंटेशन बढ़ सकता है
  • प्राकृतिक गर्भधारण की संभावना कम हो सकती है

इस कारण बहुत से पुरुषों में निःसंतानता का एक बड़ा कारण वैरिकोसील पाया जाता है।

वैरिकोसील का इलाज (Treatment of Varicocele in Hindi)

वैरिकोसील का इलाज उसकी गंभीरता, लक्षण और फ़र्टिलिटी रिपोर्ट के आधार पर किया जाता है। सभी मरीजों में सर्जरी की जरूरत नहीं होती। कई मामलों में सिर्फ ऑब्ज़र्वेशन काफी होता है।

  • नियमित जांच और निगरानी: मामूली केसों में डॉक्टर फॉलोअप करके स्थिति पर नज़र रखते हैं।
  • दर्द कम करने की दवाइयाँ: हल्के दर्द या भारीपन के लिए सूजन कम करने वाली (anti-inflammatory) दवाएँ दी जाती हैं।
  • वैरिकोसेलेक्टोमी सर्जरी (Varicocelectomy): सर्जरी द्वारा खराब या फूल चुकी नसों को बांधकर बंद (tie off) कर दिया जाता है जिससे खून उनसे न बहकर स्वस्थ नसों से बहने लगे। इससे रक्त प्रवाह सामान्य होता है और सूजन तथा असुविधा दोनों में राहत मिलती है।
  • लेप्रोस्कोपिक वैरिकोसेलेक्टोमी: इसमें पेट पर छोटे-छोटे चीरे लगाकर कैमरे की मदद से बढ़ी और फूली हुई नसों को बांधकर बंद (tie off) किया जाता है, जिससे खून उन नसों से न बह कर स्वस्थ नसों से बहने लगे। यह बहुत छोटे चीरे वाली (minimally invasive) प्रक्रिया है और इसमें सामान्यतः जल्दी आराम मिलता है।
  • फर्टिलिटी उपचार: अगर वैरिकोसील की वजह से स्पर्म क्वालिटी ख़राब है, तो गर्भधारण में मदद के लिए IUI, IVF या ICSI जैसी तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है। ICSI में एग के अंदर सिंगल स्पर्म डालकर फर्टिलाइजेशन कराया जाता है, जिससे सफल गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है।
  • Lifestyle सुधार: कसे हुए टाइट अंडरवियर न पहनना, लंबे समय तक खड़े रहने से बचना, हल्का व्यायाम और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर डाइट अपनाना।

निष्कर्ष (Conclusion)

वैरिकोसील एक आम समस्या है। यह दर्द और असुविधा के साथ-साथ पुरुष प्रजनन क्षमता को भी प्रभावित कर सकता है, इसलिए इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए। विशेषज्ञ की सलाह लेकर उचित उपचार करवाने से स्पर्म क्वालिटी में सुधार आता है और निःसंतानता का जोख़िम कम हो जाता है।

FAQs – वैरिकोसील से जुड़े सामान्य प्रश्न

वैरिकोसील किस उम्र में होता है?

 

वैरिकोसील आमतौर पर किशोरावस्था या युवावस्था में पहचाना जाता है, लेकिन यह किसी भी उम्र में हो सकता है।

क्या वैरिकोसील से बच्चे होने में दिक्कत होती है?

 

हाँ। वैरिकोसील स्पर्म काउंट और स्पर्म क्वालिटी को प्रभावित करता है, जिससे गर्भधारण की संभावना कम हो सकती है।

क्या वैरिकोसील का इलाज हमेशा सर्जरी से ही होता है?

 

नहीं। हल्के केसों में ऑब्जरवेशन से काम चल जाता है, लेकिन मॉडरेट और गंभीर केसों में सर्जरी सबसे प्रभावी विकल्प है।

क्या वैरिकोसील दोबारा हो सकता है?

 

कुछ मामलों में दुबारा हो सकता है, लेकिन माइक्रोसर्जिकल तकनीक में यह जोखिम बहुत कम होता है।

पुरुषों की फर्टिलिटी टेस्ट कैसे करें?

 

सबसे पहले सीमेन एनालिसिस किया जाता है जिसमें स्पर्म काउंट, मोबिलिटी और आकार की जांच होती है।

पुरुष के सीमेन में कितने स्पर्म होने चाहिए जिससे बच्चा ठहर सके?

 

WHO के अनुसार 15 मिलियन प्रति मिलीलीटर या उससे अधिक स्पर्म काउंट सामान्य माना जाता है।

1 महीने में स्पर्म काउंट कैसे बढ़ाएं?

 

जिंक, एंटीऑक्सीडेंट युक्त संतुलित भोजन, नियमित व्यायाम, तनाव नियंत्रण और धूम्रपान-शराब से दूरी स्पर्म हेल्थ में सुधार लाते हैं।

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