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अशुक्राणुता (एज़ूस्पर्मिया) के कारण, लक्षण और उपचार (Azoospermia in Hindi)

Last updated: November 25, 2025

Overview

अशुक्राणुता या निल स्पर्म (nil sperm), जिसे एज़ूस्पर्मिआ (Azoospermia) के नाम से भी जाना जाता है, पुरुष निःसंतानता का एक गंभीर रूप है। एजुस्पर्मिया में वीर्य (सीमेन) में शुक्राणुओं (स्पर्म) की की संख्या शून्य होती है। एक स्टडी के अनुसार, भारत में निःसंतान पुरुषों में लगभग 40% पुरुष अशुक्राणुता (निल स्पर्म) पायी जाती है। मॉडर्न मेडिकल साइंस की सहायता से एजुस्पर्मिया से पीड़ित पुरुषों को भी पिता बनने का अवसर प्राप्त हो सकता है।

एज़ूस्पर्मिआ क्या है? (Azoospermia Meaning in Hindi)

एज़ूस्पर्मिआ में वीर्य परीक्षण (सीमेन एनालिसिस) के दौरान एक भी सक्रिय या निष्क्रिय शुक्राणु नहीं पाया जाता। सामान्य रूप से अंडकोष (टेस्टिकल्स) के भीतर शुक्राणु लगातार बनते रहते हैं और वास डेफरेंस (vas deferens) नाम की नली से होते हुये ये शुक्राणु वीर्य में शामिल हो जाते हैं। इस प्रक्रिया में किसी प्रकार की रुकावट या स्पर्म प्रोडक्शन में कमी होने पर अशुक्राणुता (निल स्पर्म) की स्थिति पैदा हो जाती है। यह समझना जरुरी है कि एज़ूस्पर्मिआ स्थायी निःसंतानता या परमानेंट स्टर्लिटी नहीं है, क्योंकि कई मामलों में अंडकोष के भीतर सीमित मात्रा में स्पर्म मौजूद रहते हैं, जिन्हें मॉडर्न मेडिकल साइंस की मदद से बाहर निकाला जा सकता है।

एज़ूस्पर्मिआ के कौन कौन से प्रकार हैं? (एज़ूस्पर्मिआ के टाइप)

निल स्पर्म को मुख्यतः दो कैटेगरी में बांटा जाता है, जिनके कारण और ट्रीटमेंट के तरीके अलग अलग होते हैं।

अवरोधित अशुक्राणुता या ऑब्सट्रक्टिव एज़ूस्पर्मिआ (Obstructive Azoospermia kya hota hai?)

इस स्थिति में, अंडकोष सामान्य रूप से स्पर्म बनाते हैं, परंतु प्रजनन मार्ग जैसे एपिडिडिमिस, वास डेफरेंस या इजेकुलेटरी डक्ट में अवरोध के कारण स्पर्म सीमेन तक नहीं पहुंच पाते। यह अवरोध जन्मजात हो सकता है अथवा किसी इन्फेक्शन, सर्जरी या चोट के कारण बाद में भी उत्पन्न हो सकता है। एक स्टडी के अनुसार, ऑब्सट्रक्टिव एज़ूस्पर्मिआ के सबसे सामान्य कारणों में जननांग संक्रमण (जेनिटल इन्फेक्शन) की हिस्ट्री होना प्रमुख पाया गया है। इस प्रकार की एज़ूस्पर्मिआ में सर्जिकल ट्रीटमेंट से स्पर्म बाहर निकाले जाते हैं।

अनवरोधजनित अशुक्राणुता या नॉन-ऑब्सट्रक्टिव एज़ूस्पर्मिआ (Non-Obstructive Azoospermia kya hota hai?)

इस प्रकार की अशुक्राणुता में अंडकोष में स्पर्म ही नहीं बनते । नॉन ऑब्सट्रक्टिव एज़ूस्पर्मिआ हार्मोनल असंतुलन (FSH, LH का असंतुलन), आनुवंशिक विकार या जेनेटिक डिसऑर्डर (genetic disorder), विकिरण चिकित्सा या रेडिएशन ट्रीटमेंट (radiation treatment) अथवा अज्ञात कारणों से भी हो सकती है। इस प्रकार की एज़ूस्पर्मिआ में माइक्रोसर्जिकल टेस्टिकुलर स्पर्म एक्सट्रैक्शन (Micro-TESE) जैसी एडवांस तकनीक से इलाज किया जाता है।

एज़ूस्पर्मिआ के लक्षण क्या हैं? (Azoospermia Symptoms kya hain in Hindi)

अशुक्राणुता या एज़ूस्पर्मिआ के लक्षण प्रायः स्पष्ट नहीं होते। अधिकांश पुरुषों को इस समस्या के बारे में तब पता चलता है जब संतान पैदा करने में कठिनाई आती है। लेकिन, कुछ संकेत और लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं

  • निःसंतानता या इनफर्टिलिटी (Infertility): यह एज़ूस्पर्मिआ का प्राथमिक और सर्वाधिक सामान्य लक्षण है। कपल द्वारा एक साल तक रेगुलर अनसेफ सेक्स (unsafe sex) के एक साल बाद भी गर्भधारण न हो पाये तो इसे निःसंतानता का संकेत माना जाता है। एज़ूस्पर्मिआ की स्थिति में प्राकृतिक गर्भधारण (नेचुरल कंसीव करना) संभव नहीं होता।
  • यौनेच्छा में कमी (Reduced Libido): कुछ मामलों में, विशेषकर जब एज़ूस्पर्मिआ हार्मोनल असंतुलन से संबंधित हो, तो रोगी में यौन इच्छा में कमी देखी जा सकती है। टेस्टोस्टेरोन हार्मोन कम होने के कारण यह स्थिति उत्पन्न होती है।
  • हार्मोनल असंतुलन (Hormonal Imbalances): पुरुषों में हार्मोनल असंतुलन के लक्षणों में चेहरे और शरीर पर बालों की कमी, स्तनों का विकास (गायनेकोमास्टिया), और मसल मास (muscle mass) में कमी इत्यादि हो सकते हैं।
  • अंडकोष का छोटा आकार या स्माल टेस्टिकल्स (Small Testes): सामान्य अंडकोष की लंबाई लगभग 4-5 सेंटीमीटर और वॉल्यूम 15-25 मिलीलीटर होता है। एज़ूस्पर्मिआ से ग्रस्त कुछ पुरुषों में टेस्टिकल्स आकार में छोटे हो सकते हैं.

एज़ूस्पर्मिआ के क्या कारण हैं (Azoospermia kyo hota hai)

एज़ूस्पर्मिआ की बहुत सी वजहें हो सकती हैं, जिनमें से कुछ कारण निम्न हैं।

  • आनुवंशिक या जेनेटिक कारण: Y क्रोमोज़ोम माइक्रोडिलीशन (Y Chromosome Microdeletions) पुरुष निःसंतानता का एक प्रमुख आनुवंशिक कारण है। क्लाइनफेल्टर सिंड्रोम (47,XXY) भी एज़ूस्पर्मिआ का एक सामान्य आनुवंशिक कारण है।
  • प्रजनन मार्ग में रुकावट या रिप्रोडक्टिव ट्रैक्ट ऑब्स्ट्रक्शन (Reproductive Tract Obstruction): एपिडिडिमिस या वास डेफरेंस में इन्फेक्शन, चोट या पूर्व में की गयी किसी सर्जरी के कारण अवरोध (obstruction) उत्पन्न हो सकता है।
  • हार्मोनल प्रॉब्लम (Hormonal Problems): हाइपोगोनाडो ट्रोपिक हाइपोगोनाडिज्म एक ऐसी स्थिति है जिसमें पिट्यूटरी ग्रंथि पर्याप्त मात्रा में गोनाडोट्रोपिन हार्मोन (FSH और LH) का स्राव नहीं करती, जिसके कारण अंडकोष में स्पर्म प्रोडक्शन प्रभावित होता है।
  • पूर्व सर्जरी (Previous Surgeries): पूर्व में की गई पेट या पेल्विस की सर्जरी जैसे ट्यूबल लाइगेशन, सिजेरियन सेक्शन और अपेंडिसेक्टॉमी से वास डेफेरेंस का रास्ता प्रभावित हो सकता है । हर्निया का ऑपरेशन या टेस्टिकल्स की पूर्व पूर्व सर्जरी भी वास डेफेरेंस को नुकसान पहुंच सकता है।
  • जीवनशैली या लाइफस्टाइल संबंधी कारण (Lifestyle Factors): तंबाकू और शराब का सेवन पुरुष प्रजनन क्षमता को प्रभावित करने वाले सामान्य कारक हैं।

एज़ूस्पर्मिआ का निदान क्या है? (Diagnosis of Azoospermia)

एज़ूस्पर्मिआ की पुष्टि और कारणों की पहचान नीचे दी गयी जाँचों के माध्यम से होती है।

  • वीर्य परीक्षण या सीमेन एनालिसिस (Semen Analysis) सीमेन एनालिसिस में कम से कम दो बार अलग अलग मौकों पर सीमेन का सैंपल को लेकर लैब में उसकी एनालिसिस की जाती है। अगर हर बार टेस्ट में ज़ीरो स्पर्म काउंट आता है तब एज़ूस्पर्मिआ (निल स्पर्म ) की पुष्ट हो जाता है।
  • हार्मोन परीक्षण FSH, LH, टेस्टोस्टेरोन तथा प्रोलैक्टिन के लेवल स्पर्म प्रोडक्शन की क्षमता का संकेत देते हैं। हाई FSH का मतलब टेस्टिकल्स की क्षमता में कमी होना, जबकि लो- FSH पिट्यूटरी ग्रंथि से संबंधित समस्या की ओर इशारा करता है।
  • जेनेटिक परीक्षण Y-chromosome deletion या karyotyping से जेनेटिक कारणों का पता लगाया जाता है।
  • अल्ट्रासाउंड/एमआरआई प्रजनन मार्ग या वास डेफरेंस (vas deferens) की संरचना, अवरोध या अंडकोषीय टिश्यू की स्थिति की जानकारी के लिए इमेजिंग तकनीक का सहारा लिया जाता है। इससे पता लगाया जाता है कि अंडकोष और उसकी कार्यक्षमता सामान्य है अथवा नहीं।

एज़ूस्पर्मिआ का उपचार क्या है? (Azoospermia Treatment in Hindi)

एज़ूस्पर्मिआ का इलाज (Azoospermia ka ilaj ) इसके प्रकार और वजहों (causes) पर निर्भर करता है। निल स्पर्म का इलाज मेडिसिन, सर्जरी और असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी (ART) से किया जा सकता है।

दवाओं से इलाज़: हार्मोनल असंतुलन की वजह से होने वाले एज़ूस्पर्मिआ में दवाई कारगर हो सकती है। हाइपोगोनाडो ट्रोपिक हाइपोगोनाडिज़्म वाले रोगियों को बाहर से गोनाडोट्रोपिन या गोनाडोट्रोपिन रिलीजिंग हार्मोन दिया जाता है, जिससे स्पर्म प्रोडक्शन में सुधार हो सकता है। इसके अलावा डॉक्टर्स टेस्टोस्टेरोन बढ़ाने वाली दवाइयाँ भी दे सकते हैं।

सर्जिकल स्पर्म रिट्रीवल (surgical sperm retrieval):ऑब्सट्रक्टिव एज़ूस्पर्मिआ में टेस्टिकल्स या एपिडिडिमिस से सीधे स्पर्म निकाल लिये जाते हैं।

  • TESA टेस्टिकुलर स्पर्म एस्पिरेशन (Testicular Sperm Aspiration)
  • TESE टेस्टिकुलर स्पर्म एक्सट्रैक्शन (Testicular Sperm Extraction)
  • PESA परक्यूटीनियस एपिडिडीमल स्पर्म एस्पिरेशन (Percutaneous Epididymal Sperm Aspiration)

IVF/ICSI विकल्प: जब अंडकोष से स्पर्म सफलतापूर्वक प्राप्त हो जाते हैं, तो इंट्रासाइटोप्लाज्मिक स्पर्म इंजेक्शन (ICSI) के माध्यम से एक स्पर्म को सीधे अंडाणु या ओवम (एग ) में इंजेक्ट किया जाता है। मेडिकल स्टडी के रिकॉर्ड के अनुसार इस तरीके से एम्ब्रीओ बनने की सक्सेस रेट लगभग 87% होती है

लाइफस्टाइल में सुधार: धूम्रपान और शराब का (स्मोकिंग एंड अल्कोहल) से परहेज़, स्वस्थ आहार (हैल्थी डाइट), नियमित व्यायाम (रेगुलर एक्सरसाइज़), स्ट्रैस में कमी, और अत्यधिक गर्मी के संपर्क से बचाव जैसे जीवनशैली परिवर्तन (लाइफस्टाइल चेंज) प्रजनन स्वास्थ्य (फ़र्टिलिटी हैल्थ) को सुधारने में सहायक हो सकते हैं।

एज़ूस्पर्मिआ और प्रजनन स्वास्थ्य (Azoospermia and Reproductive Health)

एज़ूस्पर्मिआ पुरुष प्रजनन क्षमता को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती है। स्पर्म के अभाव में गर्भधारण स्वाभाविक रूप से संभव नहीं होता। हालांकि, ART तकनीकों के माध्यम से गर्भधारण की संभावना बढ़ाई जा सकती है।

निष्कर्ष (Conclusion)

एज़ूस्पर्मिआ पुरुष निःसंतानता का एक महत्वपूर्ण कारण है। समय पर पहचान, जांच और उपयुक्त इलाज़ से इसे ठीक किया जा सकता है ।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

एज़ूस्पर्मिआ और IVF का क्या संबंध है?

 

एज़ूस्पर्मिआ में गर्भधारण प्राकृतिक रूप से संभव नहीं होता, इसलिए ICSI के साथ IVF द्वारा अंडकोष से प्राप्त शुक्राणुओं का उपयोग कर भ्रूण बनाया जाता है।

क्या जीवनशैली बदलने से एज़ूस्पर्मिआ में सुधार संभव है?

 

हार्मोनल कारणों में लाइफस्टाइल में सुधार मदद कर सकता है, पर ऑब्सट्रक्टिव या जेनेटिक कारणों में मेडिकल इलाज ही जरुरी होता है।

क्या निल स्पर्म काउंट ठीक हो सकता है?

 

यह उसके कारण पर निर्भर करता है; हार्मोनल कमी या ऑब्सट्रक्टिव एज़ूस्पर्मिआ में सुधार संभव है, जबकि जेनेटिक कारणों में ART तकनीकें मुख्य विकल्प होती हैं।

स्पर्म की गुणवत्ता कैसे जाँची जाती है?

 

स्पर्म गुणवत्ता का मूल्यांकन वीर्य विश्लेषण (सीमेन एनालिसिस) द्वारा किया जाता है.

क्या बिना दवा के स्पर्म उत्पादन बढ़ाया जा सकता है?

 

स्मोकिंग से परहेज़, संतुलित आहार, स्ट्रेस मैनेजमेंट सही वजन करने से सीमित सुधार संभव है, पर गंभीर कारणों में यह पर्याप्त नहीं होता।

बिना शुक्राणु के गर्भधारण कैसे संभव है?

 

ICSI तकनीक द्वारा अंडकोष से प्राप्त शुक्राणुओं का उपयोग किया जा सकता है; पूर्ण अभाव की स्थिति में डोनर स्पर्म की सहायता ली जा सकती है।

**Disclaimer: The information provided here serves as a general guide and does not constitute medical advice. We strongly advise consulting a certified fertility expert for professional assessment and personalized treatment recommendations.
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