क्या आप एंडोमीट्रियोसिस के साथ गर्भधारण कर सकते हैं? एंडोमीट्रियोसिस क्या है ? प्राकृतिक रूप से एंडोमीट्रियोसिस के साथ गर्भधारण करने के लिए सुधार के टिप्स
एंडोमीट्रियोसिस क्या है
-पीरियड्स के दौरान, यदि गभार्धान नहीं होता है, तो गर्भाशय के अंदर का अस्तर बह जाता है और योनि से बाहर निकलता है, जिसे पीरियड्स कहा जाता है। हालांकि, एंडोमीट्रियोसिस में, गर्भाशय के बाहर अस्तर [लाइनिंग] इसके भीतर बढ़ता है और आसपास के अंगों पर फैलना शुरू कर देता है। इसलिए, यह पीरियड्स में बहने में विफल रहता है। ऐसी स्थिति में पीरियड्स महिलाओं के लिए एक दर्दनाक प्रक्रिया बन जाती है। इसके अलावा हार्मोनल उतार-चढ़ाव के परिणामस्वरूप ऊतक का कोई भी टुकड़ा फैल कर आसपास के अंगों को भी घायल कर सकता है।
कैसे एंडोमीट्रियोसिस आपकी प्रजनन क्षमता को प्रभावित करता है?
-चूंकि एंडोमीट्रियोसिस की उपस्थिति में गर्भाशय का अस्तर इसके बाहर रहता है, इससे सफल गर्भाधान में दिक्कत आती है। निषेचन सफल होने के लिए, एक महिला के अंडाशय द्वारा जारी किया गया अंडा फैलोपियन ट्यूब से गर्भाशय तक आसानी से पहुंचना चाहिए [निषेचित होना चाहिए] और फिर खुद को गर्भाशय के अंदर प्रत्यारोपित करना चाहिए। एंडोमीट्रियोसिस में, बाहरी अस्तर अंडे के मार्ग में बाधा पैदा करता है, जिससे अंडा गर्भाशय तक नहीं पहुंच पाता। कुछ मामलों में, एंडोमीट्रयोसिस के परिणामस्वरूप अस्तर खुद या शरीर में जारी रसायन हानिकारक तरीके से अंडे या शुक्राणु के साथ प्रतिक्रिया कर उन्हें नुकसान पहुंचा सकते हैं और गभार्धान को असफल बना सकते हैं।
एंडोमीट्रियोसिस के साथ गर्भवती कैसे हों?
-कुछ मामलों में, एंडोमीट्रियोसिस इतना जटिल नहीं है जितना लगता है। कई बार एक या दो साल में प्राकृतिक गभार्धान के प्रयास भी अंत में सफल हो जाते हैं लेकिन यदि एंडोमीट्रियोसिस से गर्भाधान में दिक्कत आती है तो डॉक्टर लेप्रोस्कोपी के माध्यम से एक न्यूनतम-इनवेसिव सर्जरी करते हैं। एंडोमीट्रियोसिस के गंभीर मामलों में सामान्य सर्जरी के साथ ही उच्च विकसित मेडिकल ट्रीटमेंट दिया जाता है।
प्राकृतिक रूप से एंडोमीट्रियोसिस के साथ गर्भधारण करने के लिए सुधार के टिप्स
1-प्राकृतिक रूप से एंडोमीट्रियोसिस के साथ गर्भवती होने के लिए कई सुझाव हैं। ईमानदारी से इनका पालन करने से प्राकृतिक तरीके से बच्चे होने की संभावनाएं बढ़ती है।
2-मुख्य चरणों में से एक प्रजनन क्षमता में सुधार कर गभार्धान की संभावना बढ़ा सकते हैं। विभिन्न चिकित्सा अध्ययनों ने बताया कि एंडोमीट्रियोसिस की उपस्थिति के साथ थायरॉयड हार्मोन के स्तर में कमी बड़ा कारण है। यदि आपकी थायरॉइड ग्रंथि उतनी सक्रिय नहीं है जितना कि इसे होना चाहिए, तो आप आयोडीन की खुराक को बाहरी रूप से लेकर प्रजनन क्षमता बढ़ा सकते हैं।
3-विभिन्न लोगों ने आमतौर पर मछली आधारित तेलों को अच्छी मात्रा में लेने की सिफारिश की है क्योंकि वे सीधे एक महिला की प्रजनन क्षमता को शक्तिशाली तरीके से प्रभावित करते हैं। एंडोमीट्रियोसिस शरीर के भीतर तीव्र सूजन का कारण बनता है, जिससे महिला को बहुत दर्द होता है। मछली का तेल इस दर्द को कम करने में मदद करता है और साथ ही गर्भाशय के भीतर एक निषेचित अंडे के प्रत्यारोपण की संभावनाओं को बेहतर बनाता है। हर दिन लगभग 3 जी मछली का तेल लेना चाहिए।
4-गर्भावस्था के दौरान, एस्ट्रोजन का स्तर शरीर के भीतर काफी बढ़ जाता है। शुरूआत से ही शरीर में इस पर नियंत्रण की जरुरत है। आंत के भीतर जमे एस्ट्रोजन को सिस्टम से ठीक से बाहर निकालने के लिए आहार में उच्च फाइबर डाइट को शामिल करना चाहिए। विभिन्न बीजों, रेशेदार फल, नट्स, फलियां और अन्य खाद्य पदार्थ सभी बेहतरीन विकल्प हैं। इसी समय, मसाले और अन्य खाद्य पदार्थों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जो आपके शरीर के भीतर रक्त संचलन को उत्तेजित कर सभी अपशिष्ट पदार्थों को निकालने में मदद करते हैं। खाद्य पदार्थ जैसे दालचीनी, नींबू, काली मिर्च, चावल, लहसुन, अदरक आदि को शामिल किया जा सकता है।
5-प्रजनन क्षमता को बढ़ाने और गर्भधारण को आसान बनाने के लिए एक्सरसाइज जरूरी है। व्यायाम करने से आपके शरीर के शारीरिक पहलुओं को मजबूत करने सहित कई लाभ हैं। मांसपेशियों से लेकर हड्डियां मजबूत होंगी। अपशिष्ट को बाहर निकालने के साथ-साथ हृदय को भी एक कसरत मिलती है। एंडोमीट्रियोसिस में यह सब महत्वपूर्ण है।
6-कभी-कभी, एंडोमीट्रियोसिस का कारण बनने वाले गर्भाशय अस्तर की उपस्थिति शरीर को कुछ पदार्थों का उत्पादन करने के लिए ट्रिगर कर सकती है, जो शरीर के अन्य हिस्सों या यहां तक कि निषेचित होने वाले अंडों के लिए हानिकारक हो सकते हैं। बाहरी एलर्जी कारकों में से कोई भी अतिरिक्त कारक शरीर की प्रतिक्रिया को उत्तेजित कर इसे और कठिन बना सकता है। ऐसे में प्रोबायोटिक्स, जस्ता, विटामिन ए, विटामिन सी और इनसे समृद्ध खाद्य पदार्थों क सेवन करना चाहिए, क्योंकि वे प्रतिरक्षा प्रणाली को सही पोषण प्रदान करते हैं। एलर्जी के लिए मेडिकल टेस्ट करवाना चाहिए और टेस्ट में -अनुशंसित खाद्य पदार्थों से दूर रहना स्वस्थ रखने में मदद कर सकता है।
7-यदि आपका शरीर पहले से ही एंडोमीट्रियोसिस से जूझ रहा है, तो सफल गर्भाधान के लिए एंडोक्राइन प्रणाली तंत्र मजबूत होना चाहिए। इसके लिए आहार में मांस और अन्य पशु उत्पादों का सेवन नहीं करना चाहिए। इनमें कृत्रिम हार्मोन होते हैं जिन्हें जानवरों में इंजेक्ट किया जाता है, साथ ही उन रसायनों के साथ जिन्हें वे अपने भोजन के माध्यम से खाते हैं। ऐसे में पशु उत्पादों से दूर रह कर शरीर को इन हार्मोन स्तर के अवरोधों से बचा सकते हैं। कड़वे खाद्य पदार्थों और सलाद का सेवन शरीर के लिए अच्छा है।
8-इसी तरह शाकाहारी खाद्य पदार्थों में भी कुछ सब्जियां या स्वास्थ्यवर्धक किस्म के फल [ कीटनाशकों और उर्वरकों से तैयार] शरीर में रसायनों और हानिकारक पदार्थों के उच्च स्तर को बढ़ा सकते हैं। रसायन हेक्साक्लोरोसायक्लोहेन या डीडीटी प्रजनन प्रणाली को प्रभावित करते हैं और यहां तक गर्भपात भी कर सकते हैं। इसलिए जरूरी है कि गर्भधारण के समय जैविक खाद्य उत्पादों का सेवन किया जाए।
9-प्लास्टिक और नरम प्लास्टिक से बचना चाहिए। प्लास्टिक संग्रहीत खाद्य पदार्थ या उनके भीतर तरल पदार्थ का निशान छोड़ते हैं। यदि ये शरीर में प्रवेश करते हैं, तो वे अंत:स्रावी तंत्र को परेशान करते हैं। इसके परिणाम एंडोमीट्रियोसिस और बांझपन, प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होना, अजन्मे बच्चे में दोष, अस्थमा के विकास आदि की आशंका बनी रहती है। मुलायम प्लास्टिक से बचें अपनी जीवन शैली को बदलने के लिए यह आवश्यक है।
क्या एंडोमीट्रियोसिस स्टेज गभार्धान के लिए विषम संकेत बताती है?
-स्वास्थ्य संबंधी कई स्थितियों के समान, शरीर में एंडोमीट्रियोसिस की उपस्थिति को भी विभिन्न चरणों में वगीर्कृत किया जा सकता है। आमतौर पर सर्जरी को करने से पहले इसे एंडोमीट्रियल अस्तर की जमा मात्रा के आधार पर परिभाषित किया जाता है।
चरण 1 और 2 एंडोमीट्रियोसिस के हल्के मामले हैं, जहां महिलाओं में बांझपन की संभावना उन महिलाओं की तुलना में अपेक्षाकृत कम है, जिनके पास एंडोमीट्रियोसिस की 3 या 4 स्टेज है। गंभीरता और डॉक्टर की सिफारिश के आधार पर इसमें स्वाभाविक रूप से गर्भ धारण करने का प्रयास किया जा सकता है या प्रजनन उपचार के वैकल्पिक तरीकों को भी अपनाया जा सकता है। इसमें ऐसा कुछ नहीं है कि कि जिन्हें एंडोमीट्रियोसिस के हल्के मामले हैं उनमें गर्भधारण की सफलता अधिक होगी अपेक्षाकृत गंभीर एंडोमीट्रियोसिस के मामलों के।
क्या एंडोमीट्रियोसिस गर्भपात के जोखिम को बढ़ा सकता है?
-गर्भाशय के साथ एंडोमीट्रियोसिस के कनेक्शन से गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है। अध्ययनों ने निश्चित रूप से दोनों के बीच संबंध बताया है। अगर एंडोमीट्रियोसिस से पीड़ित होने के बावजूद महिलाएं सफलतापूर्वक गर्भधारण कर सकती हैं, तो गर्भपात का सामना करने की उनकी संभावना कम से कम है।
अध्ययन बताते हैं कि अगर एंडोमीट्रियोसिस के बगैर 22 प्रतिशत महिलाओं में गर्भपात का खतरा होता है, तो एंडोमीट्रियोसिस की उपस्थिति में यह खतरा 35 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। इसमें भी कुछ अन्य स्टडी इसके विपरीत कहती है कि एंडोमीट्रियोसिस के चरण 1 या चरण 2 के साथ महिलाओं में गर्भपात की संभावना को लगभग 42 प्रतिशत माना गया था, जबकि गंभीर एंडोमेट्रियोसिस के चरणों में महिलाओं के लिए यही 31 प्रतिशत था। हल्के एंडोमीट्रियोसिस से महिला के शरीर में सूजन पैदा होने की संभावना सबसे अधिक होती है। यह सूजन, वास्तव में, गर्भपात का कारण बनती है।
क्या आईवीएफ ट्रीटमेंट एंडोमीट्रियोसिस दर्द को कम कर देगा?
– एंडोमीट्रियोसिस से पीड़ित महिलाओं के बांझपन उपचार के विकल्प के रूप में उच्च सफलता दर को देखते हुए आईवीएफ एक लोकप्रिय विकल्प बना हुआ है।
आईवीएफ
इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन में एक महिला को कुछ समय के लिए शरीर में अंडे के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए दवा दी जाती है ताकि उन्हें सफलतापूर्वक प्राप्त किया जा सके। प्राप्त अंडे का फिर एक शुक्राणु के साथ निषेचन में उपयोग किया जाता है। इन दवाओं को शरीर के भीतर एस्ट्रोजन का स्तर प्रभावित करने के लिए जाना जाता है ताकि अंडे का उत्पादन बढ़ सके। लेकिन, इस दवा को लेकर चिंता का कारण यह भी है कि इसके परिणामस्वरूप एंडोमीट्रियोसिस की परतें बढ़ सकती हैं, और महिला के लिए और भी अधिक दर्द हो सकता है। लेकिन, दोनों को एक साथ जोड़ने के लिए कोई अध्ययन या कोई निर्णायक सबूत नहीं मिला है।
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