इंट्रायूटेराइन गर्भनिरोधक (आईयूआई) प्रक्रिया, उपचार और खर्च की लागत सावधानियां साथ है तो आईयूआई भी बनाएं मां
मां बनने की उच्च संभावना है आईयूआई बरतें सावधानी, प्राकृतिक गर्भधारण कराए आईयूआई
एक महिला के गर्भधारण करने में मदद करने के लिए इंट्रायूटेराइन गर्भनिरोधक (आईयूआई) को सर्वश्रेष्ठ बांझपन उपचार में से एक माना गया है। आईयूआई में दो या दो से अधिक बच्चों को धारण करने और उनके प्रसव करने की उच्च संभावना रहती है। यह प्रक्रिया पूर्णतया ‘प्राकृतिक’ है।
महिला गर्भाशय में स्वस्थ शुक्राणु को रखने से जटिलताएं बहुत अधिक नहीं रहती, बस कुछ सावधानियां ध्यान में रखना जरूरी हैं ताकि सफल गर्भावस्था की संभावना अधिकतम हो जाए।
आईयूआई का चयन करने वाले लगभग 10-20 फीसदी जोड़े प्रक्रिया की एक साइकिल के बाद गर्भवती हो जाते हैं लेकिन कुछ जोड़ों को सफलता के लिए कई चक्रों को पार करना पड़ सकता है
वैज्ञानिक तौर पर इस बात की पुष्टि की गई है कि आईयूआई अन्य उपचारों के मुकाबले काफी हद तक प्राकृतिक और सुरक्षित है। यहां ध्यान देने योग्य एक महत्वपूर्ण बात यह है कि आईयूआई आईवीएफ के समान नहीं है। आईयूआई उन महिलाओं के लिए बेहतर काम करता है जिनके पास बहुत गंभीर प्रजनन संबंधी समस्या नहीं हैं।
आईयूआई या इंट्रायूटेराइन गर्भनिरोधक कृत्रिम गर्भनिरोधक उपचार का ही एक प्रकार है। आईयूआई उपचार में सुस्त या मृत में से उच्च गुणवत्ता वाले शुक्राणु को अलग कर लिया जाता है।
शुक्राणु को सीधे गर्भ में डाला जाता है। इस प्रक्रिया के लिए इस्तेमाल शुक्राणु साथी का या दाता शुक्राणु का हो सकता है। कृत्रिम गर्भनिरोधक उपचार एकल महिलाओं, महिला जोड़ों या यहां तक कि विषमलैंगिक जोड़ों के लिए भी फायदेमंद है जिन्हें बच्चे के गर्भधारण में परेशानी आती है। इसका उपयोग निम्नलिखित मामलों में किया जा सकता है।
आईयूआई के दौरान, सबसे अच्छी गुणवत्ता वाले शुक्राणु का चयन कर उसे अलग किया जाता है। इसके बाद डॉक्टर प्लास्टिक की पतली कैथेटर ट्यूब को महिला के योनी मार्ग से गर्भाशय ग्रीवा तक लेकर जाते हैं। इस दौरान हल्का-सा दर्द या फिर रक्तस्राव हो सकता है। अब इसी ट्यूब की मदद से साफ शुक्राणुओं को गर्भाशय में अंडे के पास रख दिया जाता है। इसके बाद डॉक्टर महिला को सीधे बैठने के लिए कहेंगे और फिर वह घर या आफिस जाकर अपने रोजमर्रा के काम कर सकेगी। महिला को यह चिंता करने की जरूरत नहीं है कि उसके चलने या काम करने से शुक्राणु बाहर निकल जाएंगे, क्योंकि उन्हें उसके गर्भाशय में स्थापित कर दिया गया है। इस प्रक्रिया में शुक्राणु स्वाभाविक रूप से अंडों को उर्वरित करेगा। आईयूआई – आईवीएफ की तुलना में कम इनवेसिव [चीरफाड़] है और यह महंगा भी कम है। आईयूआई की एक साइकिल का मूल्य आईवीएफ साइकिल के लिए किए जाने वाले भुगतान का एक चौथाई है।
आईयूआई के लिए अंडे का उत्पादन महत्वपूर्ण है, चाहे यह प्रजनन दवाओं द्वारा प्राकृतिक या प्रेरित हो। महिलाओं में आमतौर पर केवल एक ही अंडा एक महीने जारी होता है, लेकिन प्रजनन दवाओं के इस्तेमाल से एक साथ कई स्वस्थ अंडे का उत्पादन होता है ताकि गभार्धान की संभावना अधिक हो सकती है
अंडे को ट्रैक करना आॅव्यूलेशन की ट्रैकिंग करना भी बहुत आवश्यक है। यह ठीक से समय पर गभार्धान के लिए आवश्यक है।
-शुक्राणु का सैम्पल, चाहे वह साथी या दाता से लिया गया हो, फिर उसे धोया जाता है।
एक पतली और लंबी ट्यूब जिसे कैथेटर कहते हैं, का उपयोग गर्भाशय में शुक्राणु को सीधे रखने के लिए किया जाता है।
-गर्भधारण के लगभग दो सप्ताह बाद, यह जांचने के लिए गर्भावस्था परीक्षण किया जाता है कि प्रक्रिया सफल थी या नहीं।
शुक्राणु और अंडे की गुणवत्ता के रूप में कृत्रिम गभार्धान के लिए समय महत्वपूर्ण है। गर्भधारण सावधानी से समय पर किया जाना चाहिए, क्योंकि यह आॅव्यूलेशन के समय से थोड़ा पहले होना चाहिए। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि फीमेल अंडे आॅव्यूलेशन के बाद केवल 12-24 घंटे के लिए ही वाइबल [गतिमान] रहते हैं। आईयूआई को इस अवधि के भीतर ही सख्ती से प्रयोग में लाना चाहिए, जब अंडे गतिमान हो। यदि सख्ती से समय की पालना की जाए तो वह स्वयं सफल गर्भावस्था की संभावनाओं को दोगुना कर सकता है।
आईयूआई के लिए सफलता दर कई कारकों पर निर्भर है। इसमें महिला की उम्र और दम्पती की प्रजनन समस्या की सटीक प्रकृति सबसे महत्वपूर्ण है। सफलता एक निश्चित शॉट नहीं है, इसलिए आईयूआई से सफलतापूर्वक गर्भवती होने के लिए कई चक्रों की आवश्यकता हो सकती है। यदि नहीं, तो आईवीएफ पर आगे बढ़ने की सिफारिश की जाती है। एक या दो आईयूआई साइकिल के फेल होने के बाद, विशेष रूप से 35 वर्ष से ऊपर की महिलाओं के मामले में इसकी सिफारिश की जा सकती है।
अनुसंधान कहता है कि अस्पष्ट बांझपन [अनएक्सप्लेन्ड इनफर्टिलिटी] वाले जोड़ों में गर्भावस्था दर प्रति साइकिल लगभग 4 से 5 प्रतिशत रहती है। ऐसे मामलों में जहां प्रजनन दवाओं का उपयोग किया जाता है, वहां यह इस तरह से मानी गई है।
24 वर्ष से कम आयु : 37.5 प्रतिशत
25 से 29 वर्ष : 28.02 प्रतिशत
30 से 34 वर्ष : 26.20 प्रतिशत
35 से 39 वर्ष : 22.19 प्रतिशत
40 से 41 वर्ष : 21.28 प्रतिशत
42 से 43 वर्ष : 14.81 प्रतिशत
43 वर्ष से अधिक : 8.33 प्रतिशत
पश्चिमी देशों के मुकाबले भारत में आईयूआई उपचार की लागत बेहद कम है। एक अनुमान के अनुसार इसके एक चक्र की शुरूआत करीब तीन हजार रुपये से होती है। अगर पूरी प्रक्रिया का खर्च निकाला जाए, तो एक चक्र पांच से दस हजार के बीच है, जिसमें आईयूआई प्रक्रिया से पहले होने वाले अल्ट्रासाउंड जैसे सभी टेस्ट शामिल हैं। यह खर्च शहर, क्लिनिक और महिला की मेडिकल हिस्ट्री के अनुसार कम या ज्यादा हो सकता है। आईयूआई के मामले में डोनर शुक्राणु होने पर लागत में वृद्धि हो सकती है।
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