Skip to main content

गर्भधारण के लिए कितनी होनी चाहिए शुक्राणुओं की संख्या

Reviewed by Indira IVF Fertility Experts
Last updated: August 05, 2025

Synopsis

सामान्य शुक्राणुओं की संख्या: जानिए शुक्राणु की संख्या कितनी होनी चाहिए (shukranu ki sankhya kitni honi chahie) और कम शुक्राणु की संख्या में पिता कैसे बनें Indira IVF के साथ।

 

निःसंतानता एक ऐसी समस्या बनती जा रही है जिसको लेकर गंभीर होने की आवश्यकता है। खराब खानपान, बदलती जीवनशैली और अन्य कारणों से कम उम्र के महिला-पुरूष भी इससे प्रभावित होने लगे हैं। आमतौर पर ये मान्यता है कि महिला ही निःसंतानता के लिए जिम्मेदार होती है जबकि सच ये है कि निःसंतानता पुरूष के कारण भी हो सकती है। पुरूषों में भी महिलाओं की तरह निःसंतानता के लक्षण बाहर से दिखाई नहीं देते हैं। बाहर से स्वस्थ दिखने वाले पुरूष में निःसंतानता की समस्या हो सकती है। अक्सर दम्पती ये जानना चाहते हैं कि पुरूष के वीर्य में शुक्राणु की संख्या कितनी होनी चाहिए।

प्राकृतिक गर्भधारण के लिए कितने शुक्राणु होने चाहिए

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार पुरूष के वीर्य में 15 मीलियन शुक्राणु प्रति एम एल होने चाहिए । यदि पुरूषों के प्रति मिली लीटर सीमेन में शुक्राणुओं को संख्या 15 लाख से कम है या स्खलन के दौरान कुल शुक्राणुओं की संख्या 39 लाख से कम हो तो ये पुरूष निःसंतानता का संकेत है।

गर्भधारण नहीं होने व पत्नी की सभी रिपोर्ट नोर्मल होने पर पति में समस्या हो सकती है। पुरूष की जांच में सीमन एनालिसिस किया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार पुरूष के वीर्य में शुक्राणु की संख्या 15 मिलियन प्रति एमएल से अधिक है तो यह सामान्य है लेकिन किसी पुरूष के स्पर्म 15 मीलियन से कम हैं तो गर्भधारण में समस्या हो सकती है। शुक्राणुओं की संख्या के साथ-साथ शुक्राणु की गतिशीलता यानि शुक्राणु किस गति से आगे बढ़ रहे हैं अगर गतिशील शुक्राणुओं की संख्या कम है या कम गतिशील हैं तो भी गर्भधारण में समस्या आती है। संख्या और गति के साथ यह भी देखा जाता है कि शुक्राणुओं की बनावट यानि उनका आकार कैसा है। यदि बनावट में किसी तरह की समस्या है तो फर्टिलाइजेशन नहीं हो पाएगा। इन सभी मापदण्डों के अलावा ये भी देखा जाता है कि कुल शुक्राणुओं में से जीवित शुक्राणुओं की संख्या कितनी है।

कंसीव करने के लिए औरत के अण्डे, ट्यूब और बच्चेदानी का सही होना आवश्यक है उसी प्रकार पुरूष के शुक्राणओं की संख्या, गतिशीलता,बनावट भी मापदण्ड के अनुरूप होनी चाहिए । आमतौर पर पुरूष ऐसा मानते हैं कि उनमें फर्टिलिटी संबंधी समस्या नहीं हो सकती है लेकिन गर्भधारण नहीं होने के एक तिहाई मामलों में वे जिम्मेदार हो सकते हैं।

पुरूष निःसंतानता के कारण

महिला की तुलना में पुरूषों में निःसंतानता सिर्फ स्पर्म पर निर्भर करती है। पुरुष निःसंतानता के कारणों में शुक्राणुओं की संख्या कम होना, गतिशीलता कम या नहीं होना, कम जीवित या मृत शुक्राणु, निल स्पर्म, वृषण यानि टेस्टिस में शुक्राणु बनना लेकिन बाहर नहीं आना शामिल है। पिछले कुछ सालों में पुरुषों में स्पर्म काउंट काफी कम हो गया है।

कम शुक्राणुओं में कैसे बने पिता

सामान्य से कम शुक्राणु यानि 10 से 15 एम एल शुक्राणुओं की स्थिति में आईयूआई तकनीक अपनायी जा सकती है। इसमें पुरूष के स्वस्थ शुक्राणुओं को कैथेटर के माध्यम से महिला के ओव्युलेशन के समय गर्भाशय में इंजेक्ट किये जाते हैं। पुरूष जिनके शुक्राणु 5 से 10 मीलियन प्रति एम एल के मध्य है उनके लिए आईयूआई से बेहतर ऑप्शन आईवीएफ है। आईवीएफ की सफलता दर आईयूआई से अधिक है, इसमें लैब में महिला के अण्डों के सामने पुरूष के स्पर्म छोड़ें जाते हैं जिससे फर्टिलाइजेशन हो जाता है। 5 मीलियन प्रति एमएल से से कम शुक्राणुओं की स्थिति में इक्सी तकनीक अधिक फायदेमंद साबित हो सकती है, इक्सी में महिला के एक अण्डे में एक शुक्राणु इंजेक्ट किया जाता है जिससे गर्भधारण की संभावना अधिक होती है।

 

© 2025 Indira IVF Hospital Private Limited. All Rights Reserved. T&C Apply | Privacy Policy| *Disclaimer