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HCG Pregnancy Test (IVF के बाद Pregnancy Test) in Hindi

Last updated: November 17, 2025

Overview

बीटा hCG टेस्ट गर्भधारण की पुष्टि (प्रेगनेंसी कन्फर्मेशन) करने के लिए सबसे भरोसेमंद टेस्ट होता है । यह टेस्ट खास तौर पर तब किया जाता है जब किसी महिला ने IVF या IUI जैसी फर्टिलिटी ट्रीटमेंट की मदद से गर्भधारण किया हो। बीटा hCG यानी Human Chorionic Gonadotropin (ह्यूमन कोरिओनिक गोनाडोट्रोपिन ) नाम का एक ऐसा हार्मोन है जो गर्भ ठहरने के बाद बनता है। इस हार्मोन का स्तर शरीर में बढ़ना इस बात का संकेत है कि भ्रूण गर्भाशय में इम्प्लांट (implant) हो चुका है और प्रेगनेंसी शुरू हो गई है। IVF के बाद बीटा hCG टेस्ट डॉक्टर को यह समझने में मदद करता है कि एम्ब्रीओ गर्भाशय में सफलतापूर्वक जुड़ा है या नहीं।

बीटा hCG क्या है? (Beta hCG kya hai)

बीटा hCG एक प्रेगनेंसी हार्मोन है जो गर्भाशय में भ्रूण के ठहरने के कुछ दिनों बाद बनने लगता है। यह हार्मोन प्लेसेंटा की कोशिकाओं द्वारा स्रावित होता है और इसका मुख्य काम होता है पहले ट्राइमेस्टर में गर्भ को (अर्ली प्रेगनेंसी सपोर्ट) करना । गर्भावस्था में hCG हार्मोन का काम महिला के शरीर को पीरियड्स रोकने का सिग्नल देना और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन बनाते रहना है जो गर्भाशय की परत (यूटेरिन लाइनिंग) को एम्ब्रीओ मतलब भ्रूण के इम्प्लांटेशन और प्रेगनेंसी के लिए तैयार करता है । जब निषेचित अंडा (एम्ब्रीओ) गर्भाशय की दीवार पर लग जाता है (इम्प्लांट हो जाता है), तभी महिला का शरीर hCG हार्मोन बनाना शुरू करता है। यही कारण है कि गर्भधारण के शुरुआती संकेत के रूप में बीटा hCG टेस्ट सबसे सटीक माना जाता है।

बीटा hCG कैसे मापा जाता है? (Beta hCG kaise measure hota hai)

बीटा hCG को दो तरीकों से मापा जा सकता है; ब्लड टेस्ट और यूरिन टेस्ट से।

  • ब्लड टेस्ट (Quantitative Beta hCG Test):

    यह टेस्ट खून के नमूने से किया जाता है और बहुत सटीक परिणाम देता है। इसमें यह भी पता चलता है कि शरीर में hCG हार्मोन की मात्रा कितनी है।

    IVF के बाद यही टेस्ट (क्वांटिटेटिव बीटा hCG टेस्ट) सबसे ज्यादा किया जाता है, क्योंकि इसके ज़रिए प्रेगनेंसी के शुरुआती विकास को बारीकी से मॉनिटर किया जा सकता है।

  • यूरिन टेस्ट (Home Pregnancy Test):

    यह घर पर किया जा सकता है, लेकिन शुरुआती चरण में कभी-कभी गलत परिणाम दे सकता है।

    इसलिए IVF या मेडिकल कंफर्मेशन के लिए हमेशा ब्लड टेस्ट को प्राथमिकता दी जाती है।

बीटा hCG की नॉर्मल फिजियोलॉजी (Beta hCG ki Normal Physiology)

सामान्य गर्भावस्था में hCG हार्मोन हर 48 से 72 घंटे में लगभग दोगुना होता है। यानी अगर आज इसका स्तर 100 mIU/ml है, तो दो दिन बाद यह 200 के आसपास होना चाहिए।

hCG का यह “डबलिंग पैटर्न” प्रेगनेंसी की सेहत का संकेत देता है। गर्भ के पहले 8 से 10 हफ़्तों में इसका स्तर सबसे ज्यादा बढ़ता है और फिर धीरे-धीरे स्थिर हो जाता है।

यह हार्मोन भ्रूण को गर्भाशय में बनाए रखने में मदद करता है और प्लेसेंटा के विकास को भी बढ़ाता है।

सामान्य प्रेगनेंसी vs IVF प्रेगनेंसी में hCG का महत्व (Normal vs IVF Pregnancy)

प्राकृतिक गर्भधारण में hCG का स्तर धीरे-धीरे बढ़ता है। महिला को इसका पता अक्सर तब चलता है जब पीरियड्स रुक जाते हैं। वहीं IVF प्रेगनेंसी में hCG (ivf pregnancy mein hcg) को बारीकी से मॉनिटर किया जाता है। IVF के बाद भ्रूण को गर्भाशय में ट्रांसफर किया जाता है, इसलिए डॉक्टर आमतौर पर ट्रांसफर के 12–14 दिन बाद बीटा hCG टेस्ट करवाते हैं।

अगर इस समय रिपोर्ट में hCG स्तर 50 mIU/ml या उससे अधिक आता है, तो इसका मतलब होता है कि गर्भधारण शुरू हो गया है।

IVF में हर 2–3 दिन पर इसका स्तर बढ़ना जरूरी होता है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि भ्रूण सही तरीके से बढ़ रहा है।

लो बीटा hCG वैल्यू क्या दर्शाती है? (Low Beta hCG Value)

बीटा hCG का स्तर कम होना गर्भ की अस्थिरता का संकेत हो सकता है। जैसे -

  • गर्भपात (मिसकैरेज) का खतरा :
    अगर hCG का स्तर लगातार गिरता जा रहा है, तो इसका मतलब हो सकता है कि गर्भधारण टिक नहीं पाया है।
  • एक्टोपिक प्रेगनेंसी (Ectopic Pregnancy) :
    जब भ्रूण गर्भाशय के बाहर, जैसे फैलोपियन ट्यूब में ठहर जाता है, तब भी hCG का स्तर नॉर्मल से कम रहता है।
  • बायोकेमिकल प्रेगनेंसी (Biochemical Pregnancy) :
    यह वह स्थिति होती है जब भ्रूण बहुत शुरुआती अवस्था में ही खत्म हो जाता है। ऐसी स्थिति में प्रेगनेंसी टेस्ट पॉजिटिव आता है, लेकिन hCG का स्तर धीरे-धीरे घटता है।

हाई बीटा hCG वैल्यू क्या दर्शाती है? (High Beta hCG Value)

hCG का स्तर ज़्यादा होना हमेशा बुरा नहीं होता। कई बार यह अच्छी खबर भी हो सकती है।

  • ट्विन्स या ट्रिपलेट्स (Multiple Pregnancy) :
    जब गर्भ में एक से ज़्यादा भ्रूण होते हैं, तो शरीर में hCG का स्तर सामान्य से दोगुना या तिगुना हो सकता है।
  • मोलार प्रेगनेंसी (Molar Pregnancy) :
    बहुत कम मामलों में, hCG का स्तर असामान्य रूप से बहुत अधिक हो सकता है। इसका मतलब होता है कि गर्भ में कोशिकाएँ असामान्य रूप से बढ़ रही हैं और डॉक्टर को जांच करनी चाहिए।

अल्ट्रासाउंड कब कराना चाहिए? (Ultrasound kab karna chahiye)

IVF के बाद आमतौर पर बीटा hCG टेस्ट पॉजिटिव आने के एक से दो हफ्ते बाद पहला अल्ट्रासाउंड किया जाता है। इसका उद्देश्य यह देखना होता है कि गर्भाशय में गेस्टेशनल सैक (Gestational Sac) जिसे आम बोलचाल की भाषा में थैली कहा जाता है वह दिखाई दे रहा है या नहीं। 6वें हफ्ते के आसपास भ्रूण की धड़कन (हार्ट बीट) भी सुनायी देने लगती है। अगर hCG स्तर सामान्य रूप से बढ़ रहा हो, तो इसका मतलब है कि गर्भ स्वस्थ है और बाद मेंअल्ट्रासाउंड में भी इसकी पुष्टि होती है।

IVF प्रेगनेंसी में hCG की अन्य भूमिका (Other Roles of hCG in IVF Pregnancy)

IVF के बाद hCG टेस्ट केवल गर्भ की पुष्टि के लिए नहीं, बल्कि पूरे प्रोसेस की सफलता के लिए अहम है।

  • यह इम्प्लांटेशन (Implantation) के सफल होने का संकेत देता है।
  • अगर hCG का लेवल बहुत धीरे बढ़ रहा हो, तो डॉक्टर अगले ट्रीटमेंट के बारे में बताते हैं या hCG लेवल बढ़ाने के लिए कोई दवाई बताते हैं।
  • hCG का पैटर्न आगे के फर्टिलिटी से संबधित निर्णयों, जैसे फ्रीज़्ड एम्ब्रियो ट्रांसफर या मेडिसिन एडजस्टमेंट में मदद करता है।

निष्कर्ष (Conclusion)

बीटा hCG टेस्ट गर्भधारण की पुष्टि का सबसे विश्वसनीय तरीका है, खासकर IVF प्रेगनेंसी में। यह न केवल बताता है कि गर्भ ठहरा है या नहीं, बल्कि यह भी दर्शाता है कि भ्रूण कितनी अच्छी तरह विकसित हो रहा है। सही समय पर यह टेस्ट, नियमित मॉनिटरिंग और डॉक्टर की सलाह IVF ट्रीटमेंट की सफलता (IVF treatment success) में बड़ी भूमिका निभाते हैं।

hCG रिपोर्ट का सही आकलन डॉक्टर ही कर सकते हैं इसलिए कभी भी रिपोर्ट को खुद से पढ़ कर कुछ अंदाज़ा न लगायें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

पॉजिटिव प्रेगनेंसी टेस्ट के लिए कितना बीटा hCG होना चाहिए?

 

IVF के बाद अगर hCG का स्तर 50 mIU/ml या उससे अधिक है, तो इसे पॉजिटिव माना जाता है।

बीटा hCG रिपोर्ट को कैसे समझें?

 

अगर hCG हर दो दिन में दोगुना हो रहा है, तो गर्भ स्वस्थ है। hCG की वैल्यू गिरना या स्थिर रहना खतरे का संकेत हो सकता है।

बीटा hCG टेस्ट द्वारा प्रेगनेंसी कैसे चेक करें?

 

यह ब्लड टेस्ट से किया जाता है जो हार्मोन की मात्रा माप कर गर्भधारण की पुष्टि करता है।

प्रेगनेंसी के लिए बीटा hCG कितना होना चाहिए?

 

14 दिन बाद IVF में 50–100 mIU/ml के बीच वैल्यू सामान्य मानी जाती है।

4 सप्ताह की गर्भावस्था में बीटा hCG स्तर कितना होता है?

 

लगभग 1000–5000 mIU/ml तक। यह धीरे-धीरे बढ़ता रहता है।

2 सप्ताह की गर्भवती महिला में अच्छा hCG स्तर क्या है?

 

आमतौर पर 25–50 mIU/ml के बीच।

कैसे पता करें कि hCG स्तर बढ़ रहा है?

 

, { "@type": "Question", "name": "क्या एंडोमेट्रियोसिस खतरनाक है?", "acceptedAnswer": { "@type": "Answer", "text": " एंडोमेट्रियोसिस और एडिनोमायोसिस अलग स्थितियाँ हैं, लेकिन दोनों ही दर्द और फर्टिलिटी को प्रभावित कर सकती हैं।" } }, { "@type": "Question", "name": "एडेनोमायोमैटिक परिवर्तन क्या है?", "acceptedAnswer": { "@type": "Answer", "text": "यह एडिनोमायोसिस जैसी ही स्थिति है जिसमें गर्भाशय की दीवार मोटी हो जाती है।" } }, { "@type": "Question", "name": "एडिनोमायोमैटोसिस ऑफ गॉलब्लैडर क्या है?", "acceptedAnswer": { "@type": "Answer", "text": " यह पित्ताशय (Gallbladder) से जुड़ी अलग स्थिति है, जो गर्भाशय की बीमारी से संबंधित नहीं है।" } }

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