पीसीओएस के लक्षण, पीसीओएस के लिए घरेलू इलाज, पीसीओएस की स्थिति में भी गर्भवती होने के टिप्स, पीसीओएस और गर्भधारण, पीसीओएस के लिए टेस्ट
उदयपुर। महिलाओं को होने वाली आम बीमारी में से एक है पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम [पीसीओएस]। आजकल किशोरियों को भी इसका सामना करना पड़ रहा है। आंकड़ों के अनुसार महिला जनसंख्या में से 6 से 10 प्रतिशत महिलाएं इससे ग्रस्त है। पीसीओएस के कारण महिलाओं को गर्भधारण करने में दिक्कत आती है लेकिन असंभव कुछ नहीं है। चिकित्सकीय परामर्श, डाइट संतुलन व अत्याधुनिक तकनीक से पीसीओएस से ग्रस्त होने के बावजूद महिला को गर्भवती होने में परेशानी नहीं होगी।
यह है पीसीओएस
इन्दिरा आई वी एफ मुज्जफरपुर की आई वी एफ स्पेशलिस्ट डॉ. पूजा कुमारी का कहना है महिलाओं को यह बीमारी प्रजनन हार्मोन्स के संतुलन में गड़बड़ी व मेटाबॉलिज्म खराब होने पर होती है। हार्मोन्स असंतुलित होने से पीरियड्स प्रभावित होता है। सामान्य स्थिति में हर माह पीरियड्स के साथ अंडाशय में अंडाणुओं का निर्माण होता है और उनमे से एक परिपक्व अंडा बाहर आता है | वहीं, पीसीओएस की स्थिति में ये अंडा न तो पूरी तरह से विकसित हो पाता है और न ही बाहर आ पाता है |
पीसीओएस के लक्षण
-सामान्य परिस्थितियों में अंडों के विकसित होने के बाद, अंडाशय प्रोजेस्ट्रोन उत्पन्न करते हैं। इसके बाद प्रोजेस्ट्रोन का स्तर कम होता है और गर्भाशय की परत हल्की हो जाती है, तो पीरियड्स शुरू हो जाते हैं। वहीं, अंडों के विकसित न होने पर गर्भाशय की परत मोटी होने लगती है, जिसे हाइपरप्लासिया कहते हैं। परिणामस्वरूप, महिला को अधिक व लंबे समय तक रक्तस्राव होता है।
-अनियमित पीरियड्स या फिर बिल्कुल बंद हो जाना।
-योनी से अधिक मात्रा में रक्तस्राव होना।
-शरीर के कुछ हिस्सों की त्वचा गहरी व मोटी हो जाना, मुख्य रूप से गर्दन, बगल में और पेट व जांघ के बीच के हिस्से में होता है।
-जांघ, पेट, छाती व चेहरे पर तेजी से बाल बढ़ने लगेंगे
-तैलीय त्वचा व चेहरे पर कील-मुंहासे।
-वजन बढ़ना शुरू हो सकता है।
-टाइप-1 डायबिटीज हो सकती है।
-अल्ट्रासाउंड के दौरान अंडाशय में गांठ जैसी चीजें अधिक मात्रा में नजर आएंगी।
पीसीओएस की पुष्टि करने के लिए निम्न टेस्ट किए जाते हैं।
पीसीओएस और गर्भावस्था- गर्भधारण करने के लिए पीसीओएस का इलाज
नियमित दवाइयों का सेवन
इन्दिरा आई वी एफ जयपुर की आई वी एफ स्पेशलिस्ट डॉ. अर्चना सिंह बताती हैं
-मोटापा नहीं हैं, फिर भी गर्भ धारण नहीं कर पा रहे हैं, तो डॉक्टर प्रजनन क्षमता को बेहतर करने के लिए गोनैडोट्रॉपिंस व क्लोमीफीन जैसी दवाइयां दे सकते हैं, जो अंडाशय को सकारात्मक रूप से प्रभावित करती हैं। पीरियड्स को नियमित करने व पीसीओएस के प्रभाव को कम करने के लिए भी दवा दी जाती है। दवाइयों के साथ ही महिला को नियमित रूप से डॉक्टर से जांच करवाना और समय-समय पर शुगर व रक्तचाप की जांच भी जरूरी है।
बेहतर बीएमआई
-नियमित रूप से पौष्टिक भोजन का सेवन करने व शारीरिक व्यायाम करने की जरूरत है, ताकि बॉडी मास इंडेक्स 18.5 से 25 के बीच रहे। बीएमआई के इस स्तर को सबसे उत्तम माना जाता है। वहीं, अगर पीसीओएस के कारण टाइप-2 डायबिटीज हो गई है, तो इसे नियंत्रित करने के लिए डॉक्टर की सलाह पर दवा लेनी चाहिए।
लेप्रोस्कोपिक ओवेरियन ड्रिलिंग
-पीसीओएस से निपटने के लिए यह एक सर्जिकल प्रक्रिया है। एक महिला को इसकी जरूरत है या नहीं, इस बारे में डॉक्टर परामर्श जरूरी है।
तनाव से राहत
– एक दम्पती को समझना होगा कि किसी को, कभी भी, कोई भी बीमारी हो सकती है। इसलिए, पीसीओएस होने पर तनाव लेने की जरूरत नहीं है। तनाव से बीमारी और गंभीर हो जाती है। अगर गर्भधारण करना है, तो इस बीमारी के बारे में सोचना छोड़ दें।
पीसीओएस और गर्भधारण
इन्दिरा आई वी एफ बोरीवली मुंबई की आई वी एफ स्पेशलिस्ट डॉ. कनिका कल्याणी का कहना है
-हालांकि पीसीओएस का कोई स्थाई इलाज नहीं है। एक महिला अगर गर्भधारण करना चाहती हैं, तो डॉक्टर उसके स्वास्थ्य के अनुसार विभिन्न तरह के इलाज अपनाकर अंडाशय को इस स्थिति में लेकर आते हैं कि वह गर्भवती हो सकें, ऐसे मामलों में आई वी एफ तकनीक लाभकारी साबित हो रही है |
नियमित व्यायाम
-गर्भवती होने के लिए नियमित व्यायाम बेहद जरूरी है। व्यायाम करने से शरीर में एंडोर्फिन नामक हार्मोन पैदा होता है, जो तनाव को कम करने में मदद करते हैं और आप स्वयं को खुशनुमा महसूस करते हैं। व्यायाम से वजन कम होगा, जिससे पीरियड्स नियमित समय पर आएंगे और गर्भधारण करने की संभावना बढ़ जाएगी।
धूम्रपान, शराब छोड़ें
-गर्भधारण करने के लिए स्वस्थ जीवन अपनाना जरूरी है। धूम्रपान या फिर शराब पीने की आदत है, तो इसे तुरंत छोड़ना होगा। इससे न सिर्फ प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है, बल्कि पीसीओएस को पनपने का रास्ता मिल जाता है। इसलिए, इन्हें त्यागना ही बेहतर है।
आहार में करें बदलाव
-इस अवस्था में डिब्बाबंद व वसा युक्त खाद्य पदार्थों से दूरी बनाएं और ताजे फल-सब्जियां, बीन्स, सूखे मेवे व गेहूं के आटे की चीजें खाएं। इस दौरान मांस, चीज, दूध व तली हुई वस्तुओं को नहीं खाना चाहिए। साथ ही कार्बोहाइड्रेट व शुगर युक्त खाद्य पदार्थों से भी परहेज करना चाहिए। इससे न सिर्फ महिला का वजन कम होगा, बल्कि हार्मोन्स भी बेहतर होंगे।
तनावमुक्त रहें
– महिला बीमारी के बारे में सोचना छोड़ दें और तनावमुक्त होने की कोशिश करें। दिल व दिमाग में एक बात रखें कि उसे एक स्वस्थ्य शिशु को जन्म देना है। तनाव से मुक्ति के लिए अपनी पसंद का कोई काम करें। स्पा थेरेपी ले सकती हैं।
पीसीओएस के लिए घरेलू इलाज
नेचुरल रेमिडीज ऑफ पॉलिसिस्टक ओवेरियन सिंड्रोम -बाय एकेडमिया के अनुसार घर की रसोई में ऐसी कई चीजें मौजूद हैं, जो किसी दवा से कम नहीं हैं। इनका उपयोग हर तरह की बीमारी में किया जा सकता है। पीसीओएस में भी इनका इस्तेमाल घरेलू उपचार के तौर पर किया जा सकता है।
अलसी-अलसी के बीजों को पीसने के बाद एक-दो चम्मच पाउडर को एक गिलास पानी में डालकर पी जाएं। इससे एंड्रोजन हार्मोंस में कमी आती है।
दालचीनी -अगर एक चम्मच दालचीनी को एक गिलास गर्म पानी के साथ लिया जाए, तो इंसुलिन के स्तर को बढ़ने से रोका जा सकता है।
मुलेठी– यह एंड्रोजन को कम करती है, कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करती है और मेटाबॉलिज्म प्रक्रिया को बेहतर करती है। प्रतिदिन सूखी मुलेठी को एक कप गर्म पानी में उबालकर पीने से काफी लाभ मिलता है।
पुदीने की चाय-एक शोध में इस बात की पुष्टि की गई है कि पुदीने की चाय एंटी-एंड्रोजन का काम करती है। इसे पीने से पीसीओएस में राहत मिलती है। इस विषय में वैज्ञानिक अभी और शोध कर रहे हैं।
मेथी-यह शरीर में इंसुलिन के स्तर को बढ़ने से रोकती है, हार्मोंस को संतुलित करती है और मेटाबॉलिज्म में सुधार लाती है। तीन चम्मच मेथी के बीजों को आठ-दस घंटे के लिए पानी में भिगोकर रखें और फिर इन्हें पीसकर शहद के साथ दिन में तीन बार ले सकते हैं।
पीसीओएस के मामलों में गर्भधारण के सर्वाधिक सफल उपचार के रूप में आई वी एफ तकनीक सामने आई है | दुनिया भर में पीसीओएस से प्रभावित महिलाओं ने आई वी एफ इलाज से अपने परिवार को पूरा किया है |
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