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Synopsis

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गर्भधारण एक महिला का सबसे स्वर्णिम काल होता है। इस दौरान वह खाने-पीने के मामले में सचेत हो जाती है। वह चाहती है कि ज्यादा से ज्यादा पौष्टिक खाएं ताकि जन्म के समय उसका बच्चा बिल्कुल स्वस्थ और तंदरुस्त हो। इसके चलते कई बार वह अपने आहार में कई नई चीजों को भी शामिल करती हैं, पर ज्यादातर महिलाएं ऐसी होती हैं, जिन्हें यह पता नहीं होता कि गर्भधारण करने के बाद कौन-कौन सी चीजें कितनी मात्रा में खानी चाहिए? दरअसल, गर्भावस्था के दौरान खाई जाने वाली चीजों के साथ कई तरह की भ्रांतियां और मिथक भी जुड़े हुए हैं। वे यह नहीं जान पाती हैं कि गर्भावस्था के दौरान उन्हें कौन-सी चीजें खानी चाहिए और कौन-सी नहीं। इस साइट से हम बताएंगे कि गर्भावस्था में कौनसा आहार उनके स्वास्थ्य के लिए बेहतर है और कौनसा नहीं।

गर्भावस्था में ये खाएं

1- ब्रोकली और हरी पत्तेदार सब्जियां

-गर्भवती महिलाओं को अपने खान-पान में हरी पत्तेदार सब्जिÞयां पालक, मैथी, पत्तागोभी, ब्रोकली (एक प्रकार की गोभी)जरूर शामिल करनी चाहिए। पालक में मौजूद आयरन गर्भावस्था के दौरान खून की कमी को दूर करता है।

2-डेयरी उत्पाद

-गर्भवती होने के बाद एक महिला को उसके व उसके शिशु के विकास के लिए ज़्यादा प्रोटीन और कैल्शियम की जरूरत होगी। उन्नीस से 50 साल तक की उम्र वाली गर्भवती महिला के शरीर को रोजाना 1,000 कैल्शियम की जरूरत होती है। ऐसे में अपने खान-पान में डेयरी उत्पाद दही, छाछ, दूध आदि शामिल करें।

3-साबूत अनाज

-साबूत अनाजों में मौजूद भरपूर कैलोरी गर्भ में शिशु के विकास में मदद करती है। गर्भावस्था के दौरान साबूत अनाजों को अपने आहार में शामिल करना चाहिए, खासतौर पर गर्भावस्था की दूसरी और तीसरी तिमाही के दौरान साबूत अनाजों का सेवन फायदेमंद होता है। मसलन ओट्स, किनोआ, भूरे चावल, आदि को अपने आहार में शामिल कर सकती हैं। इन अनाजों में प्रोटीन की प्रचूर मात्रा पाई जाती है। इसके अलावा, इनमें फाइबर, विटामिन-बी और मैग्नीशियम भी मौजूद होता है, जो गर्भावस्था में फायदा पहुंचाते हैं।

4- सूखे मेवे

-गर्भावस्था में सूखे मेवों को भी अपने खान-पान का हिस्सा बनाएं। मेवों में कई तरह के विटामिन, कैलोरी, फाइबर, ओमेगा 3 फैटी एसिड, आदि पाए जाते हैं, जो सेहत के लिए काफी अच्छे होते हैं। यदि महिला को एलर्जी नहीं है, तो खान-पान में काजू, बादाम, अखरोट, आदि को शामिल करें। ये मैवे गर्भावस्था में फायदा पहुंचाते हैं। अखरोट में भरपूर मात्रा में ओमेगा 3 फैटी एसिड होता है।

5-शकरकंद

-गर्भावस्था में स्वीट पोटेटो या शकरकंद खाना भी काफी सेहतमंद है। इसमें विटामिन-ए होता है, जो शिशु की देखने की शक्ति को विकसित करने में अहम भूमिका निभाता है। इसके अलावा, इसमें विटामिन-सी, फोलेट और फाइबर भी मौजूद होते हैं।

6- एवोकाडो (रुचिरा)

-एवोकैडो में भरपूर मात्रा में फोलेट होता है, जो गर्भ में पल रहे शिशु के मस्तिष्क और उसकी रीढ़ की हड्डी के विकास के लिए बेहद फायदेमंद होता है। यह एक ऐसा फल है, जिसे हर गर्भवती महिला को दिन का एक खाने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा, एवोकैडो में विटामिन-के, पोटैशियम, कॉपर, मोनोअनसैचुरेटेड वसा, विटामिन-ई, आदि भी मौजूद होता है।

7-अंडा

-अंडा पौष्टिक तत्वों का खजाना होता है। इसे खाने से शरीर में ऊर्जा बनी रहती है। अंडे में प्रोटीन, कोलीन, बायोटीन, कोलेस्ट्रोल, विटामिन-डी और एंटीआॅक्सीडेंट पाए जाते हैं। इसके अलावा एक बड़े अंडे में 77 कैलोरी ऊर्जा होती है। इसलिए, गर्भवती महिलाओं को अपने आहार में अंडे को शामिल करना चाहिए।

8-कॉड लीवर तेल

-यह तेल कॉड मछली के लीवर से बनाया जाता है। गर्भावस्था में इसका सेवन बहुत फायदेमंद होता है। इसमें प्रचूर मात्रा में ओमेगा 3 फैटी एसिड, विटामिन-डी और विटामिन-ए होता है, जिन्हें शिशु की आंखों और दिमाग के विकास के लिए जरूरी माना जाता है। यह तेल गर्भ में पल रहे शिशु को टाइप-1 मधुमेह के खतरे से भी बचाता है। एक शोध में यह साबित हुआ है कि जो महिलाएं गर्भावस्था के दौरान कॉड लीवर तेल का सेवन करती हैं, उनके शिशु को मधुमेह होने का खतरा कम होता है। इसमें ध्यान रखें कि गर्भावस्था में उतनी ही मात्रा में कॉड लीवर तेल का सेवन करें, जिससे आपके शरीर को 300 माइक्रोग्राम विटामिन-ए और 100 माइक्रोग्राम विटामिन-डी की आपूर्ति हो जाए। इससे ज्यादा मात्रा में कॉड लीवर तेल का सेवन करने से भ्रूण को नुकसान पहुंच सकता है।

9- बिना वसा का मांस

– अकसर गर्भवती महिलाओं के शरीर में आयरन की कमी हो जाती है। इससे उनके खून में हीमोग्लोबिन का स्तर गिरने लगता है। ऐसे में गर्भवती महिला अगर मांसाहारी है, तो उन्हें अपने खान-पान में बिना वसा वाले मीट को जरूर शामिल करना चाहिए। मांस में भरपूर मात्रा में लौह तत्व (आयरन), जिक और विटामिन-बी 12 होता है।

10-पानी का सेवन ज्यादा करें

-गर्भवती महिला को आम जन की तरह 8 से 10 ग्लास पानी का सेवन करना चाहिए। पानी की कमी से सिर दर्द, थकान, कब्ज, आदि जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए, गर्भवती महिलाओं को हमेशा खुद को हाइड्रेट रखने की सलाह दी जाती है।

11-फल और फलों का जूस

-गर्भावस्था में महिला को तरह-तरह के मौसमी फल संतरा, तरबूज, नाशपाती आदि खाने चाहिए। इसके अलावा इन फलों के जूस का भी सेवन कर सकती है। दरअसल, गर्भवती महिला को अलग-अलग चार रंगों के फल खाने की सलाह दी जाती है।

12- बेर की प्रजाति के फल

-गर्भावस्था में बेर की प्रजाति वाले फलों स्ट्रॉबेरी, रसबेरी, ब्लैकबेरी का सेवन भी फायदेमंद माना जाता है। इनमें भरपूर मात्रा में पानी, काबोर्हाइड्रेट और विटामिन-सी होता है, जो गर्भवती महिला और गर्भ में पल रहे शिशु के विकास के लिए जरूरी होता है।

13- फलियां

-गर्भावस्था में मटर, चना, सोयाबीन आदि फलियों का सेवन जरूर करना चाहिए। इनमें फोलेट, आयरन, पोटैशियम, मैग्नीशियम, फाइबर आदि मौजूद होते हैं, जिन्हें गर्भावस्था के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है।

गर्भावस्था में क्या नहीं खाना चाहिए?

-अपने खान-पान में कई चीजें ऐसी हैं जिन्हें गर्भावस्था में खाने से परहेज करना चाहिए। ये आहार गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं।

  1. एल्कोहल से परहेज रखें

-गर्भवती महिलाओं को तो केवल शराब ही नहीं, बल्कि हर तरह के नशे से बिल्कुल दूर रहना चाहिए। धूम्रपान, शराब के सेवन से भ्रूण के दिमागी और शारीरिक विकास में बाधा आती है। इतना ही नहीं, शराब पीने से गर्भपात होने का खतरा भी बढ़ जाता है।

  1. कच्चा अंडा न खाएं

-अधपके अंडे के सेवन से सालमोनेला संक्रमण का खतरा हो सकता है। इस संक्रमण से गर्भवती महिला को उल्टी और दस्त की समस्या हो सकती है। इसलिए गर्भवती महिलाओं को अच्छी तरह से पका अंडा ही खाना चाहिए।

  1. उच्च स्तर के पारे वाली मछली न खाएं

-गर्भवती महिलाओं को ऐसी मछलियों को खाने से बचना चाहिए, जिनके शरीर में पारे का स्तर अधिक होता है। जैसे कि स्पेनिश मेकरल, मार्लिन या शार्क, किंग मकरल और टिलेफिश जैसी मछलियों में पारे का स्तर ज्यादा होता है। ऐसी मछलियों को खाने से भ्रूण के विकास में बाधा आ सकती है।

  1. कैफीन का सेवन न करें

– चाय, कॉफी और चॉकलेट जैसी चीजों में कैफीन पाया जाता है। ज्यादा मात्रा में कैफीन लेने से गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा, कैफीन का ज्यादा सेवन करने से जन्म के समय शिशु का वजन कम रह सकता है। हालांकि, गर्भावस्था के दौरान रोजाना 200 मिलिग्राम तक कैफीन के सेवन को सुरक्षित माना जाता है।

  1. कच्चा पपीता न खाएं

-गर्भावस्था में कच्चा पपीता खाना असुरक्षित हो सकता है। कच्चे पपीते में एक ऐसा केमिकल पाया गया है, जो भ्रूण को नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए गर्भावस्था में कच्चा पपीता खाने से बचें।

  1. कच्ची अंकुरित चीजों से बचें

-गर्भावस्था में कच्ची अंकुरित चीजें खाने से बचना चाहिए। दरअसल, कच्ची अंकुरित दालों में साल्मोनेला, लिस्टेरिया और ई-कोलाई जैसे बैक्टीरिया मौजूद होते हैं, जिससे फूड पोयजनिंग की समस्या हो सकती है। इसके कारण गर्भवती महिला को उल्टी या दस्त की शिकायत हो सकती है और मां के साथ-साथ शिशु की सेहत को भी नुकसान पहुंच सकता है।

  1. क्रीम दूध से बना पनीर न खाएं

-गर्भावस्था में क्रीम दूध से बना पनीर नहीं खाना चाहिए। इसे बनाने में पाश्चुरीकृत दूध का इस्तेमाल नहीं किया जाता है, इसलिए इसमें लिस्टेरिया नाम का बैक्टीरिया मौजूद होता है। इस बैक्टीरिया की वजह से गर्भपात और समय से पहले प्रसव का खतरा बढ़ सकता है।

  1. कच्चे मांस का सेवन ना करें

-कच्चे मांस गर्भवती महिला को टॉक्सोपलॉस्मोसिस से संक्रमित कर सकता है। इससे गर्भपात का खतरा बढ़ सकता है। ध्यान रखें कि अगर मीट [मांस] खा रही हैं, तो वो पूरी तरह से पका हो।

  1. बिना धुली हुई सब्जियां और फल न खाएं

-बिना धुली हुई सब्जी और फल में टॉक्सोप्लाज्मा नाम का बैक्टीरिया मौजूद हो सकता है, जिससे शिशु के विकास में बाधा आती है। फल और सब्जी को खाने से पहले उसे अच्छी तरह धोना न भूलें।

  1. आइसक्रीम न खाएं

-गर्भावस्था में आइसक्रीम खाने से भी बचना चाहिए। आमतौर पर इसे बनाने के लिए कच्चे अंडों का इस्तेमाल होता है। इस बारे में पहले ही बता चुके हैं कि कच्चे अंडे से गर्भवती महिलाओं को सालमोनेला संक्रमण हो सकता है।

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