इनफर्टिलिटी अथवा बांझपन एक आम समस्या बन चुकी है। पारम्परिक रूप से बांझपन की समस्या को अक्सर महिलाओ के साथ जोड़ के देखा जाता है, हालाँकि ऐसा है नही। अगर कोई जोड़ा निरंतर 12 माह या अधिक समय से संतान प्राप्ति हेतु प्रयास करने पर भी विफल होता है, तो यह इनफर्टिलिटी की समस्या की और संकेत करती है। ऐसी स्थिति में दोनों, संतान के इक्छुक माता और पिता को डाक्टरी परामर्श लेने की आवश्यकता है ताकि कारण स्पष्ट हो सके।
इनफर्टिलिटी के निदान से पहले, प्रजनन विशेषज्ञ डॉक्टर, माता तथा पिता की यौन आदतों को समझने का प्रयास करता है ताकि प्राकृतिक रूप से गर्भाधन की संभावनाओं को बेहतर बनाया जा सके।
यह लेख इनफर्टिलिटी अथवा बांझपन की समस्या और उसके उपचार पर प्रकाश डालता है।
पुरुषों में सामान्य स्थिति में अंडकोष पर्यापत मात्रा में शुक्राणु बनाते हैं और यह शुक्राणु योनि में प्रभावी रूप से स्खलित होता है तथा सही गति से अंडे की ओर बढ़ता है ताकि सफलतापूर्वक निषेचन हो सके।
पुरुषों में इनफर्टिलिटी की जांच हेतु डॉक्टर कुछ परिक्षण करते हैं जिसकी सहायता से वह बांझपन के कारण का पता करते हैं।
यह एक सामान्य शारीरिक परिक्षण होती है जिसमें डॉक्टर पुरुष जननांगो की जांच करता है।
इसमें पुरुष के वीर्य के नमूने की प्रयोगशाला में जांच की जाती है जिसमें वीर्य की गुणवत्ता, गति, तथा आकार का विश्लेषण किया जाता है।
इसमें यह पता किया जाता है की बांझपन के पीछे का कारण कहीं कोई अनुवांशिक दोष तो नहीं।
पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन एक महत्वपूर्ण हार्मोन होता है तथा इसकी कमी बांझपन का एक प्रमुख कारण हो सकती है। हार्मोन परिक्षण एक प्रकार का रक्त परिक्षण है जो की शरीर में हार्मोन के स्तर को बताता है।
कुछ एक मामलों में, वृषण बायोप्सी करने की सलाह दी जाती है। इसकी सहायता से किसी प्रकार कीअसमानता, जो बांझपन में योगदान दे रही है, का पता किया जाता है। इसके अलावा यह, सहायक प्रजनन तकनीक जैसे की IVF के लिए, शुक्राणुओं को प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
उपरोक्त परीक्षणों के परिणामों के आधार पर, प्रजनन विशेषज्ञ जीवनशैली में परिवर्तन, दवाएं, शल्य चिकित्सा, अथवा शुक्राणु की पुनः प्राप्ति जैसे उपचार की सलाह दे सकता है।
महिलाओं में सामन्य स्थिति में अंडाशय स्वस्थ अंडे जारी करता है तथा प्रजनन पथ निषेचन के लिए अंडे को फैलोपियन ट्यूब से जाकर शुक्राणु से जुड़ने देता है। अंडा निषेचित होने के बाद गर्भाशय के अस्तर से खुद को जोड़ लेता है। महिलाओं से जुड़े हुए बांझपन के परीक्षणों में यह पता लगाने का प्रयास किया जाता है की यह प्रक्रिया में किसी प्रकार की कोई समस्या तो नहीं हुई।
यह एक रक्त परिक्षण है जो हार्मोन के स्तर को मापता है जिससे यह स्पष्ट होता है की महिला सामन्य रूप से ओवुलेट कर रही है रही है या नही।
यह परिक्षण महिला के गर्भ तथा फैलोपियन ट्यूबों की स्थिति का मूल्यांकन करता है तथा रूकावट या किसी अन्य प्रकार की समस्या को उजागर करता है। इस परिक्षण में एक्स-रे लिया जाता है।
यह परिक्षणओव्यूलेटरी हार्मोन तथा पिट्यूटरी हार्मोन के स्तर की जाँच करते हैं। यह दोनों हार्मोन प्रजनन प्रक्रियाओं को नियंत्रित करते हैं।
यह परिक्षण ओवुलेशन के लिए उपलब्ध अंडों की मात्रा को जानने के लिए किया जाता है।
जैसा की नाम से स्पष्ट है, यह परिक्षण एक प्रकार का अल्ट्रासाउंड है जिसमें गर्भाशय के अंदर के विवरण का विश्लेषण किया जाता है।
प्रजनन विशेषज्ञ डॉक्टर, इनफर्टिलिटी का इलाज, उपरोक्त परीक्षणों के आधार पर तय करता है। इलाज में प्रजनन दवाओं के साथ उत्तेजक ओव्यूलेशन,अंतर्गर्भाशयी गर्भाधान (IUI), अथवा प्रजनन क्षमता को बहाल करने के लिए सर्जरी आदि शामिल हो सकते हैं और इसका निर्धारण पूरी तरह से महिला की स्थिति पर निर्भर करता है।