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सोनोग्राफी कीमत: कितनी होती है अल्ट्रासाउंड की कीमत ?

Last updated: December 09, 2025

सोनोग्राफी (अल्ट्रासाउंड) क्या होता है?

सोनोग्राफी एक तरह का परीक्षण है जिसे अल्ट्रासाउंड की सहायता से किया जाता है। इसमें एक डिवाइस शरीर के आंतरिक अंगों की डायरेक्ट इमेज बनाने के लिए रेडियो तथा सोनार तकनीक का उपयोग करती हैं। सोनोग्राफी में दर्द नहीं होता है। सोनोग्राफी में किसी तरह का चीरा नहीं लगाया जाता और न ही कोई इंजेक्शन दिया जाता है। सुरक्षा के नजरिये से भी ये अच्छा है क्योंकि इसमें कोई रेडियेशन नहीं होते हैं।

अल्ट्रासाउण्ड या सोनोग्राफी इन दिनों काफी उपयोग में ली जाने वाली परीक्षण विधि है । खासकर गर्भावस्था में सोनोग्राफी का विशेष महत्व है। हानिकारक नहीं होने और सटिक परिणाम के कारण ज्यादातर डॉक्टर सोनोग्राफी को प्राथमिकता देते हैं। प्रेगनेंसी के दौरान एकाधिक बार सोनोग्राफी की आवश्यकता होती है इसलिए दम्पतियों के मन में सोनोग्राफी की प्राईस/ सोनोग्राफी की किमत क्या है इस बात को लेकर सवाल होता है। कई महिलाओं को अन्य शारीरिक समस्याएं होती हैं इस स्थिति में सोनोग्राफी काफी उपयोगी साबित हो सकती है। ये महिला के आंतरिक अंगों की जांच कम दरों में किये जाने वाले टेस्ट हैं। सोनोग्राफी की सुविधा आमतौर पर सभी अस्पतालों में उपलब्ध होती है। आईए समझते हैं सोनोग्राफी में क्या होता है

सोनोग्राफी कैसे होती है? (Sonography Kaise Hoti Hai)

सोनोग्राफी दो तरीकों से की जाती है।

1. पहली बाहर से यानि ट्रांसएब्डोमिनल सोनोग्राफी, इसमें महिला के पेट पर अल्ट्रासाउण्ड प्रोब ले जाते हैं, जिस जगह का टेस्ट किया जाना है उसके उपर की तरफ जेल लगाया जाता है। जेल के कारण स्कीन साफ हो जाती है और जांच करने में आसानी होती है। ट्रांसएब्डोमिनल सोनोग्राफी के लिए महिला का ब्लेडर भरा हुआ होना चाहिए। ये सोनोग्राफी की पारम्परिक तकनीक है। ट्रांसएब्डोमिनल सोनोग्राफी /अल्ट्रासाउण्ड / कलर सोनोग्राफी इन प्रेगनेंसी की कीमत आमतौर पर 800 से 1200 रूपये के बीच होती है। शरीर में कई तरह के विकार पता लगाने के लिए इसका उपयोग किया जाता है।

2. दूसरी और निःसंतानता तथा गर्भावस्था के शुरूआती दो महीने में अधिक उपयोग में आने वाली सोनोग्राफी ट्रांसवेजिनल है। महिला के गर्भाशय, अंडाशय, फैलोपियन ट्यूब आदि प्रजनन अंगों की वैजाइना के रास्ते तस्वीर देखी जाती है।

प्रेगनेंट औरतों में जांच के लिए टीवीएस सोनोग्राफी का प्रयोग ज्यादा किया जाता है। ये प्रक्रिया दर्दरहित होती है।

गर्भावस्था में ट्रांसवेजाइनल सोनोग्राफी के फायदे

गर्भावस्था की पहले ट्रायमेस्टर में ट्रांसवेजाइनल सोनोग्राफी की विशेष भूमिका होती है। प्रेगनेंसी के पहले 10-12 सप्ताह तक बच्चेदानी पेट के निचले हिस्से में होती है जिससे ट्रांसएब्डोमिनल सोनोग्राफी करने पर सही परिणाम सामने नहीं आते हैं। प्रेगनेंसी की शुरूआत में टीवीएस के परिणाम अधिक सटिक रहते हैं।

सोनोग्राफी / अल्ट्रासाउण्ड की प्राइस- टीवीएस का खर्चा भी ट्रांसएब्डोमिनल सोनोग्राफी के समान ही है 800 से 1200 रूपये के बीच होता है। डॉक्टर मरीज की समस्या को ध्यान में रखकर ट्रांसएब्डोमिनल सोनोग्राफी और ट्रांसवेजिनल सोनोग्राफी का प्रयोग करते हैं. इन दोनों परीक्षण विधियों का समस्या के अनुरूप अपना महत्व है। ये महिलाओं के आंतरित अंगों की जांच की सबसे प्रचलित, सरल व अधिक उपयोग में ली जाने वाली विधियां हैं। ट्रांसएब्डोमिनल सोनोग्राफी और ट्रांसवेजिनल सोनोग्राफी / सोनोग्राफी टेस्ट प्राइस/ कलर अल्ट्रासाउण्ड की प्राइस / खर्च कम होने के कारण हर आयवर्ग के लोगों के लिए लाभदायक साबित होती है। दोनों जांचों में सुरक्षा के साथ परिणाम अधिक सटिक मिलते हैं।

 

**Disclaimer: The information provided here serves as a general guide and does not constitute medical advice. We strongly advise consulting a certified fertility expert for professional assessment and personalized treatment recommendations.
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