एडिनोमायोसिस गर्भाशय से जुड़ी एक आम लेकिन मामूली समस्या (benign uterine condition) है। इसमें गर्भाशय की भीतरी परत (एंडोमेट्रियम) की कोशिकाएँ गर्भाशय की मांसपेशियों (मोमेट्रियम ) के भीतर चली जाती हैं। इस वजह से गर्भाशय मोटा (बल्की यूट्रस) हो जाता है और पीरियड्स में दर्द बढ़ जाता है एवं हैवी पीरियड्स (मेनोरेजिया) की स्थिति बन जाती है।
कई महिलाएँ इसे सामान्य पीरियड दर्द समझकर अनदेखा कर देती हैं, जबकि एडिनोमायोसिस की समय पर पहचान न होने पर खून की कमी, दर्द और निःसंतानता जैसी दिक्कतें पैदा हो सकती है।,/p>
एडिनोमायोसिस (Adenomyosis) में गर्भाशय की भीतरी लाइनिंग (Endometrium) की कोशिकाएँ उस परत में चली जाती हैं जहाँ मांसपेशियाँ होती हैं। सामान्य गर्भाशय में ये दोनों परतें अलग-अलग रहती हैं, लेकिन एडिनोमायोसिस में ये आपस में मिल जाती हैं। इससे गर्भाशय फूल जाता है और पीरियड्स के दौरान तीव्र दर्द व भारी रक्तस्राव (हैवी ब्लीडिंग) होता है। ऐसी स्थिति को Bulky Uterus with Adenomyosis कहा जाता है।
सामान्य गर्भाशय की तुलना में एडिनोमायोसिस की वजह से गर्भाशय का आकार बड़ा और स्पंजी महसूस होता है।WHO और ICMR की रिपोर्ट्स के अनुसार, 35 वर्ष से अधिक उम्र की कई महिलाओं में एडिनोमायोसिस पाया जाता है, खासकर जिनका प्रसव या गर्भाशय की सर्जरी (जैसे D&C या सी-सेक्शन) हो चुका हो।
एडिनोमायोसिस के लक्षण धीरे-धीरे बढ़ते हैं और कई बार सामान्य पीरियड समस्याओं की तरह लगते हैं। लेकिन अगर नीचे बताए गए संकेत बार-बार हों, तो जांच ज़रूर करानी चाहिए।
एडिनोमायोसिस के कारण पूरी तरह स्पष्ट नहीं हैं, पर शोधों के अनुसार ये मुख्य कारण माने जाते हैं:
एडिनोमायोसिस गर्भाशय की संरचना और कार्य दोनों को प्रभावित करता है। गर्भाशय की दीवार मोटी और सूजन होने से भ्रूण को ठहरने में दिक्कत होती है। इस वजह से प्रेगनेंसी ठहरने की संभावना कम हो जाती है या शुरुआती महीनों में गर्भपात (मिसकैरेज) का जोखिम बढ़ जाता है। डॉक्टरों के अनुसार, अगर महिला को बार-बार गर्भपात या गर्भ ठहरने में कठिनाई हो रही हो, तो एडिनोमायोसिस की जांच ज़रूर करवानी चाहिए।
एडिनोमायोसिस का डायग्नोसिस कई स्तरों पर की जाती है ताकि फाइब्रॉइड्स या एंडोमेट्रियोसिस जैसी अन्य बीमारियों से इसे अलग किया जा सके।
ट्रांसवेजाइनल अल्ट्रासाउंड से गर्भाशय की मोटाई और दीवार की स्थिति देखी जाती है।
यह सबसे सटीक जांच मानी जाती है। इसमें गर्भाशय की परतों की स्पष्ट तस्वीर मिलती है।
डॉक्टर हाथ से जांच कर गर्भाशय के आकार और दर्द की स्थिति का आकलन करते हैं।
कई बार रिपोर्ट में Adenomyoma Uterus या Adenomyotic changes लिखा होता है इसका मतलब एडिनोमायोसिस की स्थिति होती है।
इलाज महिला की उम्र, लक्षणों और प्रेगनेंसी की इच्छा पर निर्भर करता है।
आज कई क्लिनिक “फ़र्टिलिटी प्रेसेर्विंग ट्रीटमेंट (Fertility-preserving treatments)” भी करते हैं ताकि गर्भाशय सुरक्षित रहे और महिला को भविष्य में माँ बनने में कोई समस्या न आये।
एडिनोमायोसिस होने पर भी माँ बनना संभव है। सही इलाज और फर्टिलिटी सपोर्ट से कई महिलाएँ सफलतापूर्वक गर्भधारण कर चुकी हैं।
इमोशनल सपोर्ट और रेगुलर फॉलोअप से एडिनोमायोसिस से पीड़ित महिलाओँ का माँ बनने का सफर आसान हो जाता है।
एडिनोमायोसिस की अगर सही समय पर पहचान और इलाज हो जाए, तो इस पर नियंत्रण पाया जा सकता है और प्रेगनेंसी भी संभव है। महिलाओं के लिए ज़रूरी है कि वे अपने शरीर के संकेतों को समझें और दर्द या अनियमित ब्लीडिंग को “सामान्य” न मानें। सही डॉक्टर और सही देखभाल के साथ जीवन फिर से सामान्य और स्वस्थ हो सकता है।
यह स्थिति है जिसमें गर्भाशय की अंदरूनी परत की कोशिकाएँ बाहर की अन्य मांसपेशियों में घुस जाती हैं।
फाइब्रॉइड्स ट्यूमर जैसे गांठ होते हैं, जबकि एडिनोमायोसिस मांसपेशियों के भीतर फैली कोशिकाएँ होती हैं।
हाँ, दवाओं या IVF/IUI जैसे ट्रीटमेंट से प्रेगनेंसी हो सकती है।
भारी ब्लीडिंग, तेज दर्द, और एनीमिया लेकिन याद रहे यह कैंसर नहीं है।
दवाओं, हार्मोनल थेरेपी, या सर्जिकल तरीकों से।
IUD, हार्मोन थेरेपी या UAE से राहत मिल सकती है।
नहीं, यह कैंसर नहीं बनता, लेकिन लक्षण समान हो सकते हैं।
एंडोमेट्रियोसिस और एडिनोमायोसिस अलग स्थितियाँ हैं, लेकिन दोनों ही दर्द और फर्टिलिटी को प्रभावित कर सकती हैं।
यह एडिनोमायोसिस जैसी ही स्थिति है जिसमें गर्भाशय की दीवार मोटी हो जाती है।
यह पित्ताशय (Gallbladder) से जुड़ी अलग स्थिति है, जो गर्भाशय की बीमारी से संबंधित नहीं है।