January 20, 2021
IVF तकनीक से जन्मे शिशु को टेस्ट ट्यूब बेबी भी कहा जाता है। यह एक प्रकार की सहायक प्रजनन तकनीक है जो की महिलाओं को गर्भवती होने में सहायता करता है। वर्ष 2018 के मध्य तक लगभग आठ मिलियन से अधिक शिशु इस तकनीक द्वारा जन्म ले चुके हैं।
प्राकृतिक गर्भाधान में पुरुष साथी का शुक्राणु महिला साथी के अंडे में प्रवेश करता है और उसे निषेचित करता है। उसके बाद वह अंडा खुद को गर्भाशय की दीवार से संलग्न करता है और धीरे धीरे एक बच्चे में विकसित होना प्रारंभ कर देता है। हालांकि, अगर किसी कारणवश प्राकृतिक गर्भाधान संभव नहीं हो पाता, जिसमें बांझपन एक प्रमुख कारण हो सकता है और यह समस्या माता तथा पिता, किसी भी पक्ष से हो सकता है, तब सहायक प्रजनन तकनीक का सहारा लिया जाता है।
प्राकृतिक गर्भाधान के विपरीत, जिसमें निषेचन प्रक्रिया शरीर के भीतर होता है, सहायक प्रजनन तकनीक (IVF) में, निषेचन का प्रयास शरीर के बाहर एक प्रयोगशाला डिश में किया जाता है और जब निषेचन सफल हो जाता है तब अंडे को महिला के गर्भ में स्थापित कर दिया जाता है।
निम्नलिखित IVF प्रक्रिया अलग अलग क्लिनिक के आधार पर भिन्न हो सकती है परन्तु मुख्य रूप से इन चरणों का पालन किया जाता है:
प्रक्रिया में सबसे पहले महिला के प्राकृतिक मासिक धर्म को दबाया जाता है। इसके लिए एक प्रजनन विशेषज्ञ डॉक्टर लगभग 2 सप्ताह के लिए महिला को प्रतिदिन इंजेक्शन के रूप में दवा देता है।
इस चरण में, नियंत्रित ओवेरियन (Ovarian) हाइपरस्टीमुलेशन, जिसे सुपर ओव्यूलेशन भी कहा जाता है, का सहारा लिया जाता है। सुपर ओव्यूलेशन के लिए डॉक्टर फॉलिकल स्टिमुलेटिंग हार्मोन (FSH) युक्त ड्रग्स महिला को देते हैं जो की अंडाशय को सामान्य से अधिक अंडा उत्पन्न करने में सहायता करता है। डॉक्टर योनि अल्ट्रासाउंड स्कैन के माध्यम से अंडाशय में प्रक्रिया की निगरानी करते हैं।
IVF प्रक्रिया के इस कदम में, प्रजनन विशेषज्ञ एक मामूली शल्य प्रक्रिया के द्वारा अंडाशय से अंडे प्राप्त करते हैं। इस शल्य प्रक्रिया को फॉलिक्युलर एस्पिरेशन (Follicular aspiration) भी कहा जाता है। प्रक्रिया को करने के लिए महिला को माइल्ड सेडेटिव (mild sedative) या अनेस्थेटिक (anesthetic) दिया जाता है ताकि अंडे की पुनर्प्राप्ति के दौरान दर्द या असहजता महसूस न हो। इस प्रक्रिया में योनि के माध्यम से अंडाशय में एक पतली सूई डाली जाती है जो एक सक्शन डिवाइस से जुडी होती है और अंडो को बाहर निकालने में मदद करती है। यह प्रक्रिया प्रत्येक अंडाशय के लिए की जाती है।
इस चरण में, एकत्रित अंडो को पर्यावरण नियंत्रित चैम्बर में रखा जाता है जिसकी निगरानी प्रजनन विशेषज्ञ करते हैं। कुछ ही घंटो में, शुक्राणुओं का अंडे प्रवेश हो जाना चाहिए। सफतापूर्वक निषेचन के बाद अंडा विभाजित हो जाता है और एक भ्रूण बन जाता है।
इसके बाद विशेषज्ञ एक या दो सबसे अच्छे भ्रूण स्थानांतरण के लिए चुनते हैं। स्थानांतरण से पहले महिला को प्रोजेस्टेरोन (progesterone) या मानव कोरियोनिक गोनाडोट्रॉफ़िन (hCG) दिया जाता है जो गर्भ को भ्रूण प्राप्त करने में सहायक होता है।
भ्रूण स्थानांतरण के दौरान यह महत्वपूर्ण है की संतान चाहने वाले दंपति डॉक्टर से भ्रूण स्थानांतरण की संख्या तय कर ले की कितने भ्रूण स्थानांतरित किए जाने चाहिए। इस प्रक्रिया के लिए एक पतली ट्यूब या कैथिटर (catheter) का उपयोग किया जाता है, जिसकी सहायता से भ्रूण योनि के माध्यम गर्भ में प्रवेश कराया जाता है। फिर वह भ्रूण गर्भ के अस्तर से जुड़ जाता है, जिसके बाद उसका विकास शुरू होता है।
तो इस प्रकार से टेस्ट ट्यूब बेबी या IVF प्रक्रिया एक प्रजनन विशेषज्ञ द्वारा की जाती है। IVF प्रक्रिया की अधिक जानकारी के लिए आज ही संपर्क करें।
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