इन विट्रो फर्टिलाईजेशन आमतौर पर आईवीएफ या भारत में टेस्ट-ट्यूब बेबी के रूप में जाना जाता है । आईवीएफ उपचार की सफलता कई कारकों पर निर्भर करती है और काफी हद तक बदलती रहती है । अधिक जानने के लिए पढ़े
इन विट्रो फर्टिलाईजेशन आमतौर पर आईवीएफ या भारत में टेस्ट-ट्यूब बेबी के रूप में जाना जाता है, 1978 में इसकी शुरुआत के बाद से ही इसने दुनिया का ध्यान आकर्षित किया है। आज के परिदृश्य में यह तकनीक अधिकांश देशों में उपलब्ध है और पूर्व की तुलना में बेहतर तरीके से काम कर रही है।
अत्याधुनिक विशेषज्ञता, अवलोकन, शोध, प्रयोगशाला प्रौद्योगिकी में विकास और नैदानिक कार्य में उत्कृष्टता के साथ, आईवीएफ टेक्नोलोजी सुरक्षित, अच्छी, सुदृढ़, आसानी से सुलभ और निःसंतान दंपतियों के लिए अपेक्षाकृत सस्ते उपचार विकल्प के रूप में उभरी है।
इसने उन सभी जोड़ों को उम्मीद की किरण दी है जो गर्भधारण करने में असफल होकर अपने जीवन में चमत्कार की आशा कर रहे हैं और यह संभव है कि निरंतर विस्तार से सभी के लिए इसकी प्रयोज्यता और मांग बढ़ेगी।
दुनियाभर में निःसंतानता की समस्या से लाखों जोडे़ जूझ रहे हैं। इंडियन सोसाइटी ऑफ असिस्टेड रिप्रोडक्शन (2018) के अनुसार 10 से 14 प्रतिशत भारतीय आबादी निःसंतानता से प्रभावित है।
आईवीएफ तकनीक और इसकी सुरक्षा को लेकर हमारे समाज में जानकारी का अभाव और कई मिथक व्याप्त है। टेस्ट ट्यूब बेबी शब्द के भ्रम के कारण आमतौर पर यह माना जाता है कि बच्चा टेस्ट ट्यूब में विकसित होता है जबकि यह सत्य नहीं है।
कई दम्पती सही समय पर इलाज कराने में नाकाम रहते हैं और यह देरी अधिक समस्या पैदा कर सकती है, ऐसे में आईवीएफ उपचार लिया जा सकता है।
इस लेख में हमसे सबसे अधिक पूछे जाने वाले प्रश्नों का उल्लेख किया गया है –
यह सबसे आम सवाल है जो जनता को परेशान करता है। आईवीएफ उपचार की सफलता कई कारकों पर निर्भर करती है और काफी हद तक बदलती रहती है ।
हमने यहां आईवीएफ उपचार के पक्ष में कुछ बिंदुओं को सूचीबद्ध किया है।
आईवीएफ एक तकनीकी प्रक्रिया है और प्रयोगशाला में उपयोग किए जाने वाले उपकरणों की प्रभावकारिता और गुणवत्ता पर बहुत कुछ निर्भर करता है। सौभाग्य से अब भारत विकसित देशों की तरह उन्नत चिकित्सा बुनियादी ढांचे और गुणवत्ता उपचार के लिए जाना जाता है । ए1 गुणवत्तायुक्त साधनों, संक्रमणरहित वातावरण और उपचार प्रोटोकॉल के कारण यहां मरीज सुरक्षित होकर उपचार ले सकते हैं जिससे उन्हें अधिक दर से गर्भधारण करने का बेहतर मौका मिलता है।
भारत एक विकासशील देश है इसके बावजूद अब यहां बहुत सारे सहायक प्रजनन विशेषज्ञ डॉक्टर और भ्रूणविज्ञानी हैं।
भले ही आईवीएफ एक काफी सामान्य प्रक्रिया बन गई है, लेकिन अभी भी बहुत से लोगों में एक पूर्व अवधारणा है कि यह एक बहुत ही जटिल और एक दर्दनाक प्रक्रिया है जो सत्य नहीं है। इसलिए वे पूरे उपचार के दौरान बहुत अधिक भावनात्मक अस्थिरता, चिंता और उत्सुकता से गुजरते हैं ऐसी स्थिति में एक उचित परामर्शदाता / डॉक्टर होने से उन्हें बहुत मदद मिलती है। भारत में अनुभवी स्वास्थ्य परामर्शदाताओं की सेवाएं आसानी से उपलब्ध हैं और भारत तेजी से स्वास्थ्य पर्यटन के वैश्विक केंद्र के रूप में विकसित हो रहा है तथा सहायक प्रजनन तकनीकें भी मील का पत्थर साबित हुई हैं।
हमारे देश में दम्पतियों में निःसंतानता का ग्राफ धीरे-धीरे बढ़ रहा है। शहरी आबादी में कई सामाजिक और जीवनशैली में बदलाव तथा ग्रामीण भारत में लापरवाही निःसंतानता की वजह बन रही है। हालांकि, आईवीएफ इस तरह की समस्याओं से निपटने के लिए प्रभावी समाधान है लेकिन आम जनता में अधिक जागरूकता की आवश्यकता है ताकि वे सही समय पर विशेषज्ञ सलाह और उपचार ले सकें। हाल के दिनों में प्रक्रिया की आवश्यकता और सुरक्षा के संबंध में ग्रामीण और शहरी आबादी में सामान्य जागरूकता लाने का काफी प्रयास किया गया है।
निःसंतानता की बीमारी सिर्फ एक विशेष सामाजिक-आर्थिक स्तर के लोगों को प्रभावित नहीं करती है, लेकिन खर्चे की समस्याएं और पहुंच अलग-अलग आबादी के बीच बड़ा अंतर करती है। हाल के दिनों में आईवीएफ की लागत में काफी कमी आयी है जिससे हर आय वर्ग इस सुविधा का लाभ उठा पा रहा है। यहां तक कि जिन देशों में पहुंच और लागत मुख्य समस्या है उन पड़ौसी देशों से मरीज भी भारत आ रहे हैं।
भारतीय चिकित्सा परिषद की नैतिक समिति ने आईवीएफ कार्य के लिए कुछ निश्चित आचार संहिता निर्धारित की हैं। नियमों और विनियमों का ये समूह न केवल मरीजों के हितों की रक्षा करता है, बल्कि मेडिकल प्रेक्टिशनर्स को अनावश्यक उत्पीड़न से बचाता है।
अन्य सभी चिकित्सा प्रक्रियाओं और दवाओं की तरह, आईवीएफ के अपने जोखिम और विफलताएं हैं लेकिन इसकी अपनी खूबियां और लाभ भी हैं। उपचार के सभी पक्ष -विपक्ष के बाद भी भारत में परिवार को पूरा करने के लिए बहुत सारे जोड़े खुशी से इस इलाज को अपना रहे हैं।
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