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आईवीएफ क्या है (IVF Kya Hai) डिटेल में जानिए, आईवीएफ में कैसे होता है गर्भधारण

Reviewed by Indira IVF Fertility Experts
Last updated: October 29, 2025

Overview

आईवीएफ में क्या होता है, आईवीएफ को इनफर्टिलिटी के उपचार का सफल तकनीक माना जाता है। पिछले कुछ वर्षों में लाखों कपल्स ने इसे अपनाकर संतान सुख पाया है। आईवीएफ में महिला के शरीर में होने वाली फर्टिलाइजेशन की प्रोसेस को लैब में किया जाता है। जानिए क्या होता है आईवीएफ का अर्थ।

समय के साथ हमारी प्राथमिकताओं और आवश्यकताओं में बदलाव आया है इसका कारण हमारी बदलती लाफइस्टाइल भी है। जीवनशैली में बड़े परिवर्तन के कारण कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है इनमें निःसंतानता भी एक है। आज देश में संतान की चाह रखने वाले लगभग 10 से 15 प्रतिशत दम्पतियों को निःसंतानता का सामना करना पड़ रहा है। निःसंतानता से प्रभावित दम्पतियों के लिए आईवीएफ तकनीक कारगर साबित हो रही है दुनियाभर में आईवीएफ प्रक्रिया का उपयोग करके लाखों दम्पती संतान सुख प्राप्त कर चुके हैं। 1978 में आईवीएफ तकनीक का आविष्कार ब्लॉक ट्यूब में गर्भधारण करवाने के लिए किया गया था, समय के साथ इसमें नये - नये आविष्कार होते गये और ये तकनीक अन्य निःसंतानता संबंधी समस्याओं में काम आने लगी। अक्सर दम्पती ये जानना चाहते हैं कि आईवीएफ का मतलब क्या होता है

आईवीएफ क्या है ? (IVF Kya Hai)

आईवीएफ एक ऐसी तकनीक है जिससे संतान की चाह रखने वाले दंपति गर्भधारण कर सकते हैं। ये प्राकृतिक रूप से गर्भधारण में विफल दम्पतियों के लिए गर्भधारण का सफल माध्यम बन सकता है।आईवीएफ में क्या होता है - इसमें महिला के शरीर में होने वाली निषेचन की प्रक्रिया (महिला के अण्डे व पुरूष के शुक्राणु का मिलन) को बाहर लैब में किया जाता है। लैब में बने भ्रूण को महिला के गर्भाशय में ट्रांसफर किया जाता है। यह प्रक्रिया उन लोगों के लिए उपयोगी है जो प्राकृतिक रूप से गर्भधारण नहीं कर पाते।

IVF का फुल फॉर्म क्या होता है? (ivf full form in hindi)

आईवीएफ का फुल फॉर्म इन विट्रो फर्टिलाइजेशन होता है इसे आम बोलचाल में टेस्ट ट्यूब बेबी भी कहा जाता है। इस तकनीक में महिला के अण्डे को पुरूष के शुक्राणु से शरीर के बाहर लैब में फर्टिलाइज किया जाता है, इस प्रोसेस से बने भ्रूण के महिला के गर्भाशय में इंजेक्ट किया जाता है। दुनिया में पहली बार लंदन में 1978 में आईवीएफ की प्रोसेस की गयी थी जिससे लुईस ब्राउन का जन्म हुआ था।

आईवीएफ की प्रक्रिया क्या होती है?

1. अण्डों की संख्या बढ़ाना

प्राकृतिक रूप से महिला की ओवरी में हर महीने अण्डे तो ज्यादा बनते हैं लेकिन हर महीने एक ही अण्डा बड़ा होता है जबकि आईवीएफ प्रोसिजर में सभी अण्डे बड़े करने के लिए महिला को दवाइयां और इंजेक्शन दिये जाते हैं । इस प्रक्रिया के दौरान अण्डों के विकास को देखने के लिए अल्ट्रासाउण्ड के माध्यम से महिला की जांच की जाती है। आईवीएफ प्रक्रिया में सामान्य से ज्यादा अण्डे इसलिए बनाए जाते हैं ताकि उनसे ज्यादा भ्रूण बनाए जा सकें और इन भ्रूणों में सबसे अच्छे भ्रूण को गर्भाशय में स्थानान्तरित किया जा सके।

2. अण्डे शरीर से बाहर निकालना

अण्डे बनने और परिपक्व होने के बाद अल्ट्रासाउण्ड इमेजिंग की निगरानी में एक पतली सुई की मदद से अण्डे टेस्ट ट्यूब में एकत्रित किए जाते हैं जिन्हें लैब में रख दिये जाते हैं। अण्डे निकालने के कुछ घंटों बाद महिला अपने घर जा सकती है।

3. अण्डा फर्टिलाइजेशन

महिला के अण्डे निषेचित करवाने के लिए मेल पार्टनर के सीमन का सेम्पल लेकर अच्छे शुक्राणु अलग किए जाते हैं। लैब में महिला के अण्डों के सामने पुरूष के शुक्राणुओं को छोड़ा जाता है। शुक्राणु अण्डे में प्रवेश कर जाता है और फर्टिलाइजेशन की प्रक्रिया पूरी हो जाती है। आईवीएफ में महिला की ट्यूब में होने वाले काम को लैब में किया जाता है। आईवीएफ महिला निःसंतानता की समस्याओं में लाभदायक होने के साथ - साथ पुरूष जिनके शुक्राणुओं की मात्रा 5 से 10 मीलियन प्रति एम एल है उनके लिए फायदेमंद है।

4. भ्रूण का विकास

एम्ब्रियोलॉजिस्ट इन्क्यूबेटर में विभाजित हो रहे भ्रूण को अपनी निगरानी में रखते हैं। 2-3 दिन बाद ये अण्डा 6 से 8 सेल के भ्रूण में बदल जाता है। एम्ब्रियोलॉजिस्ट इन भ्रूण में से श्रेष्ठ 1-2 भ्रूणों का स्थानान्तरण के लिए चयन करते हैं। कई मरीजों में भ्रूणों को  5-6 दिन लैब में विकसित करके ब्लास्टोसिस्ट बना लिया जाता है इसके बाद स्थानान्तरण किया जाता हे। इसमें सफलता की संभावना ज्यादा होती है।

5. भ्रूण ट्रांसफर

आईवीएफ प्रक्रिया के माध्यम से बने भ्रूण या ब्लास्टोसिस्ट में से 1-2 अच्छे भ्रूण का एम्ब्रियोलॉजिस्ट चयन करते हैं और उन्हें भ्रूण ट्रांसफर केथेटर में लेते हैं। डॉक्टर एक पतली नली के जरिए भ्रूण को बड़ी सावधानी से अल्ट्रासाउण्ड इमेजिंग की निगरानी में औरत के गर्भाशय में स्थानान्तरित कर देते हैं। भ्रूण स्थानान्तरण की प्रक्रिया में दर्द नहीं होता और महिला को बेड रेस्ट की जरूरत नहीं होती है ।  भ्रूण ट्रांसफर के बाद सारी प्रक्रिया प्राकृतिक गर्भधारण के समान ही होती है, भ्रूण जन्म तक माँ के गर्भ में ही बड़ा होता है।

IVF प्रक्रिया में जुड़वा बच्चे कैसे पैदा होते हैं?

आईवीएफ में एक से अधिक अण्डे निषेचन के लिए लैब में रखे जाते हैं ताकि फर्टिलाइजेशन के चांसेज ज्यादा हो। एक से अधिक भ्रूण बनने के बाद एक से ज्यादा संख्या में भ्रूण गर्भाशय में इंजेक्ट किये जाते हैं जिससे मल्टिपल प्रेगनेंसी के चांसेज ज्यादा होते हैं। कई मामलों में कपल एक बार में ट्वीन्स चाहते हैं इसलिए मल्टिपल एम्ब्रियो ट्रांसफर किये जाते हैं। आजकल ब्लास्टोसिस्ट स्टेज के भ्रूण ट्रांसफर करने के कारण मल्टिपल प्रेगनेंसी के चांसेज कम होते हैं।

आईवीएफ की आवश्यकता कब पड़ती है?

आईवीएफ को आमतौर पर सबसे अंतिम इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट ऑप्शन समझा जाता है लेकिन कई केसेज में यह सबसे पहले अपनाने का सुझाव दिया जाता है। किन स्थितियों में आईवीएफ अपनाना चाहिए -

  • महिला की फैलोपियन ट्यूब ब्लॉक हो,
  • ट्यूब में इंफेक्शन हो,
  • महिला को एंडोमेट्रियोसिस हो,
  • पीसीओएस होने पर
  • बार-बार गर्भपात,
  • एक बार प्रेगनेंसी होने के बाद गर्भधारण नहीं होना
  • अधिक उम्र
  • अण्डे कम या नहीं होना
  • पुरूष के स्पर्म की क्वालिटी खराब होना या स्पर्म काउंट कम होना

आईवीएफ तकनीक में नए आविष्कार

निःसंतानता से प्रभावित दम्पतियों के लिए एआरटी उपचार प्रक्रिया उम्मीद की किरण है। समय के साथ इसमें नये आविष्कार हो रहे हैं जिससे सफलता दर बढ़ती जा रही है। इक्सी, क्लोज़्ड वर्किंग चैम्बर, लेजर असिस्टेड हेचिंग, ब्लास्टोसिस्ट कल्चर, एम्ब्रियो मॉनिटरिंग सिस्टम, इम्सी इत्यादि इसकी सफलता बढ़ाने वाले आविष्कार हैं।

निष्कर्ष

आईवीएफ करवाना किसी भी कपल के लिए आसान नहीं होता है। आईवीएफ में सफलता प्राप्त करने के लिए उचित मार्गदर्शन, सही उपचार और आत्मविश्वास प्रदान करने वाली टीम की आवश्यकता होती है। आप इन्दिरा आईवीएफ के उच्च सफलता दर के साथ अपनी आईवीएफ जर्नी शुरू करते हैं। यहां की अत्याधुनिक तकनीकें, स्पेशल केयर और अपनापन आपको संतान सुख की ओर अग्रसर कर सकता है।

 

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

आईवीएफ कितनी बार में सफलता होती है?

 

आईवीएफ की सफलता दर शत प्रतिशत नहीं है लेकिन 70-75 प्रतिशत तक प्राप्त की जा सकती है। आईवीएफ की सक्सेस रेट केस टू केस भी निर्भर करती है। आईवीएफ की सफलता दर पहली बार में लगभग 30-35% मिलने की संभावना होती है।

आईवीएफ सफल होने के क्या लक्षण हैं?

 

प्राकृतिक गर्भधारण की तरह आईवीएफ में भी थकान, हल्का रक्तस्राव, पेट में खिंचाव और स्तनों में संवेदनशीलता जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं।

आईवीएफ में शुक्राणु किसका होता है?

 

शुक्राणु की क्वालिटी और संख्या अच्छी होने पर पति के शुक्राणुओं का उपयोग किया जाता है वहीं संख्या और क्वालिटी में कमी होने पर डोनर स्पर्म की जरूरत पड़ सकती है।

आईवीएफ के नुकसान क्या हैं?

 

आईवीएफ के कोई विशेष साइड इफेक्ट नहीं है लेकिन इंजेक्शन के कारण हार्मोनल बदलाव, कभी-कभी जुड़वा प्रेगनेंसी होने की संभावना होती है।

आईवीएफ प्रेगनेंसी में क्या खाना चाहिए?

 

आईवीएफ प्रेगनेंसी में प्रोटीन युक्त भोजन, हरी सब्जियाँ, फल और फोलिक एसिड से भरपूर डाइट मददगार होती है।

क्या आईवीएफ से पैदा हुए बच्चे स्वस्थ होते हैं?

 

हाँ, आईवीएफ प्रेगनेंसी से जन्म लेने वाले बच्चे प्राकृतिक गर्भधारण से जन्मे बच्चों के समान ही शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ होते हैं।

क्या आईवीएफ प्रेगनेंसी नॉर्मल प्रेगनेंसी की तरह ही होती है?

 

IVF प्रेगनेंसी, नोर्मल प्रेगनेंसी जैसी ही होती है, इसमें सिर्फ भ्रूण बनने की प्रक्रिया लैब में होती है । एम्ब्रियो महिला के गर्भाशय में ट्रांसफर करने के बाद नोर्मल प्रेगनेंसी के समान की पूरी प्रेगनेंसी रहती है।

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