एक सामान्य गर्भावस्था में जुड़वां बच्चे होने की संभावना लगभग 6% होती है वहीं यह आंकड़ा आईवीएफ के साथ अधिक होता है। यह काफी हद तक इन विट्रो निषेचन के कारण हो सकता है। चूंकि आईवीएफ उपचार की लागत काफी अधिक होती है, ऐसे में कई जोड़ों की यह मंशा होती है कि पहली गर्भावस्था में ही उन्हें बच्चा हो जाए। ऐसे में उनका डॉक्टर से अनुरोध रहता है कि गर्भाशय में एक से अधिक भ्रूणों को स्थानांतरित किया जाए ताकि उनके आईवीएफ में जुड़वा बच्चे (Twins in IVF hindi) होने की संभावना बढ़ जाए। इन दिनों जुड़वां गर्भधारण की बढ़ती संख्या की वजह से आईवीएफ और जुड़वा बच्चों के बीच की कड़ी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
आईवीएफ एक प्रक्रिया है जहां आपके शरीर के बाहर अंडाशय से अंडों को संग्रहित कर शुक्राणु के साथ एक प्रयोगशाला में निषेचित किया जाता है। निषेचन के बाद बने भ्रूण को गर्भ में स्थानांतरित होने से पहले कुछ दिनों के लिए प्रयोगशाला में बड़ा किया जाता है। इसके बाद भ्रूण को गर्भ में स्थानांतरित करने के दो चरण हैं जिसमें पहला चरण निषेचन से तीन या चार दिनों के बाद होता है, वही ब्लास्टोसिस्ट चरण निषेचन के एक सप्ताह बाद होता है जब भ्रूण इष्टतम विकास तक पहुंच जाता है। इसके बाद भ्रूण अगले 6 से 12 दिनों के भीतर गर्भाशय की लाइनिंग में प्रत्यारोपित होता है जिससे एक सफल गर्भावस्था उत्पन्न होती है।
मानव निषेचन और भ्रूणविज्ञान प्राधिकरण (एचईएफए) के अनुसार, पाँच में से एक गर्भधारण में एक से अधिक संतान यानी आईवीएफ में ट्वीन प्रेगनेंसी s(Twins in IVF hindi) होने की संभावना होती है। यह आमतौर पर इसलिए होता है क्योंकि गर्भावस्था के मौके को बढ़ाने के लिए आईवीएफ के दौरान आपके गर्भाशय में एक से अधिक भ्रूण स्थानांतरित किये जाते हैं। हालांकि, एक भ्रूण के साथ भी जुड़वां होना संभव है, जहां एक अंडा दो जायगोट बनाने के लिए विभाजित हो सकता है। इन्हें मोनोजायगोटिक जुड़वां कहा जाता है। दूसरी ओर, डाईजायगॉटिक जुड़वां दो अलग अंडों का एक परिणाम हैं। यह तब हो सकता है जब दो या अधिक भ्रूण आपके गर्भाशय में स्थानांतरित किये जाते हैं।
यदि ब्लास्टोसिस्ट चरण के बाद भ्रूण स्थानांतरित किया गया हो तो आईवीएफ आइडेंटिकल ट्विन्स होने की संभावना बढ़ा सकता है।
जुड़वा बच्चों के साथ गर्भवती महिलाएं एकल गर्भधारण वाली महिलाओं की तुलना में गर्भावस्था के कुछ अलग लक्षणों का अनुभव कर सकती है। उनमें से कुछ में शामिल हैंः
उच्च एचसीजी स्तर एक जुड़वां गर्भावस्था का प्रारंभिक संकेत हो सकता है।
पीरियड्स की डेट से पहले ही गर्भावस्था परीक्षण सकारात्मक है, तो यह एक जुड़वां गर्भावस्था का संकेत हो सकता है। एक गर्भावस्था परीक्षण एचसीजी के स्तर को मापता है, जो आमतौर पर जुड़वां गर्भधारण के मामले में उच्च होता है क्योंकि यह गर्भावस्था के निर्वाह के लिए आवश्यक है।
यदि महिला का वज़न अत्यधिक रूप से बढ़ा है, जो गर्भावस्था के दौरान वजन में सामान्य वृद्धि से अधिक है, तो जुड़वां बच्चों के पैदा होने की संभावना हो सकती हैं।
यदि पेट की लंबाई सामान्य वृद्धि से अधिक है, तो यह भी जुड़वा बच्चे होने का संकेत है।
एएफपी परीक्षण भ्रूण के प्रोटीन स्तर को मापता है। यदि एएफपी परीक्षण का परिणाम उच्च हैं, तो यह एक जुड़वां गर्भावस्था के पहले संकेतों में से एक हो सकता है। इसके अलावा अत्यधिक थकान, मिजाज़ में बदलाव और मतली भी जुड़वां गर्भधारण के संकेतों में शामिल है।
यदि आप एकल गर्भधारण करना चाहते हैं, तो आप अपने आईवीएफ विशेषज्ञ के साथ इलेक्टिव सिंगल एम्ब्रियो टांस्फर अर्थात् ईएसईटी स्थानांतरण के बारे में चर्चा कर सकते हैं। यह एक प्रक्रिया है जब एक सफल गर्भावस्था के लिए सबसे स्वास्थ्यप्रद भ्रूण की पहचान करने के बाद केवल एक व्यवहार्य भ्रूण को ही महिला के गर्भाशय में स्थानांतरित किया जाता है।
आईवीएफ उपचार के प्रारंभिक चरणों में एकाधिक भ्रूण इसलिए सम्मिलित किये जाते हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कम से कम एक सफल गर्भावस्था तो निश्चित हो सकें। हालांकि प्रौद्योगिकी में प्रगति के साथ, विशेषज्ञ अब स्वास्थ्यप्रद भ्रूण की पहचान करने में सक्षम हैं। इससे एक भ्रूण के साथ भी गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा एक से अधिक गर्भधारण से मां और बच्चे में चिकित्सकीय जटिलताओं का खतरा बढ़ सकता है। लेकिन टैक्नोलाॅजी और आधुनिक तकनीकों की मदद से आज आईवीएफ से जुड़वा बच्चों की संभावना कम हो गई है साथ ही इलेक्टिव सिंगल एम्ब्रियो टांस्फर की मदद से एकल गर्भधारण की संभावना पूर्णतया बढ़ गई है।