जुड़वा बच्चे कैसे होते हैं? Judwa Bacche Kaise Hote Hain
जुड़वा बच्चे दो अलग-अलग तरीकों से बन सकते हैं। पहला तरीका मोनोज़िगोटिक ट्विन (Monozygotic Twins)। इसमें एक ही अंडाणु यानि एग एक ही स्पर्म से फ़र्टिलाइज होता है। गर्भ बन जाने के बाद यह एक फ़र्टिलाइज़्ड एग दो हिस्सों में बंट जाता है। इन दोनों भागों से दो शिशु विकसित होते हैं, और दोनों बिल्कुल एक जैसे दिखाई दे सकते हैं। आँखें, चेहरे का आकार, बालों का रंग इत्यादि सब कुछ लगभग समान रहता है। इन्हें आईडेंटिकल ट्विन (Identical Twins) कहा जाता है।
दूसरी स्थिति में महिला का अंडाशय यानि ओवरी (ovary) एक ही महीने में दो एग्स रिलीज करती है। प्रत्येक अंडाणु हरेक एग अलग-अलग स्पर्म से फ़र्टिलाइज होता है। इस तरह दो शिशु बनते हैं जो एक दूसरे से बिल्कुल अलग भी दिख सकते हैं। इन्हें डिज़िगोटिक ट्विन (Dizygotic Twins) या फ्रैटर्नल ट्विन (Fraternal Twins) कहा जाता है। twins baby kaise hote hai का सरल उत्तर यही है कि या तो एक फ़र्टिलाइज़्ड एग दो भागों में बंट जाता है, या दो अलग एग्स दो अलग स्पर्म से फ़र्टिलाइज़्ड होकर दो शिशु बनाते हैं।
जुड़वाँ संतान होने के कारण
जुड़वाँ संतान कई वजहों से हो सकती हैं। कुछ नैचुरली (प्राकृतिक) होते हैं, जबकि कुछ लाइफस्टाइल और फ़र्टिलिटी ट्रीटमेंट (प्रजनन उपचार) के कारण हो सकते हैं।
- फ़ैमिली हिस्ट्री (परिवार में जुड़वाँ बच्चे पैदा होने का इतिहास): यदि परिवार में पहले भी जुड़वाँ बच्चे पैदा हुए हों, तो अगली पीढ़ी में इसकी संभावना बढ़ जाती है। यह प्रवृत्ति अक्सर माँ की ओर से आगे बढ़ती है।
- माँ की उम्र: 30 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में ओवरी कभी-कभी एक महीने में दो एग्स रिलीज कर सकती है, जिससे जुड़वाँ गर्भ की संभावना बढ़ जाती है।
- फ़र्टिलिटी ट्रीटमेंट: IVF, IUI या ओवलेशन इंडक्शन (ovulation induction) की दवाइयों के दौरान एक से अधिक एग्स बन सकते हैं। इस कारण एक महीने में दो गर्भ बन सकते हैं।
- हॉर्मोनल बदलाव: कुछ महिलाओं के शरीर में प्राकृतिक रूप से FSH अधिक बनता है, जिससे अंडाशय दो एग्स रिलीज कर सकते हैं।
- कई बार गर्भधारण कर चुकना: जिन महिलाओं के पहले से कई गर्भ हो चुके हों, उनमें जुड़वाँ गर्भधारण की संभावना थोड़ा बढ़ सकती है।
- लंबा कद और अधिक वजन: रिसर्च में पाया गया है कि जिन महिलाओं की लंबाई या BMI थोड़ा अधिक होता है, उनमें ट्विन प्रेगनेंसी की संभावना हो सकती है।
- कुछ समुदायों में अधिक संभावना: अफ्रीकी और कुछ विशेष जातीय समूहों में प्राकृतिक रूप से जुड़वाँ बच्चों का जन्म अधिक देखा जाता है।
जुड़वाँ संतान होने के लक्षण (Judwa Bacche Hone Ke Lakshan)
गर्भ के शुरुआती महीनों में ट्विन प्रेगनेंसी के कुछ ऐसे लक्षण (symptoms) दिखाई दे सकते हैं लेकिन यह लक्षण हर महिला में एक जैसे नहीं होते।
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जल्दी वजन बढ़ना: ट्विन प्रेगनेंसी में गर्भवती महिला को दो बच्चों के पोषण के लिए अधिक कैलोरी की जरुरत होती है। इसी वजह से उसे जल्दी जल्दी भूख लगती है और सामान्य से थोड़ा अधिक भोजन करना पड़ता है। इस कारण वजन भी तेजी से बढ़ता है।
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अत्यधिक मतली और उल्टी: दो भ्रूण होने पर प्रेगनेंसी हॉर्मोन्स अधिक मात्रा में बनते हैं। इससे मतली (nausea) एक भ्रूण की तुलना में अधिक हो सकती है।
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पेट का आकार सामान्य से अधिक दिखना: judwa bacche hone ke lakshan में एक लक्षण यह भी है कि इसमें गर्भाशय जल्दी बढ़ता है। इसलिए कभी-कभी शुरुआती महीनों में ही पेट बड़ा दिखने लगता है।
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ज्यादा थकान और कमजोरी: दो शिशुओं की वजह से एनर्जी ज्यादा खर्च होती है, जिससे शरीर जल्दी थक जाता है।
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डबल हार्ट बीट सुनायी देना: अल्ट्रासाउंड में दो फीटल हार्ट बीट्स सुनायी देती हैं, जो ट्विन प्रेगनेंसी का स्पष्ट लक्षण होता है।
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कमर या पीठ में ज्यादा खिंचाव: पेट का वजन सामान्य से जल्दी बढ़ने के कारण कभी-कभी पीठ पर दबाव बढ़ जाता है।
ये लक्षण सिर्फ संकेत देते हैं; ट्विन प्रेगनेंसी की पुष्टि यानि कन्फर्मेशन हमेशा अल्ट्रासाउंड से ही होती है।
ट्विन प्रेगनेंसी में सावधानियां
ट्विन प्रेगनेंसी में माँ और उसकी होने वाली संतान दोनों को अतिरिक्त देखभाल की जरूरत होती है क्योंकि दो भ्रूण होने पर गर्भाशय पर दबाव बढ़ जाता है जिससे कुछ जोखिम बढ़ सकते हैं। इसलिए सावधानी, नियमित जांच और डॉक्टर की सलाह बेहद महत्वपूर्ण है।
आवश्यक सावधानियाँ:
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ट्विन प्रेगनेंसी में रेगुलर चेकअप की जरुरत होती है: जिससे दोनों शिशुओं की ग्रोथ (growth) पता चलती रहे।
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संतुलित आहार और सप्लीमेंट्स जैसे आयरन, फोलिक एसिड, कैल्शियम और प्रोटीन का विशेष ध्यान रखना होता है: क्योंकि ट्विन प्रेगनेंसी में महिला को एनीमिया होने और कमजोरी का जोखिम रहता है।
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रेगुलर अल्ट्रासाउंड से दोनों भ्रूणों के विकास, प्लेसेंटा की स्थिति और एमनीओटिक फ्लूइड (amniotic fluid) की मात्रा पर नजर रखनी होती है।
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डॉक्टरों के अनुसार ट्विन प्रेगनेंसी में कुल वजन थोड़ा अधिक बढ़ सकता है: लेकिन इसे संतुलित रूप में बढ़ाना जरूरी है।
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प्रीमैच्योर लेबर (Premature labor) का ध्यान रखना होता है: क्योंकि दो शिशु होने पर समय से पहले दर्द आने (early contractions) का खतरा बढ़ सकता है। किसी भी असामान्य दर्द, ब्लीडिंग या पानी की लीकेज पर डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना चाहिए।
ट्विन प्रेगनेंसी में पर्याप्त आराम और नींद बहुत जरूरी है। तनाव कम करने के लिए प्राणायाम (deep breathing), हल्का योग और परिवार का सपोर्ट जरुरी होता है।
क्या जुड़वाँ बच्चे IVF उपचार से संभव हैं?
IVF ट्रीटमेंट में जुड़वा गर्भ की संभावना नेचुरल प्रेगनेंसी की तुलना में थोड़ी अधिक होती है। इसका सबसे प्रमुख कारण यह है कि IVF में एम्ब्रीओ ट्रांसफर की संख्या।
यदि IVF में एक से अधिक एम्ब्रीओ ट्रांसफर किए जाते हैं, तो ट्विन प्रेगनेंसी की संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा, IVF दवाइयों से अंडाशय कई एग्स तैयार कर सकता है, जिससे भी ट्विन प्रेगनेंसी हो सकती है।
क्यों बढ़ सकती है संभावना?
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जब एक से अधिक यानी मल्टीपल एम्ब्रीओ ट्रांसफर (Multiple Embryo Transfer) होते हैं: तो दोनों एम्ब्रीओ के इम्प्लांट होने की संभावना रहती है।
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IVF के दौरान दिए जाने वाले हॉर्मोन्स यूट्रस को प्रेगनेंसी के लिए के लिए अधिक तैयार (receptive) बनाते हैं।
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जेनेटिक फ़ैक्टर्स की वजह से अगर महिला पहले भी दो एग्स ओवुलेट (ovulate) कर चुकी है: तो IVF के साथ ट्विन प्रेगनेंसी की संभावना और बढ़ सकती है।
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ऐज फ़ैक्टर की वजह से 30–35 वर्ष की उम्र में IVF ट्रीटमेंट में जुड़वाँ बच्चे हो सकते हैं:
निष्कर्ष (Conclusion)
जुड़वा बच्चे एक ही एम्ब्रीओ के दो हिस्सों में बँटने या दो अलग-अलग एम्ब्रीओ के बनने से होते हैं। ट्विन प्रेगनेंसी में माँ और दोनों शिशुओं को अतिरिक्त देखभाल, नियमित जांच और संतुलित आहार की जरुरत होती है।