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सफलता बढ़ानी है तो गर्मी में करवाएं आईवीएफ!
प्राकृतिक रोशनी ज्यादा होने से सर्दी के मुकाबले गर्भधारण की संभावनाएं अधिक

सामान्यतया लोगों में यह गलतधारणा है कि गर्मी का सीजन गर्भधारण और आईवीएफ ट्रीटमेंट करवाने के लिए अच्छा नहीं होता है जबकि शोध के अनुसार गर्मी में आईवीएफ अपनाने वाले दम्पतियों में सफलता दर अधिक रहती है। सूर्य की किरणें विटामिन डी का सर्वश्रेष्ठ प्राकृतिक स्त्रोत है जिससे आईवीएफ की सफलता की संभावना भी बढ़ जाती है । आमतौर पर गर्मियों को टैनिंग, छुट्टियों और लंबे समय तक धूप की मौजूदगी के लिए जाना जाता है लेकिन इनफर्टिलिटी की समस्या से जूझ रही महिलाओं के लिए मई, जून, जुलाई और अगस्त के महीने गर्भधारण के लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं।

दम्पती ऐसा मानते हैं कि आईवीएफ गर्भधारण के लिए सर्दी का समय बेहतरीन होता है लेकिन आंकड़ों के अनुसार गर्भधारण और गर्भ के विकसित होने के लिए गर्मी का सीजन अधिक लाभदायक होता है। गर्भवती महिला के लिए विटामिन डी उत्कृष्ट औषधी के रूप में जानी जाती है इस कारण गर्मी का सीजन आईवीएफ में सफल गर्भधारण की संभावनाओं को दुगुना कर देता है। नींद के लिए मेलाटोनिन हार्मोन जिम्मेदार होता है मेलाटोनिन न सिर्फ सोने और टहलने के तौर-तरीके निर्धारित करता है बल्कि महिलाओं की फर्टिलिटी को भी बढ़ाता है । यह हार्मोन गर्मी के मौसम में महिलाओं की प्रजनन क्षमता बढ़ाने के लिए सीधे तौर पर प्रजनन टिश्यु को सक्रिय बनाता है। इसका यह भी मतलब होता है कि गर्मियों में विकसित होने वाले भ्रूण को पहली सर्दी का सामना करने से पहले कुछ महिनों का समय मिल जाता है।

आईवीएफ ट्रीटमेंट के दौरान महिलाओं को अधिक गोनाडोट्रोफिन हार्मोन की जरूरत पड़ती है जिसका इस्तेमाल सर्दियों के दौरान अंडाणु निर्माण के लिए ओवरी को उत्प्रेरित करने के लिए किया जाता है लेकिन गर्मियों के मुकाबले सर्दियों में प्राकृतिक रोशनी कम होने के कारण ट्रीटमेंट में अधिक सफलता नहीं मिल पाती है।

विटामिन डी शरीर में कैल्शियम के उचित स्तर को बनाए रखता है । यह गर्भ के दांतों और हड्डियों के निर्माण में मदद करता है और जन्म से बड़े होने तक प्रतिरक्षा के स्तर को बढ़ाता है । विटामिन डी की कमी वाली महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान मधुमेह होने का खतरा रहता है।
विटामिन डी के पर्याप्त स्तर से संपन्न जो महिलाएं आईवीएफ उपचार कराती हैं, उनमें उच्च क्वालिटी के भ्रूण निर्मित होने की संभावना अधिक रहती है और उनके गर्भधारण की संभावना भी दोगुनी हो जाती है, अध्ययन से भी संकेत मिलता है कि विटामिन डी का निम्न स्तर इनफर्टिलिटी का कारण बनते हैं यह भी पाया गया है कि जो महिलाएं आईवीएफ साइकिल शुरू करने से पहले अधिक समय तक धूप में रहती हैं उनमें जन्म दर और ट्रीटमेंट का स्तर भी सुधर जाता है जबकि अंडाणु अच्छी तरह परिपक्व हो जाता है।

गर्मियों में आईवीएफ साइकिल के दौरान जो महिलाएं ज्यादा देर तक सूर्य की रोशनी में रहती हैं उनके तनावमुक्त रहने की संभावना भी अधिक रहती है। तनाव ही नकारात्मक प्रभाव बढ़ाने का एक बड़ा कारण माना जाता है ऐसे में यदि कोई महिला सकारात्मक विचार रखती है तो उसके गर्भधारण की संभावना भी बेहतर रहती हैं। गर्मियों के दौरान कामकाज की व्यस्तता कम रहती है इसलिए आपके पास आईवीएफ पद्धति अपनाया जा सकता है।


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