मासिक धर्म यानी पीरियड्स के दौरान पेट दर्द यानी पीरियड क्रैम्प्स (Menstrual cramps) महिलाओं में बहुत आम हैं।
ज्यादातर महिलाओं को हर महीने पीरियड्स के पहले या पहले दो दिनों में पेट नीचे की ओर खिंचाव, दर्द या भारीपन महसूस होता है। यह दर्द हल्का भी हो सकता है और कई बार इतना तेज़ कि काम या पढ़ाई पर इसका बहुत असर पड़ता है।
इस दर्द की वजह है गर्भाशय का सिकुड़ना (यूट्रस कॉन्ट्रैक्शंस), हार्मोनल बदलाव और कुछ मामलों में स्त्री रोग से जुड़ी समस्याएं।
अब सवाल आता कि पीरियड्स में होने वाले दर्द का इलाज़ (period me dard ho to kya kare), इसका जवाब है थोड़ी सावधानी, घरेलू उपाय और जरूरत पड़ने पर सही इलाज।
माहवारी (पीरियड्स) के दौरान गर्भाशय अपनी अंदरूनी परत (यूटेरिन लाइनिंग) को बाहर निकालने के लिए सिकुड़ता है। इस क्रिया को यूटेरिन कॉन्ट्रैक्शंस (uterine contractions) कहा जाता है। जब ये कॉन्ट्रैक्शंस बहुत बढ़ जाते हैं, तो पेट के निचले भाग या कमर में दर्द महसूस होता है। शरीर में इस समय प्रोस्टाग्लैंडीन (prostaglandin) नाम का हार्मोन बढ़ जाता है, जो इन कॉन्ट्रैक्शंस को कंट्रोल करता है। अगर इस हॉर्मोन का लेवल ज्यादा बढ़ जाता है, तो दर्द भी ज्यादा महसूस होता है। कई बार यह दर्द फ़ैमिली हिस्ट्री (पारिवारिक इतिहास) से भी जुड़ा होता है यानी अगर स्त्री की माँ या बहन को पीरियड में दर्द होता है, तो यह समस्या आगे भी बनी रह सकती है।
कुल मिलाकर, यह एक प्राकृतिक जैविक प्रक्रिया (नेचुरल बायोलॉजिकल प्रोसेस) है, लेकिन अगर दर्द बहुत अधिक हो, तो इसे नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए और डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए ।
पीरियड शुरू होने से कुछ दिन पहले भी पेट या कमर में दर्द महसूस हो सकता है। इसे पीएमएस मतलब प्रीमेन्स्ट्रुअल सिंड्रोम कहा जाता है (PMS kya hota hai)। इस समय शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन जैसे हार्मोन तेजी से बदलते हैं, जिससे सूजन, भारीपन, पेट फूलना और हल्का दर्द महसूस होता है। कई महिलाओं को इस समय चिड़चिड़ापन, सिरदर्द और थकान भी होती है। अगर हार्मोनल असंतुलन ज्यादा हो या शरीर में पानी रुकने लगे, तो दर्द बढ़ सकता है। आमतौर पर यह दर्द पीरियड शुरू होने के साथ ही कम हो जाता है।
कभी-कभी माहवारी का दर्द सामान्य नहीं होता। अगर दर्द बहुत तेज हो, लंबा चले या हर महीने बढ़ता जाए, तो यह एंडोमेट्रियोसिस (Endometriosis) का संकेत हो सकता है। इस बीमारी में गर्भाशय की परत, उसके बाहर के हिस्सों में भी फैल जाती है, जिससे हर महीने खून बाहर नहीं निकल पाता और सूजन व दर्द बढ़ जाता है। इसके अलावा फाइब्रॉइड्स (Fibroids), पीसीओडी (PCOD) या पेल्विक इंफेक्शन (Pelvic Infections) के कारण भी पीरियड्स में दर्द हो सकता है। पीसीओएस (PCOS) के कारण भी पीरियड्स के दौरान दर्द हो सकता है। किशोरावस्था में लड़कियों को ज्यादातर दर्द तब होता है जब शरीर में हार्मोनल बदलाव शुरू होते हैं। अगर दर्द के साथ बहुत ज्यादा ब्लीडिंग, उल्टी या बुखार हो, तो डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है।
अगर पीरियड्स में दर्द बार-बार हो और दवाइयों के बिना राहत न मिले, तो डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। पीरियड्स में दर्द का इलाज इसके कारण और तीव्रता पर निर्भर करता है।
डॉक्टर की सलाह से उचित दवाईयाँ ली जा सकती हैं । ये दवाएं प्रोस्टाग्लैंडीन हार्मोन का लेवल घटाकर दर्द को कम करती हैं।
कुछ महिलाओं में हार्मोनल पिल्स से माहवारी नियमित होती है और दर्द में राहत मिलती है।
अगर दर्द महीनों तक लगातार बना रहे या दिनचर्या प्रभावित कर रहा हो, तो डॉक्टर अल्ट्रासाउंड या हार्मोनल जांच की सलाह दे सकते हैं।
अगर पीरियड्स में दर्द हल्का या मध्यम हो, तो कुछ घरेलू उपाय बहुत असरदार होते हैं।
निचले पेट या कमर पर हल्की गर्म सिकाई करने से मांसपेशियाँ रिलैक्स होती हैं और दर्द में आराम मिलता है।
अदरक और हल्दी सूजन कम करती हैं। ग्रीन टी या अदरक की चाय दिन में दो बार लेने से ऐंठन और थकान कम होती है।
वॉकिंग, स्ट्रेचिंग या भुजंगासन जैसे योगासन से रक्त संचार (ब्लड सर्कुलेशन) बढ़ता है जिससे दर्द कम हो सकता है।
तनाव से दर्द बढ़ सकता है। अच्छी नींद, मेडिटेशन या डीप ब्रीदिंग से शरीर शांत रहता है जिससे पीरियड्स के दर्द में आराम मिल सकता है।
ऊपर दिए गये कुछ उपाय आपको पीरियड्स में पेन होने पर राहत पहुँचा सकते हैं। ( period mein dard ho to kya karen)
माहवारी में दर्द से बचने के लिए जीवनशैली में कुछ बदलाव जरूरी हैं।
अगर दर्द सामान्य दवाओं से भी ठीक न हो, तो इसे हल्के में न लें।
समय पर जांच और सही इलाज से दर्द के पीछे का कारण समझा जा सकता है और राहत पाई जा सकती है।
पीरियड के दौरान पेट दर्द होना सामान्य है, लेकिन यह सहने की चीज नहीं है। घरेलू उपाय, संतुलित आहार और जीवनशैली में सुधार से काफी आराम मिल सकता है। अगर दर्द हर महीने बढ़ रहा हो या लंबे समय तक बना रहे, तो डॉक्टर से मिलना जरूरी है। सही जानकारी और उचित ध्यान देने से यह परेशानी आसानी से संभाली जा सकती है।
आमतौर पर 2–3 दिन पहले हल्का दर्द या पेट में भारीपन महसूस हो सकता है।
यह गर्भाशय की सिकुड़न या PMS का संकेत हो सकता है।
हल्का दर्द, सूजन, मूड स्विंग और थकान इसके सामान्य संकेत हैं।
शुरुआती हफ्तों में हल्का दर्द सामान्य है, लेकिन ज्यादा दर्द हो तो डॉक्टर से तुरंत मिलें।
अक्सर पीरियड शुरू होने के पहले या पीरियड्स के शुरआती दो दिनों में।
नहीं, यह सामान्य प्रक्रिया का हिस्सा है। लेकिन अगर दर्द असहनीय हो, तो जांच जरूरी है।